सोरायसिस (छाल रोग) के कारण, लक्षण और इलाज पर ज्यादा जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर अली मुहम्मद अब्दी, त्वचा विशेषज्ञ।  

सोरायसिस त्वचा में होने वाली एक बीमारी है जिसे आम भाषा में छाल रोग भी कहा जाता है। ये बीमारी लंबे वक्त तक त्वचा पर रहती है और जल्दी ठीक नहीं होती। इस बीमारी में शरीर पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। ये धब्बे ज्यादातर हथेलियों, कोहनियों, पैरों के तलवे, घुटनों और सिर पर देखने को मिलते हैं। इनके अलावा कभी कभी ये बीमारी पूरे शरीर को भी अपनी चपेट में ले सकती है। 

Psoriasis

कितने तरह का होता है सोरायसिस? (What are the types of psoriasis in hindi) 

सोरायसिस कई तरह का होता है जिसमें सबसे ज्यादा आम है सोरायसिस वलगैरिस। इसमें व्यक्ति के हाथ, पैर, सिर और कभी कभी पूरा शरीर भी बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। वहीं पाल्मोप्लैन्टर सोरायसिस (Palmoplantar Psoriasis) में हथेलियां और पैर के तलवे प्रभावित होते हैं। इसके अलावा बच्चों में भी एक तरह का सोरायसिस देखा जाता है जिसे गटेट सोरायसिस (Guttate Psoriasis) कहते हैं और इसमें शरीर पर सिक्के की तरह के लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इन सभी के अलावा एक सबसे ख़तरनाक तरह का सोरायसिस होता है जिसमें पूरे शरीर पर धब्बे पड़ जाते हैं, त्वचा निकलने लगती और धब्बे लाल होने लगते हैं जिसे एरीथ्रोडर्मिक सोरायसिस (Erythrodermic Psoriasis) कहा जाता है। छाल रोग नाखूनों में भी हो जाता है जिससे इनमें गड्ढे पड़ जाते हैं। 

क्या है सोरायसिस का कारण? (What causes psoriasis in hindi) 

इस बीमारी की कई वजह हो सकती हैं जिनमें सबसे पहले है जेनेटिक कारण यानि परिवार में अगर पहले से किसी को यह रोग है तो उसे जुड़ें लोगों को ये हो सकता है। इसके अलावा जो लोग ठंडी जगहों पर रहते हैं, उनमें भी यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है। कुछ मामलों में ये दवाईयों के कारण भी होता है जिनमें ब्लड प्रेशर और डायबीटीज़ की दवाईयां शामिल है। साथ ही वायरल इंफेक्शन की वजह से अगर किसी का गला या पेट ख़राब होता है, तो इससे भी सोरायसिस की बीमारी होते देखा गया है। हालांकि अभी तक इस बीमारी का कोई सटीक कारण पता नहीं चल पाया है।  

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क्या हैं इसके लक्षण? (What are its symptoms in hindi) 

सोरायसिस में सबसे पहले शरीर के किसी हिस्से पर गोल चकत्ते बनते हैं और वहां की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा सूखते ही वह हिस्सा लाल हो जाता है और बाद में त्वचा झड़ने लग जाती है। पाल्मोप्लैन्टर सोरायसिस में हथोलियों, पैरों के तलवे और उसके आस पास की त्वचा सूखना शुरू कर देती और वहां लंबी लंबी धारियां बन जाती हैं। साथ ही वहां से खून भी झलकता है यानि खुजलाने पर खून निकल सकता है। इस बीमारी में त्वचा में खुजली और दर्द हो सकता है। सिर में होने वाले छाल रोग की बात करें तो सिर की चमड़ी सूखने और झड़ने लगती है और साथ ही सिर से ज्यादा तेल बाहर निकलने लगता है। नाखूनों में अगर ये बीमारी हो जाए तो उनमें गड्ढे पड़ जाते हैं। 

कैसे होता है इसका इलाज? (How is it treatment in hindi)  

सोरायसिस की बीमारी ज्यादातर ठंड के मौसम में होती है या बढ़ जाती जबकि गर्मियों में ये कम हो जाती है। इसके इलाज के लिए डॉक्टर मरीज़ों को त्वचा पर लगाने के लिए क्रीम और लोशन देते हैं जिसे सुबह और शाम को लगाने पर 7 से 8 दिनों में चकत्ते ख़त्म हो जाते हैं। गर्मियों में इसके कम हो जाने पर लोग ख़ुद भी इसका उपचार कर सकते हैं। मरीज़ अपनी त्वचा पर कोई भी अच्छा मॉस्चराइज़र या नारियल तेल लगा लकते हैं। वहीं बीमारी ज्यादा बढ़ने पर डॉक्टर मीथोट्रैकसेट (Methotrexate) नाम की दवाई देते हैं जिसे मरीज़ को सिर्फ डॉक्टर के बताए गए डोज़ के मुताबिक लेना चाहिए। छाल रोग के लिए यह दवाई सबसे कारगर मानी जाती है। इस दवाई को खाने के दौरान शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और साथ ही तेल मसाले से बने खाने से भी परहेज़ करना चाहिए। अगर व्यक्ति का वज़न ज्यादा है, तो उसे भी कम करना चाहिए।  

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क्या हैं घरेलू उपाय? (What are the home remedies in hindi) 

सोरायसिस से बचाव के लिए नहाने के तुरंत बाद नारियल का तेल पूरे शरीर के साथ ही बालों पर लगाना चाहिए क्योंकि नारियल के तेल में कुछ ऐसे कुदरती गुण हैं जिससे इस बीमारी में कमी आती है। गर्मियों के अलावा सर्दियों में भी अंदर कॉटन के कपड़े पहनें। इसके अलावा शराब और रेड मीट का सेवन बिल्कुल ना करें क्योंकि इनसे बीमारी और भी बढ़ जाती है। खाने में गर्म मसाले का उपयोग ना करें और गर्म चीजें भी ना खाएं। विटामिन डी से भरपूर चीजें ज्यादा मात्रा में लें जैसे दूध। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्ज़ियां खाएं। सोरायसिस से बचने के लिए त्वचा को नम रखना बहुत ज़रूरी है इसलिए रात को सोने से पहले व्हाइट लिक्विड पैराफीन (White liquid paraffin) ज़रुर लगाएं। साथ ही अगर कोई व्यक्ति बीपी या शुगर की दवाई ले रहा है, तो अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लें। सोरायसिस के मरीज़ किसी तरह की चोट से बचें क्योंकि चोट लगने वाली जगह पर सोरायसिस के नए निशान पड़ने की संभावनाएं होती हैं। सोरायसिस के मरीज़ों को धूप में ज़रूर जाना चाहिए क्योंकि सूरज की किरणों से इस बीमारी में कमी आती है। 

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सोरायसिस की जटिलताएं (Complications of psoriasis in hindi)

लंबे वक्त तक सोरायसिस होने पर ये पूरे शरीर को अपनी चपेट में ले सकता है। क्योंकि इस बीमारी में त्वचा झड़ने लगती है इसलिए शरीर के तापमान में भी बदलाव होता रहता है। इसमें कई मरीज़ों को दर्द और त्वचा में जलन भी होती है। सोरायसिस की वजह से 100 में से 20 मरीज़ों को सोरायसिस अर्थाराइटिस भी हो सकता है जिसमें हाथों की कलाईयों और उंगलियों के जोड़ में जकड़न होती है। इस बीमारी से कई दूसरे तरह के इंफेक्शन होने की भी संभावनाएं हैं।  

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in hindi)

कोई भी लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं। सोरायसिस के मरीज़ों को अपने हाथ और पैर को चोट से बचाना चाहिए और उन्हें गर्म रखना चाहिए। त्वचा को नियमित तौर पर मॉस्चराईज़ करें। रेड मीट और शराब का सेवन बिल्कुल ना करें। अगर किसी दूसरी बीमारी की दवाई खाने से सोरायसिस बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें।  

डिस्कलेमर – सोरायसिस (छाल रोग), इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अली मुहम्मद अब्दी, त्वचा विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Psoriasis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ali Mohammad Abdi (Dermatologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.