Swasthya Plus Hindi

अच्छी जीवनशैली है कब्ज़ को दूर करने का मंत्र

Constipation_Ajay Kumar Patwa
कब्ज – कारण और रोकथाम | Dr Ajay Kumar Patwa  on Constipation in Hindi | Causes & Treatment

 क्यों होता है कब्ज़, क्या हैं इसके लक्षण और और कैसे पा सकते हैं कब्ज़ से राहत बता रहे हैं डॉक्टर अजय कुमार पटवा (Gastroenterologist)  

अक्सर लोग ये शिकायत करते हैं कि उन्हें खुलकर शौच नहीं होता। साथ ही उन्हें पेट में मरोड़ या भारीपन भी महसूस होता रहता है। दरअसल मल त्यागने में होने वाली ये दिक्कत एक बीमारी है जिसे कब्ज़ कहा जाता है। खुलकर शौच नहीं होना एक गंभीर समस्या है क्योंकि ऐसा होने पर व्यक्ति पूरे दिन अच्छा महसूस नहीं करता। कब्ज़ की वजह से व्यक्ति को और भी बहुत तरह की बीमारी हो सकती है इसलिए इसका सही इलाज होना ज़रुरी है। 

क्या है कब्ज़ और क्या हैं इसके लक्षण? (What is constipation and its Symptoms?)

कब्ज़ की परिभाषा कई देशों में अलग-अलग है। पश्चिमी देशों में अगर किसी को हफ्ते में तीन बार से कम शौच हो तो इसे कब्ज़ समझा जाता है जबकि हमारे देश में अगर हफ्ते में एक बार भी शौच नहीं हो रहा है तो इसे कब्ज़ माना जाता है। अगर व्यक्ति को मल त्यागने के लिए ज़ोर लगाना पड़े तो ये कब्ज़ियत के लक्षण हैं। यही नहीं बल्कि अगर किसी व्यक्ति का मल कड़ा हो और फंसा हुआ महसूस हो तो ये भी कब्ज़ की पहचान हैं। हफ्ते में तीन बार से कम पख़ाना होने पर भी इसे कब्ज़ कह सकते हैं।  

क्या है कब्ज़ का कारण? (What causes Constipation?) 

डाइबीटीज़, थायराइड, हार्ट, लीवर या फिर किडनी की बीमारी की वजह से कब्ज़ की शिकायत हो सकती है। लेकिन आम तौर पर कब्ज़ के वो मरीज़ ज्यादा पाए जाते हैं जिनकी आंतों में कोई दिक्कत होती है। अगर आंतों में कैसंर हो जाए या फिर आंत बढ़ जाए तो इनकी वजह से कब्ज़ हो सकता है। कब्ज़ की एक और ख़ास वजह है तनाव। तनाव में जी रहे ज्यादातर लोग शारीरिक तौर पर कम एक्टिव होते हैं, उनका खान-पान और रहन-सहन भी अलग हो जाता है जिससे कब्ज़ की बीमारी हो सकती है। कुछ लोगों को कब्ज़ ना होने के बावजूद भी लगता है कि उन्हें कब्ज़ है। इस तरह का संदेह एक मनोवैज्ञानिक कारण से होता है जिसे ओबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) कहते हैं। 

कैसे समझे कि कब्ज़ है? (How to identify constipation?

मल का कड़ा होना, कम होना, साफ़ नहीं होना या फिर अगर मल को दबा कर निकालना पड़े तो समझ जाना चाहिए कि यह कब्ज़ की बीमारी है। इसके अलावा अल्ट्रा साउंड करके जांच कराने से आंतों में किसी तरह की रुकावट का पता लगाया जा सकता है। सी टी स्कैन के ज़रिए भी ये पता लगाया जा सकता है कि कहीं आंतों में कैसर तो नहीं है। इसके अलावा कई तरह के नए टेस्ट भी किए जाते हैं जिससे उत्सर्जन तंत्र (Excretory System) के अंगों की जांच कर ये पता लगाया जाता है कि वे सही से काम कर रहे हैं या नहीं जैसे कि एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (Endoscopic ultrasound) और एनोरेक्टल मेनोमैट्री (Anorectal Manometry) वगैरह।   

कब्ज़ से किस तरह की हो सकती है परेशानी? (What kind of problems can arise from Constipation?

सही खान-पान, अच्छी जीवनशैली और दवाइयों की मदद से कब्ज़ को आसानी से ठीक किया जा सकता है लेकिन अगर व्यक्ति को कोई दूसरी ख़तरनाक बीमारी है जैसे कैंसर, तो कब्ज़ की वजह से बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है और मरीज़ की जान को भी ख़तरा हो सकता है। अक्सर मल त्यागने में दिक्कत (Fecal Evacuation Disorder) होने पर मरीज़ उंगलियों का इस्तेमाल करके शौच करते हैं जिससे अल्सर बन जाता है और खून निकलना शुरु हो जाता है जो गंभीर हो सकता है। 

क्या है इलाज और कैसे करें बचाव? (How to cure and prevent?)

कब्ज़ का इलाज इसके कारणों का पता लगाकर किया जाता है। तनाव की वजह से होने वाले कब्ज़ में डॉक्टर मरीजों को कसरत और वॉकिंग करने की सलाह देते हैं। समय पर संतुलित भोजन खाना चाहिए जिसमें 30-40 ग्राम फाइबर हो। साथ ही पानी सही मात्रा में पीना ज़रुरी है। वहीं अगर आंतों की बनावट में किसी तरह की गड़बड़ी है तो सर्जरी की जाती है। इसके अलावा फीकल डिसऑर्डर (Fecal Disorder) होने पर नए तरीके के प्रयोग किए जाते हैं जिसके साथ योग भी फ़ायदेमंद होता है। अगर किसी दूसरी बीमारी की वजह से कब्ज़ है तो उस बीमारी का भी इलाज किया जाता है। साथ ही मल को ढीला करने के लिए लैक्ज़ाटिव (Laxative) जैसी दवाइयां दी जाती हैं। कब्ज़ से बचाव के लिए अच्छी जीवनशैली, संतुलित भोजन और व्यायाम बहुत ज़रुरी है। साथ ही अगर कोई लक्षण दिखे तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।  

कब्ज़ होने पर क्या खाएं? (What to eat in constipation?) 

कब्ज़ के मरीज़ों को गर्मियों में 4-5 लीटर और सर्दियों में कम से कम 3-4 लीटर पानी पीना चाहिए। खाने में रेशेदार चीज़ें लेनी चाहिए जैसे कि सलाद, मूंग, हरी सब्ज़ियां और फल। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट्स युक्त चीज़ें भी संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। घर का बना खाना खाएं और जंक फूड खाने से बचना चाहिए। इन सभी उपाय़ों को करने से ना सिर्फ कब्ज़ से बचाव किया जा सकता है बल्कि एक सेहतमंद ज़िंदगी जीने में भी मदद मिलती है।     

डिस्क्लेमर – कब्ज़ की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अजय कुमार पटवा (Gastroenterologist) द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

Note: This information on Constipation, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ajay Kumar Patwa (Gastroenterologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.

Exit mobile version