कोविड 19 की दूसरी लहर पहले से कहीं बड़ी तादाद में लोगों की जान ले रही है जिसकी वजह है समय के साथ वायरस का ख़ुद में बदलाव करना। भारत में कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट देखा जा रहा है जो बहुत जल्दी लोगों पर असर कर रहा है। क्यों है ये वायरस इतना ख़तरनाक और क्या लोगों की लापरवाही भी है अधिक संक्रमण का कारण, बता रहे हैं डॉक्टर आनंद कुमार गुप्ता।  

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क्यों ज्यादा घातक है कोविड 19 की दूसरी लहर? (Why is the second wave of COVID-19 more dangerous in Hindi) 

समय के साथ सभी तरह के वायरस अपने को बचाने के लिए रूप बदलते रहते हैं। ठीक इसी तरह कोरोना वायरस ने भी ख़ुद में बदलाव किया और इसके स्पाइक प्रोटीन पर कुछ ऐसे बदलाव हुए जिससे इसकी मारक क्षमता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई। भारत में पाए गए वेरिएंट में डबल म्यूटेंट पाया गया है यानि एक ही वायरस में दो तरह के बदलाव हो गए जबकि यूके में पाए गए वेरिएंट में वायरस दो अलग अलग बदलाव के साथ दो प्रजाति में बंट गए। इसके अलावा इस साल जनवरी के महीने में जब कोरोना के केस कम होने शुरू हुए तो लोग भी इस बीमारी के प्रति लापरवाह होने लगे। ये नया स्ट्रेन पिछले स्ट्रेन के मुक़ाबले अलग है क्योंकि पिछले स्ट्रेन के असर से मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल अचानक से कम नहीं होता था जबकि इस स्ट्रेन के असर से मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल 94-95 से अचानक नीचे गिर जाता है। मरीज़ों में इस बार शरीर और सिर में दर्द के अलावा डायरिया जैसे लक्षण ज्यादा देखे जा रहे हैं।  

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क्या हैं इसके नए लक्षण, बुख़ार होने पर क्या करें? (What are its new symptoms? What to do in case of fever in Hindi)

इसके नए लक्षणों में डायरिया, आंखों में लालपन आना और पेट दर्द शामिल हैं लेकिन अच्छी बात ये है कि लोग इन लक्षणों के आने का इंतज़ार ना करें बल्कि किसी भी कारण से बुख़ार आने पर तुरंत अपने आप को आइसोलेट करके उपचार शुरू कर दें। अगर पांचवें दिन आपका बुख़ार तेज़ी से बढ़ जाता है तो आपको अस्पताल ज़रूर जाना चाहिए।   

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किस तरह के लक्षण दिखने पर अस्पताल जाना चाहिए? (In what kind of symptoms one should go to the hospital in Hindi) 

इस बार के वायरस के वेरिएंट के असर से मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल 94-95 से नीचे चला जा रहा है। इसलिए आइसोलेशन में रह रहे लोगों को हर दिन कम से कम छह मिनट टहलने से पहले और बाद में SPo2 चेक करके देखते रहना चाहिए कि उनका ऑक्सीजन लेवल कितना बढ़ा है। यदि किसी का ऑकसीजन लेवल पहले से चार प्रतिशत कम हो जाए या फिर 94-95 से नीचे चला जाता है तो ये समझ लेना चाहिए कि ये मास्क हाइपोक्सिया है और आने वाले दिनों में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएगा। ऐसे में अपने डॉक्टर से संपर्क करें और दिए गए सलाह के मुताबिक इलाज कराएं।  

फेफड़े क्यों हो रहे हैं ज्यादा प्रभावित? (Why lungs are more affected in Hindi) 

सार्स कोविड 2 का ये नया वेरिएंट जीवित कोशिकाओं में ही अपनी संख्या बढ़ाता है। ये वायरस ACE 2 रिसेप्टर्स पर चिपक कर कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करता है। ये ACE 2 रिसेप्टर्स हमारे श्वसन तंत्र के सभी अंगों जैसे नाक, गले, फेफड़े के साथ साथ दिल, किडनी, ब्रेन वगैरह में पाया जाता है। क्योंकि ये नाक और मुंह के ज़रिए अंदर जाता है इसलिए सबसे पहले फेफड़े को ही प्रभावित करता है।   

कोरोना वायरस से कैसे बचें? (How to protect yourself from COVID-19 in Hindi) 

इस वायरस से बचने के तीन ही कारगार मंत्र हैं – मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और सैनिटाइज़ेशन। अगर आप N-95 मास्क पहन रहे हैं तो डबल मास्क लगाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये अकेला ही कारगर होता है। लेकिन सर्जिकल मास्क के साथ कपड़े का मास्क पहना जा सकता है जबकि डबल सर्जिकल मास्क कभी भी ना लगाएं। इसके अलावा केवल कपड़े का मास्क ना पहने क्योंकि ये सिर्फ़ 30 से 40 प्रतिशत तक बचाव करता है। अगर आप हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करते हैं तो कम से कम 40 सेकेंड्स तक हाथों को रगड़े और एल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र को 20 सेकेंड तक इस्तेमाल करें। सामाजिक दूरी बनाएं रखें और वैक्सीन ज़रूर लगवाएं। वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क का इस्तेमाल करते रहें।  

डिस्कलेमर – कोविड 19 से क्यों हो रहे हैं आपके फेफड़े प्रभावित, इसके कारण और बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर आनंद कुमार गुप्ता द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

This information on Why COVID-19 affects Lungs in Hindi is based on an extensive interview with Dr Anand Gupta (Chest Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.