भारत में लगभग 18,000 से 20,000 लोगों की मौत कुत्ते के काटने से हो जाती है क्योंकि कुत्ते के काटने के बाद लोग ज़रूरी सावधानियां नहीं बरतते। कुत्ते के काटने के बाद हमें क्या करना चाहिए और किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए, इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर एन बी सिंह, मेडिसीन स्पेश्लिस्ट।
- कुत्ते के काटने के लक्षण
- कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें?
- कुत्ते के काटने का इलाज
- कितना ख़तरनाक है रेबीज़?
- क्या पालतू कुत्ते के काटने पर टीका लगवाना ज़रूरी है?
- कुत्ते के काटने के बाद की सावधानियां
- डॉक्टर की सलाह
हमारे देश में आवारा कुत्तों यानि स्ट्रीट डॉग्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और ज्यादातर मामले इन्हीं के काटने से होते हैं। कुत्ते के काटने पर मरीज़ को रेबीज़ नाम की बीमारी हो जाती है जिसकी वजह से बेचैनी और घबराहट होना, लार टपकना, पानी से डर लगना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
कुत्ते के काटने के लक्षण (Symptoms of dog bite in Hindi)
कुत्ते के काटने के बाद रेबीज़ नाम की बीमारी कितने दिनों, महीनों या फिर सालों बाद अपना असर दिखाएगी, इसके बारे में सटीक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इसका असर दिखने पर मरीज़ के अंदर बेचैनी, घबराहट, बुख़ार, गर्मी महसूस होना, अंधेरे और पानी से डर लगना वगैरह जैसे लक्षण दिखायी देते हैं।
कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें? (What to do first in case of dog bite in Hindi)
कुत्ते द्वारा काटे गए स्थान को सबसे पहले किसी अच्छे साबुन से गर्म पानी के साथ धोएं। काटे गये स्थान को बिल्कुल भी ना ढंके और तुरंत अस्पताल ले जाएं। अस्पताल में मरीज़ को दो तरह के इंजेक्शन दिए जाते हैं जिनमें से एक टेटनस का टीका होता है और दूसरा एंटी रेबीज़ वैक्सीन। इस घाव को खुला रखा जाता है और किसी भी चीज़ से ढका नहीं जाता और ना ही किसी तरह का टांका लगाया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर किसी एंटी सेप्टिक क्रीम को लगाया जा सकता है।
कुत्ते के काटने का इलाज (Treatment of dog bite in Hindi)
मरीज़ को जिस दिन कुत्ते ने काटा है, उस दिन एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगाने के बाद चार और एंटी रेबीज़ वैक्सीन अलग अलग दिनों पर लगाए जाते हैं। पहले दिन के बाद तीसरे, सातवें, चौदहवें और अट्ठाइसवें दिन तक चारों इंजेक्शन लगा दिए जाते हैं। इसके अलावा एंटी टेटेनस टॉक्साइड टीका भी लगाया जाता है। साथ में एंटी बायोटिक, एंटी इन्फ्लामेट्री दवाइयां भी दी जाती हैं। अगर काटने वाला कुत्ता पागल हो, तो काटने के सात से दस दिनों के अंदर उस कुत्ते की मौत हो जाती है लेकिन अगर कुत्ता दस दिनों से ज्यादा ज़िंदा रहे, तो इसका मतलब है कि वह पागल नहीं है।
कितना ख़तरनाक है रेबीज़? (How dangerous is Rabies in Hindi)
आंकड़ों की बात करें तो रेबीज़ का इंफेक्शन होने पर और वैक्सीनेशन नहीं कराने पर, मृत्यु दर बहुत ही ज्यादा है। वैक्सीनेशन नहीं कराने पर काफ़ी बड़ी संख्या में मरीज़ों की मौत हो जाती है इसलिए सही तरह से पूरा टीकाकरण आवश्यक है।
क्या पालतू कुत्ते के काटने पर टीका लगवाना ज़रूरी है? (Is it necessary to get vaccinated on pet dog bites in Hindi)
जो लोग कुत्ते पालते हैं, उन्हें हर छह महीने में अपने कुत्तों को एंटी रेबीज़ टीका लगवाते रहना चाहिए। इसके अलावा घर के सभी लोगों को भी प्री एक्सपोज़र वैक्सीनेशन करा लेना चाहिए जिसमें पहले, चौदहवें और अट्ठाइसवें दिन तीन टीके लगाए जाते हैं। अगर किसी ऐसे कुत्ते ने काटा है जिसका वैक्सीनेशन हो चुका हो, तो ऐसे में बिल्कुल भी डरने की ज़रूरत नहीं है।
कुत्ते के काटने के बाद की सावधानियां (Precautions after dog bite in Hindi)
जिन लोगों ने कुत्ते के काटने पर वैक्सीनेशन करा लिया है, उन्हें किसी तरह से डरने की ज़रूरत नहीं है और वो पहले की तरह हर काम को कर सकते हैं। ज़रूरी ये है कि कुत्ते के काटने के बाद चार एंटी रेबीज़ वैक्सीनेशन लेने का जो शेड्यूल है उसका कड़ाई से पालन करते हुए पहले दिन के बाद तीसरे, सातवें, चौदहवें और अट्ठाइसवें दिन पर ही टीके लगाए जाने चाहिए और इसमें किसी भी तरह का बदलाव ना करें क्योंकि इससे इसके प्रभाव पर असर पड़ सकता है।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)
जिन लोगों के घर में पालतू कुत्ते हैं, वो अपने कुत्ते को हर छह महीने में एंटी रेबीज़ वैक्सीन ज़रूर लगवाते रहें। साथ ही घर के सभी लोग एहतियात बरतते हुए अपना वैक्सीनेशन भी करा लें। इसके अलावा सोसाइटी या गली मुहल्ले के लोग भी स्ट्रीट डॉग्स को पकड़वा कर उनका वैक्सीनेशन कराएं जिससे इससे होने वाली मौतों को रोका जा सके।
डिस्कलेमर – कुत्ते के काटने पर मरीज़ में रेबीज़ के लक्षण, इलाज और बाद की सावधानियों पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर एन बी सिंह, सीनियर मेडिसीन स्पेश्लिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Dog Bite, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr NB Singh (Medicine Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.