दांतों की ठीक तरह से सफ़ाई न करने पर उनमें दर्द होता है और साथ ही वे सड़ भी जाते हैं। दांतों की सड़न की समस्या ज़्यादातर छोटे बच्चों में दिखाई देती है जिससे उन्हें बेहद तकलीफ़ का सामना करना तो पड़ता ही है और कभी कभी दांतों को निकालने की नौबत भी आ जाती है। दांतों की सड़न रोकने के उपाय और इलाज के बारे में बता रहे हैं डॉक्टर विनय कुमार गुप्ता। 

दांतों की सड़न किसे कहते हैं? (What is tooth decay in Hindi)

जब हम कुछ खाते हैं तो उसका कुछ अंश हमारे दांतों के बीच फंस जाता है जिस पर मुँह में मौजूद बैक्टीरिया का अटैक होता है। बैक्टीरिया एसिड का निर्माण करते हैं और एसिड की वजह से दांतों पर काले धब्बे और गड्ढे बन जाते हैं जिसे दांतों की सड़न कहते हैं।  

healthy teeth

दांत सड़ने से होने वाली दिक्कतें (Problems caused by tooth decay in Hindi)

दरअसल, दांतों की तीन परतें होती हैं जिनमें सबसे ऊपरी परत को इनैमल कहा जाता है, दूसरी परत को डेंटीन और सबसे अंदरूनी और मुलायम   परत को पल्प कहा जाता है। खाने पीने के बाद दाँतों की अच्छी तरह सफ़ाई न करने पर सबसे ऊपरी परत पर डेंटल कैरीज़ बनना शुरू हो जाती है। धीरे धीरे ये कैरीज़ अंदर की परतों को भी प्रभावित करते हुए पल्प तक पहुँच जाती है जिसके बाद व्यक्ति को दर्द होता है। अगर दांतों की सड़न पल्प तक पहुँच चुकी हो तो ऐसे में रूट कनाल ट्रीटमेंट कराने की ज़रूरत पड़ती है जिसमें दांतों की नसों को निकालकर उसमें आर्टिफिशियल पदार्थ भरे जाते हैं। 

dental problem

दांतों की सड़न के लक्षण (Symptoms of tooth decay in Hindi)

दांतों में अगर सड़न है तो इसका सबसे पहला लक्षण है दांतों में तेज़ दर्द होना। अगर सड़न दांतों के अंदर तक पहुँच चुकी हो तो कभी कभी अंदर सिस्ट बन जाता है या इसमें पस भी भर जाता है। 

समय-समय पर हमें अपने और बच्चों के दांतों का निरीक्षण करते रहना चाहिए और ये देखना चाहिए कि उनमें किसी तरह का काला धब्बा या गड्ढा तो नहीं दिख रहा। ऐसा कुछ दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर उसकी सफ़ाई और फीलिंग करा लें। अगर दांतों की सड़न अंदर तक फैल चुकी हो तो ऐसे में रूट कनाल ट्रीटमेंट करा लेनी चाहिए। लेकिन याद रखें कि रूट कनालिंग के बाद दांतों की कैपिंग कराना आवश्यक होता है बिना कैपिंग के रूट कनालिंग का कोई फ़ायदा नहीं होता। 

root canal

रूट कैनाल ट्रीटमेंट की ज़रूरत कब पड़ती है? (When is root canal treatment required in Hindi)

अगर दांतों की सड़न यानि डेंटल कैरीज़ पल्प तक पहुँच चुकी हो तो ऐसे में रूट कैनाल ट्रीटमेंट कराना ही इकलौता उपाय है। वैसे तो इसमें 3-4 दिन का समय लगता है लेकिन आजकल 1 सीटिंग में भी रूट कैनाल ट्रीटमेंट किया जाने लगा है हालांकि, ये इस बात पर निर्भर करता है कि दांतों की सड़न किस तरह की है। अगर दांतों का कुछ हिस्सा बचा हुआ है तो रूट कनालिंग के ज़रिए उसमें नया स्ट्रक्चर लगा सकते हैं। लेकिन सड़न के कारण अगर दाँतों का पूरा स्ट्रक्चर ख़त्म हो चुका हो तो ऐसे में उसे जड़ से निकाल लेना ही बेहतर है।  

tooth decay

दांतों को सड़ने से कैसे बचाएँ? (How to prevent tooth decay in Hindi)

अक्सर लोगों को लगता है कि वे हर रोज़ ब्रश करते हैं लेकिन ज़्यादातर लोग ब्रश करने का सही तरीक़ा नहीं जानते। ब्रश करने के लिए सबसे पहले आपके टूथब्रश के ब्रिसेल्स फैले हुए नहीं होने चाहिए। जब भी आप ब्रश करें तो अपने टूथब्रश को 45 डिग्री पर रखकर ऊपर से नीचे की तरफ स्ट्रोक लगाना चाहिए। सोकर उठने के अलावा रात में सोने से पहले भी ब्रश करें। कुछ भी खाने के बाद कुल्ला ज़रूर करें। 

मुँह को साफ़ रखने के लिए डॉक्टर के सुझाव (Doctor’s tips to keep mouth clean in Hindi)

बहुत सारे लोग टूथब्रश पर ढेर सारा टूथपेस्ट लगाकर ब्रश करते हैं जबकि ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। आप एक ड्रॉप टूथपेस्ट को अच्छे टूथब्रश में लगाकर सही तरीक़े से ब्रश कर सकते हैं। दिन भर में दो बार ब्रश करें, कुछ भी खाने या पीने के बाद कुल्ला अवश्य करें, दांतों के साथ-साथ जीभ और मसूड़ों को भी साफ़ रखें, खाने में ज़्यादातर फाइबर युक्त भोजन लें, बच्चों को चॉकलेट, टॉफी और दांतों पर चिपकने वाली खाने पीने की चीज़ों से दूर रखें, किसी तरह के तंबाकू, गुल वगैरह के मंजन का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें। 

डिस्क्लेमर – दांतों की सड़न रोकने के उपाय और इलाज के बारे में लिखा गया या लेख पूर्णतः डॉ विनय कुमार गुप्ता, डेंटल सर्जन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Tooth Decay, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vinay Kumar Gupta (Dental Surgeon) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.