डेल्टा प्लस भारत में पहली बार खोजे गए डेल्टा वेरिएंट का एक उपवंश है, जिसने K417N नामक स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन करके फिर एक बार अपना रूप बदल लिया है।क्या इस नए वेरिएंट के साथ देश कोरोनावायरस की तीसरी लहर की तरफ़ बढ़ रहा है और पिछली लहर से कितना ‌अधिक घातक हो सकता है यह वेरिएंट, आइए जानते हैं इस लेख में।

delta variant

भारत में बुधवार को डेल्टा प्लस कोरोनवायरस के लगभग 40 मामलों को एक नये म्यूटेशन के साथ पाया गया है जो इसे अधिक तेज़ी से फैलने वाला बनाता है।

बुधवार को, महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश राज्यों में वैरिएंट के लगभग 40 मामले देखे गए हैं, हालांकि, इनकी व्यापकता में कोई ख़ास बढ़ोतरी नहीं हुई है। नये K417N वेरिएंट का‌ यह  भारत में सबसे पहला मामला 5 अप्रैल को लिए गए सैंपल का है।

केंद्र ने उन सभी राज्यों को परीक्षण बढ़ाने की सलाह दी है जहां इसके मरीज़ पाए गए हैं और इसकी गंभीरता को देखते हुए इसे वेरियंट ऑफ क्न्सर्न की श्रेणी में भी रखा है। 

यह भारत में पहली बार खोजे गए डेल्टा कड़ी का ही एक उप-वंश है और इसने K417N स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन करते हुए उस नये रूप को ले लिया है  जो कि दक्षिण अफ्रीका में पहली बार पहचाने गए बीटा संस्करण में भी पाया जाता है। 

कुछ वैज्ञानिकों को चिंता है कि म्यूटेशन और अन्य मौजूदा विशेषताएं इसे और अधिक संक्रामक बना सकती हैं। 

इस म्यूटेशन के ख़िलाफ़ टीकों की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए भारत और विश्व स्तर पर अध्ययन जारी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रॉयटर्स को भेजे एक बयान में कहा,”डब्ल्यूएचओ इस संस्करण को डेल्टा संस्करण के हिस्से के रूप में ट्रैक कर रहा है, जैसा कि हम अतिरिक्त उत्परिवर्तन के साथ चिंता के अन्य रूपों के लिए कर रहे हैं। फिलहाल, यह संस्करण सामान्य नहीं लगता है।“ 

cowin vaccine

भारत के लिए क्या हैं चिंताएं? 

  • देश में दूसरी लहर की तबाही के बाद भी अब तक सम्पूर्ण टीकाकरण का काम पूरा नहीं हो सका है। 
  • कई लोगों को टीकों की दूसरी डोज़ के लिए अभी इंतज़ार करना पड़ रहा है। कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों को पहली डोज़ के बाद कम से कम तीन महीने का इंतज़ार करना अनिवार्य कर दिया गया है। 
  • कोविड से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टीके इस नए वेरिएंट पर प्रभावशाली होंगे या नहीं इस पर अभी शोध जारी है। 
  • क्योंकि इस नए वैरियंट में अधिक तेज़ी से फैलने की क्षमता होने की बात का अंदाज़ा लगाया जा रहा है इसलिए, लोगों को लंबे समय तक कोविड एप्रोप्रियेट बिहेव्यर का कड़ाई से पालन करवाए जाने की ज़रूरत है। 
  • दूसरी लहर में हुई मौतों से सबक लेते हुए देशभर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मज़बूत करने की आवश्यकता है। 
  • इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के एक वैज्ञानिक तरुण भटनागर ने कहा है कि म्यूटेशन से भारत में तीसरी लहर नहीं आए, यह भी कोविड एप्रोप्रियट बिहेवियर पर ही निर्भर करता है, लेकिन यह एक कारण हो सकता है। 

दूसरी लहर में हुई मौतों के मामलों में दुनिया के सबसे ख़राब उछाल से उभरने के बाद डेल्टा प्लस का नया वेरिएंट भारत पर संक्रमण की एक और लहर लाएगा या नहीं, इस पर चिंताएं जताई जा रहीं हैं लेकिन किसी भी चुनौती से निपटने के लिए समय रहते स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करना सबसे ज़रूरी है।