कोरोना वायरस से लड़ने में मास्क पहनने की आदत और तरीक़े को अब तक का सबसे कारगर उपाय बताया गया है। लेकिन कोविड की दूसरी लहर पहले से कहीं ज्यादा घातक साबित हो रही है और इसलिए लोगों को अब डबल मास्किंग करने के बारे में सलाह दी जा रही है। तो आइए जानते हैं कि क्या है डबल मास्किंग और क्यों है ये ज़रूरी।
क्या है डबल मास्किंग?
डबल मास्किंग करना यानि सीधे शब्दों में कहें, तो जब आप एक की बजाय दो फेस मास्क पहनते हैं। सभी देशों की तरह ही भारत में भी आमतौर पर लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए एक मास्क ही पहनते आ रहे हैं। जब मास्क की बात आती है, तो चुनने के लिए हमारे पास कई तरह विकल्प हैं जिनमें कपड़े से बना मास्क, सर्जिकल मास्क और KN95 मास्क सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा घातक है जिसने देश में हाहाकार मचा दिया है और इसलिए अब एक मास्क की बजाय दो मास्क पहनने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
डबल मास्किंग के फ़ायदे
डबल मास्किंग तब होती है जब आप एक मास्क दूसरे के ऊपर लगाते हैं। इसके दो फायदे हो सकते हैं। पहला ये कि ये चेहरे पर बेहतर तरीक़े से फिट हो जाते हैं। केवल एक मास्क आपके चेहरे पर पूरी तरह से फिट नहीं बैठता। आपने महसूस किया होगा कि जब आप सांस लेते और छोड़ते हैं तो हवा आपके मास्क के दोनों किनारों से भी निकलती है। मास्क के इन ढीले कोनों से ना सिर्फ़ वायरस बाहर जा सकते हैं बल्कि अंदर भी आ सकते हैं। इसलिए, जब आप दो मास्क पहनते हैं तो बाहरी मास्क अंदर के मास्क के कोनों पर प्रेशर बना देता है जिससे अंदर का मास्क आपके चेहरे को सही तरह से सील कर देता है।
इसके दूसरे फ़ायदे की बात करें तो यह बेहतर फिल्टर करने का काम करता है। दरअसल, सेंटर्स फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक फैब्रिक की कम से कम दो या तीन परतों के साथ फेस मास्क का उपयोग करना चाहिए ताकि मास्क में उपयोग किया गया मैटेरियल वायरस वाली हवा की बूंदों को छानकर बाहर ही रोक दे, इससे पहले कि आप साँस लें।