पैरालिसिस शरीर की एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर के किसी अंग में कमजोरी आ जाती है और समय बढ़ने के साथ ही वो अंग काम करना बंद कर देता है। पैरालिसिस के बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडिसिन स्पेशलिस्ट से।  

क्या है पैरालिसिस? (What is paralysis?) 

पैरालिसिस यानि लकवा एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के किसी भी अंग में कमज़ोरी आ जाती है। यह कमज़ोरी शरीर के किसी एक अंग या कई अंगों में एक साथ हो सकती है। इस कमज़ोरी की वजह से कुछ वक्त बाद मरीज़ के अंग काम करना बंद कर देते हैं। कई बार लकवा शरीर के एक हिस्से यानि दायीं या बायीं तरफ़ हो जाता। लकवा कई तरह का हो सकता है जैसे फेशियल पैरालिसिस जिसमें चेहरे का कुछ हिस्सा काम करना बंद कर देता है। हाथों में होने वाले पैरालिसिस को मोनोप्लेजिया (Monoplegia) कहा जाता है जबकि पैर में लकवा होने को पैराप्लेजिया (Paraplegia) कहते हैं। दोनों हाथों और पैरों में अगर एक साथ लकवा हो जाए, तो उसे क्वाड्रीप्लेजिया कहते हैं। इसके अलावा कभी-कभी शरीर के बायीं या दायीं तरफ़ के हिस्से में लकवा होने को हेमीप्लेजिया (Hemiplegia) कहा जाता है।  

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पैरालिसिस का क्या है कारण? (What Causes paralysis?) 

शरीर के काम करने में हमारे दिमाग़ का अहम रोल होता है। हमारे दिमाग़ में कई सेंटर्स होते हैं जिनसे नसें निकलती और ये नसें हमारे स्पाइनल कोड से होते हुए शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक ज़रुरी तत्व पहुंचाती हैं। अगर शरीर में कहीं ज़ख्म हो जाए या गंभीर चोट पहुंचे, तो इस सप्लाई सिस्टम में रुकावट होने लगती है और इसकी वजह से लकवा हो सकता है। किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हैमरेज या दिमाग़ में कोई इन्फेक्शन हो, तो इसका असर उसके शरीर पर भी हो सकता है। इससे शरीर का एक हिस्सा दायें या बायें तरफ़ से लकवाग्रस्त हो सकता है। डायबीटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, समोकिंग करना, वज़न ज़्यादा होना वगैरह से ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। ये स्ट्रोक दो तरह के होते हैं, इस्चेमिक (Ischemic) स्ट्रोक और हेमोरेजिक (Hemorrhagic) स्ट्रोक। इस्चेमिक स्ट्रोक में दिमाग के अंदर खून का थक्का जम जाता है वहीं हेमोरेजिक स्ट्रोक में खून की नस फट जाती। इन दोनों ही स्ट्रोक से शरीर के दायें या बायें हिस्से में लकवा हो सकता है। इसके अलावा अगर शरीर के किसी नस में इनफ्लेमेशन हो जाए, तो शरीर के उस अंग में कमजोरी आ सकती हैं या लकवा हो सकता है। मांसपेशियों में किसी तरह की खराबी आने से भी लकवा हो सकता है। इसके अलावा नसों और मांसपेशियों के बीच कोई दिक्कत होने से भी लकवा होने का ख़तरा रहता है। 

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पैरालिसिस के लक्षण और इसका इलाज (Symptoms of paralysis and its treatment) 

शुरूआत में शरीर के किसी भी अंग में कम़जोरी आने लगती है। कुछ मामलों में यह कमज़ोरी अचानक हो सकती है वहीं कुछ में ये धीरे-धीरे बढ़ती है। कमज़ोरी की वजह से मरीज़ का वह अंग काम करना बंद कर देता है। इसके साथ अगर नसों पर भी इसका असर पड़ता है, तो शरीर में झंझनाहट और जलन भी हो सकती है। पैरालिसिस के इलाज के लिए फीज़ियोथेरेपिस्ट की मदद ली जाती है जिसमें डॉक्टर लकवाग्रस्त अंग के व्यायाम की सलाह देते हैं। अगर कोई मरीज़ बिस्तर पकड़ ले, तो उसे व्यायाम के साथ करवट बदलने को कहा जाता है। साथ ही उसके खाने-पीने का ध्यान रखा जाता है। पैरालिसिस के मरीज़ को अगर खाना निगलने में दिक्क्त हो, तो उसे राइस ट्यूब द्वारा तरल आहार दिया जाता है, यह आहार हर दो घंटे के अंतराल पर दिया जाना चाहिए। ब्लड प्रेशर और शुगर का लेवल ज्यादा होने पर उसे कंट्रोल किया जाता है। अगर मरीज़ को चोट की वजह से ट्रॉमा हुआ है, तो उसे भी नियंत्रित किया जाता है।  

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पैरालिसिस का क्या है जोखिम? (What is the risk of paralysis?) 

अगर मरीज़ बेड रिड्डेन है यानि पूरी तरह बिस्तर पर है और हिल नहीं सकता, तो उसकी देखभाल बहुत ही ज्यादा सावधानी से की जानी चाहिए। ऐसे में मरीज़ को हर दो घंटे में करवट बदलवाना बेहद ज़रूरी है क्योंकि एक ही तरफ़ देर तक सोने से दबाव बनता है जिससे घाव होने का ख़तरा होता है। खाना खिलाने के बाद मरीज़ को बैठाना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने से खाना फेफड़ों में जा सकता है जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। अगर किसी मरीज़ को पेशाब की समस्या है, तो ऐसी सूरत में पाइप के ज़रिए पेशाब कराया जाना चाहिए ताकि यूरिन इन्फेक्शन से बचा जा सके।  

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पैरालिसिस से कैसें करें बचाव? (How to prevent paralysis?) 

पैरालिसिस से बचाव के लिए तीन-चार चीज़ों से बचना बेहद ज़रूरी है। डायबीटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ों को शुगर औऱ बीपी कंट्रोल करना चाहिए। इसके अलावा वज़न ज़्यादा ना बढ़ने दें और साथ ही कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रण में रखें। सिगरेट और शराब के सेवन से बचें। इन सभी बातों का ध्यान रखने पर हम लकवा जैसी बीमारियों से बच सकते हैं।  

डिस्क्लेमर – पैरालिसिस बीमारी के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडिसिन स्पेशलिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।   

Note: This information on Paralysis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Sudhir Kumar Verma (Medicine Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.