कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कुछ लोगों में सामान्य लक्षण ही देखे जा रहे हैं। सामान्य लक्षण वाले मरीज़ों को अस्पताल जाने की बजाए डॉक्टर घर पर ही आइसोलेट होने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि अस्पताल में संक्रमण का ख़तरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में होम आइसोलेशन में रह रहे कुछ लोग घबरा रहे हैं। हम आपको बताते हैं कि होम आइसोलेशन में घबराने की बजाए आप कैसे रख सकते हैं अपना ख़्याल और कब आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत है।
अगर आपको कोरोना के हल्के फुल्के लक्षण हैं और आपने ख़ुद को घर पर ही आइसोलेट कर लिया है तो ये एक अच्छी बात है। क्योंकि कोरोना वायरस हमारे फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है इसलिए ज़रूरी है कि आप होम आइसोलेशन के दौरान अपना ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करते रहें।
- डॉक्टरों का मानना है कि सामान्य अवस्था में मरीज़ के सही ऑक्सीजन लेवल का पता नहीं चल पाता इसलिए मरीज़ को कम से कम छह मिनट तक तेज़ चाल यानि ब्रिस्क वॉक करने के बाद ही पल्स ऑक्सीमीटर से अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करना चाहिए।
- अगर छह मिनट चलने के बाद आपका ऑक्सीजन लेवल 94-95 प्रतिशत तक या इससे उपर है तो इसका मतलब आपके फेफड़े सही से काम कर रहे हैं।
- यदि घर के बुज़ुर्ग होम आइसोलेशन में हैं तो कम से कम तीन मिनट तक चलने के बाद ही उनके ऑक्सीजन लेवल को मापना चाहिए।
- हर चार से छह घंटे में अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते हैं।
- अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 94 प्रतिशत से कम जा रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- अगर आपके पास पल्स ऑक्सीमीटर नहीं है तो भी आप अपने ऑक्सीजन लेवल के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। ऐसे में 50 मीटर की दूरी तक कम से कम 15 से 17 बार चक्कर लगाने पर यदि आपको सांस फूलने की समस्या नहीं होती तो ये आपके फेफड़े के सही काम करने का संकेत है।
- शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए बीच बीच में पेट के बल सोएं जिसे प्रोनिंग पोज़िशन कहा जाता है।
- ध्यान रहे कि दिल के मरीज़, गर्भवती महिलाएं, अधिक मोटापे के शिकार लोग प्रोनिंग ना करें बल्कि बायीं तरफ़ करवट लेकर लेटें।