हमारे दिल तक जाने वाली धमनियों में लगातार कॉलेस्ट्रॉल जमा होता रहता है लेकिन जब कॉलेस्ट्रॉल का थक्का इतना ज्यादा जम जाए कि इससे धमनियों में ख़ून की आवाजाही रूक जाए, तो इसे हार्ट अटैक कहा जाता है। क्या हार्ट अटैक को भी मेजर और माइनर अटैक के तौर पर बांट कर देखा जा सकता है, बता रहे हैं डॉ अक्षय प्रधान, कार्डियोलॉजिस्ट।

क्या होता है मेजर हार्ट अटैक?

हमारे दिल की अलग-अलग मांसपेशियों तक ख़ून पहुंचाने का काम धमनियां करती हैं। इन धमनियों में जब किसी कारण से रक्त की गति बाधित होने लगती है तो ऐसे में दिल की उन मांसपेशियों को पंप करने के लिए ख़ून नहीं मिल पाता और मांसपेशियां डैमेज होने लगती हैं। अगर ये धमनियां पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती हैं तो इसे मेजर हार्ट अटैक कहा जाता है जिससे मरीज़ की जान भी सकती है। इस तरह के अटैक में ईसीजी में भी काफ़ी बदलाव देखने को मिलते हैं।

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क्या माइनर हार्ट अटैक कम घातक है?

वही माइनर हार्ट अटैक की बात करें तो इसमें भी धमनियों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और इससे मांसपेशियों को खून नहीं मिल पाता। लेकिन ऐसा देखा गया है कि इस तरह के अटैक में ईसीजी में बहुत अधिक बदलाव नहीं होते। इसे ही माइनर हार्ट अटैक कहते हैं। हालांकि, जब मांसपेशियों के डैमेज होने का टेस्ट जिसे ट्रोपोनिन टेस्ट कहते हैं, किया जाता है, तब जाकर हार्ट अटैक होने का पता चलता है।

क्या माइनर हार्ट अटैक से घबराने की ज़रूरत नहीं है?

नहीं, ऐसा नहीं है, मेजर हार्ट अटैक की तरह माइनर हार्ट अटैक में भी मरीज़ को सीने के बीचों बीच तेज़ दर्द होता है। सीने से शुरू होकर ये दर्द बाईं तरफ़ के जबड़े और हाथों तक भी पहुँच जाता है। साथ ही मरीज़ को बहुत पसीना आता है। ऐसा कहा जा सकता है कि माइनर हार्ट अटैक में मेजर हार्ट अटैक के मुकाबले थोड़ा कम दर्द हो सकता है लेकिन इसे भी पूरी गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक मेजर और माइनर हार्ट अटैक में बिल्कुल भी अंतर नहीं करना चाहिए क्योंकि दिल से जुड़ी समस्याएं हमेशा गंभीर होती हैं। हार्ट अटैक के कुछ मामलों में लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन ईसीजी में फ़र्क नज़र आता है वहीं कुछ हार्ट अटैक ऐसे भी होते हैं जिसमें बहुत ज्यादा लक्षण दिखाई देते हैं जबकि ईसीजी में ज्यादा बदलाव नहीं दिखता। इसलिए हार्ट अटैक कई तरह के हो सकते हैं।

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मेजर और माइनर हार्ट अटैक दोनों मेंं  बिना देर किए इलाज किया जाता है और इलाज का तरीका भी एक जैसा ही होता है। किसी भी तरह के हार्ट अटैक के मामले में मरीज़ को दवाइयां दी जाती हैं, आईसीयू में एडमिट किया जाता है और ज़रूरत पड़ने पर एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी भी की जाती है।

डिस्क्लेमर – मेजर और माइनर हार्ट अटैक के बीच अंतर और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर अक्षय प्रधान, कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Mild & Massive Heart Attacks, in Hindi, is based on an extensive interview with  Dr Akshaya Pradhan (Cardiologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.