फाइलेरिया को आम बोलचाल में हाथी पांव रोग भी कहा जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के पैर बहुत अधिक सूज जाते हैं। क्या है फाइलेरिया रोग का कारण और कैसे होता है इसका इलाज बता रहे हैं डॉ के एम एल श्रीवास्तव।

फाइलेरिया रोग क्या है? (What is Filariasis in Hindi)

फाइलेरिया रोग में मरीज़ को शरीर में बहुत ज़्यादा ठंड लगने के साथ बुखार आता है। बाउंचेरिया  बैंकरेप्टाइलअप नामक पैरासाइट शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। ये कीटाणु शरीर के अंदर मौजूद गिल्टियों में पनपते हैं। अधिकतर मरीज़ को रात के समय तेज़ ठंड लगती है और बुखार आता हैं, साथ ही शरीर और जोड़ों में दर्द भी रहता है। ये कीटाणु शरीर में इकट्ठे होकर सूजन पैदा करते हैं। सबसे ज्यादा सूजन पैरों में आती है। पैरों की सूजन कभी कभी अपने आप ही ठीक हो जाती है और कभी कभी इसका आकार बहुत बड़ा हो जाता है जिसे हाथी पांव के नाम से जाना जाता है।

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फाइलेरिया कितने प्रकार का होता है? (Types of Filariasis in Hindi)

पाइ लिया फाइलेरिया मुख्यता दूर रखा होता है जिसमे अंकित पहले तरह के फाइलेरियल देवगन के साथ बुखार आता है और मरीज के दवा लेने के बाद ये अपने आप ठीक हो जाता है। वही फाइलेरिया के दूसरे प्रकार को ही हाथीपांव कहा जाता है जिसमे पैरों में बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है। दरअसल अंकित पैरों की त्वचा के अंदर कीटाणु इकट्ठा हो जाते है और सूजन लगातार सूजन पैदा करते हैं। अंकित ये सूजन बढ़कर इतनी ज्यादा हो जाती है इसे अंकित हाथी पांव रोग कहा जाता है।

किस कारण से होता है फाइलेरिया? (Causes of Filariasis in Hindi)

इस रोग का कारण है मौत चेरिया बैकअप टाइप नाम के पैरासाइट जो मच्छरों के द्वारा हमारे शरीर अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जब मच्छर व्यक्ति को काटते है तब ये पैरासाइट रक्त में मिलकर शरीर के अंदर पहुँच जाते हैं। शरीर के अंदर मौजूद कृतियों में दिए पनपते हैं और समय के साथ अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं। एक बार जब इनकी संख्या बढ़ जाती है तो ये रक्त के जरिए पूरे शरीर में फैल जाते हैं।  फाइलेरिया का अटैक अधिकतर रात के समय ही होता गिफ्ट में मरीज को पहले कँपकँपी के साथ तेज ठंड लगती है और फिर बुखार चढ़ता है।

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फाइलेरिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Filariasis in Hindi)

कँपकँपी के साथ तेज ठंड लगना और बाद में बुखार आना इसके प्रमुख लक्षण है।

फाइलेरिया का इलाज (Treatment of Filariasis in Hindi)

फाइलेरिया का इलाज करने से पहले मरीज के रक्त की जांच की जाती है। अंकित इस जांच के लिए मरीज का ब्लड सैंपल रात में सोते समय ही लिया जाता है क्योंकि सोते समय ये पैरासाइट अधिक मूवमेंट करते हैं। माइक्रोफाइलेरिया पॉजीटिव आने पर इस रोग की पुष्टि हो जाती है। इलाज के लिए मरीज को बुखार कु दवाई दी जाती है जिसमें इस बात का खयाल रखना पड़ता है कि कँपकँपी के समय कभी भी बुखार कम करने के लिए दवाई नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे मरीज का मरीज के शरीर का तापमान और भी कम हो सकता है। इसके अलावा पैरों की सूजन से हाथीपांव फीलपांव कहा जाता है कम करने के लिए हफ्ते में दो बार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। पैरों की सूजन कम करने के लिए कुछ पाउडर भी दिए जाते हैं जिससे मरीज के पैरों को फेंका जाता है। कभी कभी मरीज के पैरों में सूजन की वजह से भाव भी हो जाते हैं इसे ठीक करने के लिए दवाइयां भी जाते हैं। इस रूप में हाथी पांव या फीलपांव रूम में लापरवाही नहीं करनी चाहिए थी सूजन के कारण कभी कभी गैंगरीन नाम की बीमारी भी हो जाती है जिसके कारण पांव के उस हिस्से को काटने की नौबत आ सकती है।

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इस रोग से कैसे बचें? (Prevention of Filariasis in Hindi)

अंकित क्योंकि फाइल या से पर साइट मश्रूं द्वारा ही शरीर में प्रवेश करते हैं इसलिए मच्छरों से बचकर रहना चाहिए। हमारे देश एक कुछ क्षेत्रों में फाइलेरिया के किसानों की बेल्ट है जहाँ इनकी संख्या बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है इसलिए ऐसी जगहों पर जाने से बचना चाहिए।

क्या फाइलेरिया जानलेवा रोग है? (Is Filariasis a fatal disease in Hindi)

अंकित फाइल फाइल यारो के कारण पैरों हूँ गैंगरीन हो सकता है जिसके कारण पैरों को काटने की नौबत आ सकती है और ये मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके अलावा अगर उसके कितने दिल मैं इकट्ठे हो जाते हैं तो दिल का दौरा पड़ सकता है साथी दिमाग में इकट्ठे होने पर ब्रेन हेमरेज हो सकता है और ये सभी स्थितियां घातक होती है।

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s Advice in Hindi)

मच्छरों से बचने के सभी उपाय करें जैसे कि मच्छरदानी लगाएं और फूल पूरे बाजू के कपड़े पहनो साथी एस जगहों पर न जाएं जहाँ फाइलें से किसानों अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

डिस्क्लेमर – फाइलेरिया रोग यानी हाथी पांव चीन पांव के , कारण और इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर के एम एल श्रीवास्तव, सीनियर सर्जन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Filariasis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr KML Srivastava (Senior Surgeon) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.