वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट यानि वीएसडी बच्चों में होने वाला एक जन्मजात रोग है। इसे आम भाषा में दिल में छेद होना कहते हैं। इस रोग के कारण बच्चे की ग्रोथ प्रभावित होती है। छेद का आकार छोटा या बड़ा हो सकता है और इसी आधार पर सर्जरी की आवश्यकता तय की जाती है। बच्चे में इस तरह की परेशानी होने पर कई माता-पिता घबरा जाते हैं लेकिन ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए, बता रहे हैं डॉ कृष्ण कुमार यादव।
- दिल में छेद (VSD) होने का क्या मतलब है?
- सिर्फ़ बच्चों को होती है ये बीमारी
- दिल में छेद होने के क्या कारण हैं?
- बच्चों में कौन से लक्षण दिखते हैं?
- बच्चों को क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
- इलाज कैसे होता है?
- क्या सर्जरी कराना ज़रूरी है?
- क्या इस जन्मजात रोग से बचाव संभव है?
दिल में छेद (VSD) होने का क्या मतलब है? (What is VSD in Hindi)
वेंट्रिकल सेप्टल डिफेक्ट हृदय से जुड़ा एक जन्मजात रोग है जिसमें हृदय अपने सामान्य तरीक़े से काम नहीं कर पाता है। हमारे हृदय में चार चैम्बर होते हैं जो एक सेप्टेम द्वारा अलग-अलग बंटे होते हैं। किसी कारणवश जब इस सेप्टम में छेद या फिर किसी प्रकार का डिफेक्ट हो जाता है तो इससे शुद्ध और अशुद्ध रक्त आपस में मिल जाते हैं। यही नहीं, रक्तचाप भी ऊपर-नीचे होता रहता है जिसके कारण हृदय सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता। इस रोग को कंजेनाइटल हार्ट डिज़ीज़ यानि जन्मजात हृदय रोग कहा जाता है।
सिर्फ़ बच्चों को होती है ये बीमारी? (Are only the children affected in Hindi)
क्योंकि यह एक जन्मजात रोग है इसलिए ये बच्चों में ही पाया जाता है। अगर ये छेद बहुत छोटा हो तो सामान्यतः कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। हालांकि, बड़े होने पर किसी जांच में छेद होने का पता चलता है। बहुत छोटे छेद को एएसडी यानि एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहा जाता है।
दिल में छेद होने के क्या कारण हैं? (Causes of VSD in Hindi)
जन्मजात हृदय रोग होने के कई कारण हैं जिसमें अधिकतर जेनेटिक हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान महिला को किसी तरह का इन्फेक्शन जैसे कि मीज़ल्स, मम्स या रुबेला हो जाने पर भी बच्चे को ये रोग हो सकता है। अनियंत्रित डायबिटीज़ या गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ होना भी इसका कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन या अधिक धूम्रपान करने पर भी बच्चे के हृदय में इस प्रकार की गड़बड़ी हो सकती है।
बच्चों में कौन से लक्षण दिखते हैं? (What are the symptoms seen in children in Hindi)
बच्चों का नीला पड़ना इसका सबसे मुख्य लक्षण है। इस रोग से ग्रसित बच्चों के नाख़ून, होंठ, जीभ और आंखें नीली या फिर काली दिखती हैं। नवजात शिशु को स्तनपान करते समय पसीना आना या फिर ठीक से स्तनपान नहीं कर पाना भी प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा, बच्चे को बार-बार निमोनिया होना और सही प्रकार से उसके शरीर का विकास न होना भी इस रोग की तरफ़ इशारा करते हैं। इस रोग की पुष्टि इकोकार्डियोग्राफी द्वारा की जाती है।
बच्चों को क्या दिक्कतें हो सकती हैं? (What are the complications in Hindi)
कंजेनाइटल हार्ट डिज़ीज़ यानि जन्मजात हृदय रोगों में वीएसडी सबसे आमतौर पर पाया जाने वाला रोग है। इसके कारण बच्चों की ग्रोथ ठीक प्रकार से नहीं हो पाती, उन्हें बार-बार निमोनिया होता है और दूसरी बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे कि मैनिंजाइटिस। सही समय पर इलाज न कराने के कारण बच्चों में हार्ट फेल्योर की समस्या भी देखी जाती है। इसके अलावा, पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है जो कि सबसे घातक साबित हो सकता है और इसमें किसी तरह की सर्जरी भी काम नहीं आती। इलाज कैसे होता है?
इलाज कैसे होता है? (How is the treatment done in Hindi)
कुछ मामलों में जिनमें ये छेद छोटे होते हैं वे अपने आप एक साल के अंदर भर जाते हैं और ऐसे में किसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, अगर ये छेद एक साल के बाद भी ना भरे तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा, कुछ मामलों में जिनमें किसी प्रकार का रिस्क नज़र आता है तो उसे देखते हुए एक साल से पहले भी सर्जरी की जाती है। सर्जरी द्वारा इस छेद को भर दिया जाता है ताकि ह्रदय सामान्य रूप से काम करने लगे।
क्या सर्जरी कराना ज़रूरी है? (Is surgery necessary in Hindi)
अगर बच्चों का खान-पान अच्छा रखा जाए, नियमित रूप से वैक्सीनेशन कराया जाए और साथ ही उन्हें इन्फेक्शन से बचाया जाए तो ऐसे में एक साल के अंदर बच्चों के ये छेद अपने आप भर जाते हैं। लेकिन एक साल के बाद इसके अपने आप भर जाने की क्षमता कम हो जाती है और ऐसे में सर्जरी कराना आवश्यक होता है। ऐसे बच्चे जिनमें हार्ट फेल्योर और पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन का रिस्क अधिक होता है उनमें एक साल से पहले भी सर्जरी की सलाह दी जाती है।
क्या इस जन्मजात रोग से बचाव संभव है? (Is it possible to prevent VSD in Hindi)
वीएसडी जैसे जन्मजात हृदय रोग से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान महिला को किसी भी तरह के इन्फेक्शन जैसे कि मीजल्स, मम्स और रूबेला से बचाव करना चाहिए। इसके अलावा, डायबिटीज़ को नियंत्रित रखना चाहिए और सही डाइट लेनी चाहिए।
डिसक्लेमर- वेंट्रिकल सेप्टल डिफेक्ट यानि दिल में छेद होने के लक्षण, कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर कृष्णकुमार यादव, बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Ventricle Septal Defect (VSD), in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Krishna Kumar Yadav (Paediatrician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.