बच्चे के जन्म के बाद माता-पिता पर कई तरह की ज़िम्मेदारियां आ जाती हैं, विशेषकर माँ की व्यस्तता और भी बढ़ जाती है। इससे महिलाओं की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर असर पड़ता है। कभी-कभी मानसिक और शारीरिक थकान की वजह से महिलाएं डिप्रेशन में भी चली जाती हैं जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे बचें, बता रही हैं डॉ फराह आदम।
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन क्या होता है?
कितने दिनों तक रह सकता है डिप्रेशन?
डिलीवरी के बाद हुए डिप्रेशन के लक्षण
डिप्रेशन का इलाज कैसे होता है?
क्या पिता को भी होता है डिप्रेशन?
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन क्या होता है? (What is Postpartum Depression in Hindi)
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक ऐसा विषय है जिसके बारे में हमारा समाज जागरूक नहीं हैं और इस पर बात करना भी लोगों को अजीब लगता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन का मतलब है डिलीवरी के बाद होने वाला डिप्रेशन। आम तौर पर ये समझा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद एक माँ बहुत खुश होती है और अपने सारे दुख भूल जाती है। लेकिन बच्चे के जन्म के साथ ही उस पर एक साथ कई तरह की ज़िम्मेदारियां भी आ जाती हैं। घर के कामों के अलावा बच्चे की देखभाल करना एक बहुत बड़ा काम है। ऐसे में एक माँ अपना ध्यान ठीक से नहीं रख पाती, शारीरिक थकान और नींद पूरी न होना एक आम बात हो जाती है। इस तरह की शारीरिक थकान और मानसिक परेशानी के कारण महिला को डिप्रेशन भी हो सकता है। डिप्रेशन के कारण महिला अपने साथ-साथ बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकती है। दूसरे देशों में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें डिप्रेशन की वजह से महिलाएं अपने बच्चे को नुकसान पहुंचा देती हैं। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को पोस्टपार्टम रेज भी हो सकता है जिसमें महिला को बहुत तेज़ गुस्सा आता है। वहीं कुछ महिलाओं को पोस्टपार्टम साइकोसिस भी हो सकता है जो एक मेडिकल इमरजेंसी है क्योंकि इसमें महिला अपने जीवन और अस्तित्व को नहीं पहचान पाती। अगर इस तरह की स्थिति किसी भी महिला के साथ होती है तो ऐसे में बिना देर किए तुरंत किसी साइकेट्रिस्ट से संपर्क करना चाहिए। ऐसी महिलाएं जो अपने बारे में ये जानना चाहती हैं कि उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन है या नहीं वो एडिनबर्ग स्केल में पूछे गए प्रश्नों के जवाब देकर अपनी स्थिति का पता लगा सकती हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध एडिनबर्ग स्केल पर इसमें पूछे गए सवालों के जवाब देकर ये समझ सकती हैं कि उन्हें किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ की आवश्यकता है या नहीं।
कितने दिनों तक रह सकता है डिप्रेशन? (How long can depression last in Hindi)
डिलीवरी के बाद हुआ डिप्रेशन हर एक महिला में अलग-अलग समय तक रह सकता है। कुछ महिलाएं अपना ध्यान रखते हुए इसे कंट्रोल कर लेती हैं जबकि कुछ महिलाओं में ये साल भर से अधिक समय तक भी रह सकता है। कई केस में तो ये कई सालों तक भी जारी रह सकता है और महिला को इसके बारे में खुद भी पता नहीं चलता।
डिलीवरी के बाद हुए डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Postpartum Depression in Hindi)
महिला का गुमसुम और चुपचाप रहना, बात-बात पर रो देना और बहुत अधिक गुस्सा करना पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण होते हैं। कभी-कभी ये सारे लक्षण उन महिलाओं में भी दिखते हैं जिनकी नींद पूरी नहीं हो पाती इसलिए यदि किसी महिला में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उन्हें आराम और नींद की सख्त ज़रूरत है और उन्हें ऐसा करने देना चाहिए। यदि महिला अच्छी नींद लेने के बाद नॉर्मल हो जाती है तो शायद उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन ना हो।
डिप्रेशन का इलाज कैसे होता है? (How is depression treated in Hindi)
इस तरह के डिप्रेशन का इलाज मनोचिकित्सक मरीज़ की हालत और उसके रिस्क को देखते हुए अलग-अलग तरीक़े से करते हैं। इसमें मरीज़ को एंटी डिप्रेशन दवाइयां और साथ ही थेरेपी भी दी जाती है। दवाइयों के साथ-साथ थेरेपी बेहद ज़रूरी है जिसमें महिला के बिहेव्यर और सोच को बदलने का प्रयास किया जाता है।
क्या पिता को भी होता है डिप्रेशन? (Does the father also have depression in Hindi)
जी हाँ, बच्चे के जन्म के बाद न केवल माँ पर बल्कि पिता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है और उन्हें भी डिप्रेशन हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे के जन्म से पहले पति-पत्नी एक दूसरे को पूरा समय दे पाते हैं और एक दूसरे का ध्यान रखते हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद माँ का ज़्यादातर ध्यान अपने बच्चे की तरफ़ चला जाता है जिससे बच्चे के पिता को एक खालीपन महसूस हो सकता है। इसके अलावा, बच्चे की देखभाल और घर की ज़िम्मेदारियां आने से उनमें भी चिड़चिड़ापन हो सकता है। मेडिकल साइंस के अनुसार जिस तरह दूध पिलाने पर एक माँ को मानसिक रूप से अच्छा महसूस होता है उसी तरह एक पिता में भी अपने बच्चे के आस-पास रहने पर हार्मोन्स निकलते हैं जो उसे अच्छा महसूस करवाते हैं।
इसकी गंभीरता को कैसे समझें? (How to understand its seriousness in Hindi)
इसकी सबसे गंभीर बात ये है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण माँ और बच्चे की जान भी जा सकती है। अमेरिका जैसे देश में इस तरह के काफ़ी केस देखे गए हैं जिसमें माँ अपने बच्चे और अपने आप को नुकसान पहुंचा देती हैं। इसके अलावा, मां के हमेशा डिप्रेशन में रहने का असर बच्चे पर भी पड़ता है और आगे चलकर उन्हें डायबिटीज़ और मोटापा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे बच्चों को भविष्य में सगे-संबंधियों, दोस्तों और लाइफ पार्टनर के साथ ट्रस्ट इश्यू हो सकते हैं। ऐसे बच्चे किसी पर भरोसा नहीं कर पाते क्योंकि बचपन में उन्हें माँ से मिलने वाले प्यार और भरोसे की कमी महसूस होती है।
डिप्रेशन की स्थिति में आने से कैसे बचें? (How to avoid getting into a state of depression in Hindi)
डिलीवरी के बाद एक महिला के शरीर में काफ़ी बदलाव आते हैं जैसे कुछ महिलाओं का वज़न बढ़ जाता है, पेट में स्ट्रेच मार्क्स होते हैं और महिला थकी हुई लगती है। ऐसा होना बहुत स्वाभाविक है। इसलिए ऐसी किसी बात पर महिला को ध्यान नहीं देना चाहिए और खु़श रहना चाहिए। ऐसी महिलाएं जो जॉब करती हैं उन्हें अगर पूरी तरह फिट महसूस न हो रहा हो तो वे अपनी मैटरनिटी लीव बढ़ा सकती हैं और आराम कर सकती हैं। इसके अलावा, महिलाएं ऐसे समय पर अपने सास-ससुर, माता-पिता, भाई-बहन या किसी अन्य सदस्य की मदद लेकर बच्चे का ख़्याल रखने में मदद ले सकती हैं जिससे उसे भी आराम मिल सकता है।
Dr Farah Adam Mukadam is a family physician. She is also the best-selling author of the book ‘New Borns and New Moms: An Urban Indian Mother’s Guide to Life after Childbirth’. You can get a copy of her book here: https://amzn.to/3rFt4S4
डिस्क्लेमर-पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण, कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर फराह आदम मुकद्दम, जनरल फिजिशियन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Postpartum Depression, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Farah Adam Mukadam (General Physician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.