आईवीएफ तकनीक द्वारा कई दंपत्ति माता-पिता बन चुके हैं। लेकिन आज भी आईवीएफ के बारे में लोगों को अनेक प्रकार के भ्रम हैं जैसे कई लोग ये मानते हैं कि आईवीएफ प्रोसेस में काफ़ी दर्द होता है और इससे हमेशा जुड़वा बच्चों का ही जन्म होता है। क्या लोगों का ऐसा सोचना सही है? बता रही हैं डॉ सुलभा अरोड़ा।
- आईवीएफ से डरे नहीं गर्भ धारण करने का आसान तरीक़ा है आईवीएफ
- क्या आईवीएफ से गर्भ धारण करने पर जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं?
आईवीएफ से डरे नहीं गर्भ धारण करने का आसान तरीक़ा है आईवीएफ (IVF is an easy way to get pregnant in Hindi)
जब एक महिला प्राकृतिक तौर पर गर्भधारण नहीं कर पाती तो ऐसे में आईवीएफ और आईयूआई जैसी तकनीक गर्भधारण में मदद करती हैं। आईवीएफ और आईयूआई जैसी तकनीक एक महिला को केवल गर्भधारण करने में मदद करती हैं और इसमें किसी भी प्रकार का दर्द होना या दूसरी तकलीफ़ें होने जैसी भ्रांतियां गलत हैं। आईवीएफ तकनीक से गर्भवती होने के लिए केवल शुरुआत के 10 दिनों में 10 इंजेक्शन लेने पड़ते हैं यानि हर दिन एक इंजेक्शन महिला को लगाया जाता है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि इंजेक्शन की सूई मोटी होती है और इसमें दर्द होता है तो ये भी ग़लत बात है क्योंकि ये इंजेक्शन बाकी सामान्य इंजेक्शन की तरह ही होते हैं और इसमें भी वही हल्की सी चुभन होती है जो दूसरे इंजेक्शन से हो सकती है।
क्या आईवीएफ से गर्भ धारण करने पर जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं? (Are twins born in case of pregnancy through IVF in Hindi)
लोगों का ये भी मानना है कि आईवीएफ तकनीक द्वारा गर्भधारण करने पर एक महिला को जुड़वां बच्चे ज़रूर पैदा होते हैं। कई मामलों में ऐसा होते देखा भी गया है। डॉक्टरों की मानें तो ऐसा तब हो सकता है जब महिला के अंदर दो भ्रूण डाले गए हों। लेकिन यदि महिला के अंदर केवल एक ही भ्रूण डाला गया हो और वह अंदर चिपक कर विकास करने लगे तो इससे एक ही बच्चे का जन्म होगा। कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि एक ही भ्रूण डालने के बावजूद वह अंदर विभाजित होकर दो बन जाए, ऐसे में जुड़वा बच्चे हो सकते हैं। कभी-कभी दो या दो से अधिक भ्रूण भी कामयाब नहीं हो पाते और कभी एक भ्रूण भी विकसित हो जाता है। अब इससे जुड़े आंकड़ों की बात करें तो यदि 100 महिलाओं के अंदर दो भ्रूण ट्रांसफर किए गए हैं तो इन में से 30 से 40 महिलाओं को ही जुड़वा बच्चे होने की संभावना रहती है जबकि 60 से 70 महिलाओं को एक ही बच्चा होता है। आईवीएफ तकनीक द्वारा दो से अधिक भ्रूण ट्रांसफर करवाना उचित नहीं है क्योंकि अगर ये सभी भ्रूण चिपक कर विकसित हो गए तो ये प्रेगनेंसी कामयाब नहीं हो सकती क्योंकि महिला के गर्भाशय में इतनी जगह नहीं होती कि वे एक साथ इतने बच्चों के लिए जगह बना सके। ज़्यादा से ज़्यादा महिला का गर्भाशय स्ट्रेच करके दो बच्चों के लिए जगह बना लेता है। इसलिए अच्छा यह है कि केवल एक या दो ही भ्रूण ट्रांसफर किए जाएं ताकि एक या फिर अधिक से अधिक दो बच्चों का ही जन्म हो।
डिस्क्लेमर – आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करने से जुड़ी भ्रांतियों पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर सुलभा अरोड़ा, स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ स्पेशलिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Myths about IVF, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Sulbha Arora (Gynaecologist & IVF Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.