Swasthya Plus Hindi

बच्चों को क्यों होता है सेरेब्रल पाल्सी रोग?

Dr Shweta Pandey on Cerebral Palsy in Hindi

सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क से जुड़ा एक रोग है जो बच्चो में कई कारणों से हो सकता है। सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बता रही हैं डॉक्टर श्वेता पांडेय।

क्या होता है सेरेब्रल पाल्सी? (What type of disease is Cerebral Palsy in Hindi)

सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क से जुड़ा रोग है जो बच्चे के विकसित हो रहे मस्तिष्क में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण होता है। गर्भावस्था से लेकर जन्म के समय और जन्म के कुछ ही दिनों बाद अगर बच्चों में इंफेक्शन के कारण, किसी रोग के कारण या फिर चोट लगने के कारण मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है तो बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी हो सकता है। इस रोग के कारण बच्चों की मांसपेशियों की मूवमेंट में विकृति आ जाती है। साथ ही ब्रेन में कितनी चोट पहुंची है या वो कितना प्रभावित हुआ है उसके अनुसार बच्चे की इंटेलिजेंस में भी फ़र्क आता है।

कितने तरह का होता है ये रोग? (Types of Cerebral Palsy in Hindi)

सेरेब्रल पाल्सी मुख्यत: तीन प्रकार का होता है।

  1. इसका सबसे पहला और आमतौर पर पाया जाने वाला रोग है स्पैस्टिकल सेरेब्रल पाल्सी जिसमें बच्चों के मुख्य तौर पर पैर प्रभावित होते हैं। बच्चों के पैरों में जकड़न हो जाती है जिसके कारण वो ठीक से चल नहीं पाते।
  2. दूसरे प्रकार की बात करें तो इसे डिसटानिक सेरेब्रल पाल्सी कहा जाता है जिसमें पूरे शरीर में रह रहकर अकड़न होती है। इसमें शरीर के किसी भी अंग जैसे कि हाथ, पैर या फिर गर्दन में अकड़न होती है जिसके कारण उस अंग की मूवमेंट नहीं हो पाती।
  3. इसके तीसरे प्रकार को एथेटाइड सेरेब्रल पाल्सी कहा जाता है जिसमें अंगों के मूवमेंट पर कंट्रोल नहीं होता बल्कि वे अपने आप इधर-उधर हो जाते हैं।

किन कारणों से होता है सेरेब्रल पाल्सी? (Causes of Cerebral Palsy in Hindi)

बच्चे का दिमाग़ जिस समय विकसित हो रहा होता है उस दौरान किसी प्रकार से उसे क्षति होने पर ये रोग हो जाता है। ऐसा गर्भावस्था के दौरान, बच्चे के जन्म के दौरान या फिर जन्म के कुछ दिनों बाद भी हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को किसी तरह का इंफेक्शन हो जाए और उससे बच्चे के मस्तिष्क को क्षति पहुंचे तो बच्चे को ये रोग हो जाता है। इसके अलावा, बच्चे के जन्म के दौरान अगर उसे ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो ऐसे में उसका मस्तिष्क प्रभावित होता है और सेरेब्रल पाल्सी का कारण बनता है।

बच्चों में क्या लक्षण नज़र आते हैं? (What are the symptoms seen in a child in Hindi)

सेरेब्रल पाल्सी के कारण बच्चे की ग्रोथ आम बच्चों जैसी नहीं हो पाती। बच्चा माँ का दूध ठीक से ग्रहण नहीं कर पाता, छह महीने का होने पर भी वो ठीक से बैठ नहीं पाता, चलने की उम्र में वह चलना शुरू नहीं कर पाता। अगर वह चलने की कोशिश भी करता है तो उसके पैरों में अकड़न दिखाई देती है। दो ढ़ाई साल की उम्र में अगर बच्चे की बोलने की क्षमता विकसित न हो या फिर बाकी बच्चों की तरह उसकी पढ़ने-लिखने और दूसरे कामों को करने की क्षमता ना हो तो ऐसे में सेरेब्रल पाल्सी होने का संदेह होता है।

परीक्षण कैसे किया जाता है? (How is it diagnosed in Hindi)

वैसे तो परीक्षण का आधार क्लिनिकल होता है और लक्षणों से ही इसकी पहचान हो जाती है लेकिन इसके अलावा, सी टी स्कैन और एमआरआई से भी मस्तिष्क की संरचना और उसमें हुई क्षति का पता लगाया जाता है। इसके अलावा, अन्य किसी प्रकार की जांच की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सेरेब्रल पाल्सी का इलाज कैसे होता है? (Treatment of Cerebral Palsy in Hindi)

सेरेब्रल पाल्सी का इलाज वैसे तो मौजूद नहीं है लेकिन क्योंकि इसमें बच्चों के अंदर अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं जैसे कि ठीक से न चल पाना, हाथ-पैर में अकड़न, कंपकंपी, मिर्गी आना वगैरह तो इन्हें कम करने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं। कुछ मामलों में सर्जरी भी होती है। इन सभी से बच्चे की शारीरिक दिक्कत थोड़ी बहुत दूर की जा सकती है लेकिन दिमाग़ी तौर पर हुई क्षति को ठीक करने का कोई इलाज मौजूद नहीं है। हाँ गर्भावस्था के दौरान रेगुलर चेकअप और सुपरवाइज्ड डिलिवरी के द्वारा दिमाग़ को क्षति होने से बचाया जा सकता है।

सेरेब्रल पाल्सी के कारण होने वाली जटिलताएं (Complications due to cerebral palsy in Hindi)

ऐसे बच्चों में बार-बार मिर्गी का दौरा पड़ते देखा जाता है। इसके अलावा, पूरे शरीर में अकड़न होने से बच्चे की मूवमेंट कम होने पर निमोनिया का ख़तरा भी बढ़ जाता है। साथ ही बार-बार इन्फेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। हालांकि, इन सभी जटिलताओं को दवाइयों के द्वारा थोड़ा कम किया जा सकता है।

क्या मरीज़ की जान को ख़तरा हो सकता है? (Is it a fatal disease in Hindi)

मस्तिष्क को हुई क्षति अगर बहुत ही गंभीर हो तो ऐसे में जान का ख़तरा हो जाता है। इसके अलावा, ऐसे बच्चों की दूसरे बच्चों की तुलना में ग्रोथ नहीं होती और जीवन की अवधि भी कम होती है।

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s Advice in Hindi)

गर्भवती महिलाओं को शुरुआत से ही अपनी जांच करवानी चाहिए ताकि किसी भी तरह के वायरल इन्फेक्शन का पहले ही पता किया जा सके। टॉर्च इन्फेक्शन एक तरह का वायरल इंफेक्शन है जो सेरेब्रल पाल्सी होने का एक मुख्य कारण है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को सभी तरह के वैक्सीनेशन अवश्य लगवाने चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी डिलीवरी डॉक्टर की देखरेख में सही तरीक़े से हो।

डिसक्लेमर-सेरेब्रल पाल्सी रोग के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ श्वेता पांडेय, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Cerebral Palsy, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Shweta Pandey (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.

Exit mobile version