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अटैक्सिया- बैलेंस और को-आर्डिनेशन की कमी

Ataxia in Hindi
अटैक्सिया- कारण, लक्षण, इलाज | Dr Shweta Pandey on Ataxia in Hindi | Causes & Symptoms

हमारे शरीर में नसों का एक जाल होता है जिसके बहुत सारे काम होते हैं जिनमें से एक है सिग्नल्स को दिमाग़ तक पहुंचाना। कुछ कारणों से जब ये नसें ठीक तरह से काम नहीं करती या यूं कहें कि न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है तो व्यक्ति को बैलेंस और कॉर्डिनेशन करने में दिक्कत आती है। बैलेंस और कॉर्डिनेशन की कमी की वजह से वह कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाता। इस बीमारी को अटैक्सिया कहते हैं,  अटैक्सिया के बारे में बता रही हैं डॉ श्वेता पांडेय।

अटैक्सिया कैसी बीमारी है? (What is Ataxia in Hindi)

अटैक्सिया एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जिसमें व्यक्ति को संतुलन बनाने में परेशानी होती है। दरअसल, हम जो भी काम करते हैं वो एक कोऑर्डिनेटेड एक्ट होता है यानि कोई भी काम हम दिमाग और शरीर के अंगों के बीच तालमेल से कर पाते हैं। लेकिन अटैक्सिया नामक बीमारी में साधारण से काम करने में भी दिक्कत होती है जैसे खाना-पीना, चलना वगैरह। अटैक्सिया एक हाथ या एक पैर या फिर दोनों हाथ और दोनों पैरों के अलावा शरीर के दूसरे अंगों में भी हो सकता है।

अटैक्सिया के प्रकार और कारण (Types of Ataxia in Hindi)

अटैक्सिया दो प्रकार का होता है जिसमें से एक है सेरेब्रल अटैक्सिया जो दिमाग़ के पिछले हिस्से सेरिबलम में किसी इंफेक्शन के कारण होता है। दूसरे प्रकार के अटैक्सिया को सेंसरी अटैक्सिया कहते हैं जो आमतौर पर पाया जाता है। विटामिन बी 12 की कमी के कारण सेंसरी अटैक्सिया होता है। विटामिन बी 12 हमारी नसों और स्पाइनल कॉर्ड के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और ये केवल मांसाहारी भोजन में ही मिलता है इसलिए ये अटैक्सिया  अधिकतर शाकाहारी लोगों में पाया जाता है। नसों और स्पाइनल कॉर्ड को क्षति पहुंचने से सेंसरी अटैक्सिया होता है। इसमें अक्सर लोगों को अंधेरे में चलने में दिक्कत आती है यानि रौशनी कम होने पर चलने में परेशानी होती है। इसके अलावा, सिफलिस नामक इन्फेक्शन से भी अटैक्सिया हो जाता है। सेरिब्रल और सेंसरी अटैक्सिया दोनों ही जेनेटिक भी हो सकते हैं और एक्वायर्ड भी।

कौन से लक्षण पाए जाते हैं? (Symptoms of Ataxia in Hindi)

सेरेब्रल अटैक्सिया का मुख्य कारण है शराब का अत्यधिक सेवन। जो लोग लंबे समय तक शराब का सेवन करते हैं उनके मस्तिष्क का पिछला हिस्सा डैमेज हो जाता है और इसके कारण सेरेब्रल अटैक्सिया होता है। ऐसे लोगों को बैलेंस और कोआर्डिनेशन करने में दिक्कत आती है।‌ किसी भी काम को करने में उनके हाथ-पांव कांपते हैं, चीज़ों को पकड़ नहीं पाते या ठीक से चल नहीं पाते वगैरह।

क्या ये एक आम बीमारी है? (Is this a common disease in Hindi)

अटैक्सिया एक आम बीमारी नहीं है और इसलिए इसके बारे में लोग जागरूक भी नहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक 1,00,000 में करीब 50 लोगों को अटैक्सिया होने की संभावना रहती है। बच्चों को अटैक्सिया अनुवांशिक कारणों से ही होता है जबकि बड़े और बुजुर्गों में ये किसी इन्फेक्शन या दूसरे कारणों से हो सकता है। शराब के अत्यधिक सेवन और न्यूट्रिशन की कमी से या फिर किसी इंफेक्शन के कारण सेरेब्रल अटैक्सिया होता है जबकि सेंसरी अटैक्सिया होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है विटामिन बी 12 की कमी होना।

क्या है अटैक्सिया का इलाज? (Treatment of Ataxia in Hindi)

अनुवांशिक तौर पर हुए अटैक्सिया का वैसे तो कोई इलाज मौजूद नहीं है लेकिन दूसरे कारणों से होने पर उन कारणों का निवारण किया जाता है जैसे अगर किसी इंफेक्शन के कारण अटैक्सिया हुआ है तो इन्फेक्शन को दूर किया जाता है, दवाइयों के साइड इफेक्ट्स होने पर उन दवाइयों को कम किया जाता है। इसके अलावा, लोगों को शराब का सेवन नहीं करने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि इससे सेरेबलम को क्षति पहुंचती है और ये अटैक्सिया का कारण बनता है।

अटैक्सिया होने से रोक सकते हैं? (Prevention of Ataxia in Hindi)

जेनेटिक अटैक्सिया को होने से रोका नहीं जा सकता है क्योंकि ये प्राकृतिक तौर पर व्यक्ति को हो जाता है जबकि दूसरे कारणों से अटैक्सिया होने पर उन कारणों का निवारण करके इसे रोका जा सकता है।

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s Advice in Hindi)

किसी भी बच्चे, बड़े या बुजुर्ग में अगर अटैक्सिया के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए। ख़ासकर बच्चों में अगर इस तरह की दिक्कत होती है तो समय रहते ही उनकी फिजियोथेरेपी, ट्रेनिंग, मसल बैलेंसिंग जैसी चीज़ों का सहारा लेकर अटैक्सिया को कंट्रोल किया जा सकता है। हालांकि, जेनेटिक अटैक्सिया का कोई इलाज मौजूद नहीं है।

डिसक्लेमर – अटैक्सिया रोग के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ श्वेता पांडे, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Ataxia, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Shweta Pandey (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.

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