सिफलिस एक यौन संचारित गंभीर रोग है जो पुरुष या महिला किसी को भी हो सकता है। ये यौन संबंधी कई कारणों से फैलता है जिससे इसके बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस रोग के बारे में अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है। सिफलिस के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉ के पी मॉल।
- कितना ख़तरनाक रोग है सिफलिस?
- किन कारणों से फैलता है ये रोग?
- सिफलिस के लक्षण और जटिलताएं
- क्या है सिफलिस का इलाज?
- क्या ये जानलेवा हो सकता है?
- सिफलिस से बचाव के लिए क्या करें?
कितना ख़तरनाक रोग है सिफलिस? (How dangerous is syphilis in Hindi)
सिफलिस एक यौन संचारित रोग है जो ट्रिपलोमा पैलेडियम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। सिफलिस होने की अधिक संभावना उन सभी स्त्रियों और पुरुषों को होती है जो सेक्शुअली एक्टिव होते हैं, जिनके एक से अधिक पार्टनर होते हैं या फिर जो असुरक्षित यौन संबंध रखते हैं। सिफलिस को चार स्टेज में बांटकर देखा जाता है जिनमें प्राइमरी, सेकेंडरी, लेटेंट ओर टर्शियरी स्टेज होते हैं। इस रोग के कारण जननांगों में बिना दर्द वाला अल्सर यानि चैनक्रे बन जाता है।
किन कारणों से फैलता है ये रोग? (How does syphilis spread in Hindi)
सिफलिस केवल दो कारणों से ही एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। क्योंकि यह एक यौन संचारित रोग है इसलिए इसका सबसे मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध ही है। दूसरा कारण यह है कि यदि जननांगों के पास बना चैनक्रे किसी कारण से छिल जाए और उसमें मौजूद बैक्टीरिया के संपर्क में कोई व्यक्ति आ जाए तो ऐसे में ये उसे भी हो सकता है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह इन्फेक्शन शरीर के किसी भी अंग जैसे लिवर, ह्रदय, आँखें, मांसपेशियां और तंत्रिका तंत्र वगैरह को प्रभावित कर सकता है
सिफलिस के लक्षण और जटिलताएं (Symptoms & complications of syphilis in Hindi)
जननांगों में चैनक्रे यानि बिना दर्द वाला अल्सर बनना, बुखार, बदनदर्द, कमज़ोरी और थकान जैसे कई शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। जबकि इसकी जटिलताओं की बात करें तो ये इन्फेक्शन शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। यह आँखों में पहुंच कर अंधापन कर सकता है, तंत्रिका तंत्र में पहुँचकर पैरालिसिस कर सकता है, दिल में पहुँच कर हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह किडनी, लिवर, मांसपेशियां वगैरह को भी प्रभावित करता है। हालांकि, बीमारी की शुरुआत के बाद इस तरह की जटिलताओं तक पहुंचने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। इसलिए समय रहते इसका इलाज करा लेना चाहिए।
क्या है सिफलिस का इलाज? (Treatment of Syphilis in Hindi)
सिफलिस के इलाज से पहले इसका परीक्षण होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसके परीक्षण में बैक्टीरिया के विरुद्ध जो एंटीबॉडीज़ तैयार होते हैं उसी का पता लगाया जाता है। इसके एंटीबॉडीज़ का पता लगाने के बाद इसका इलाज आसान हो जाता है।
क्या ये जानलेवा हो सकता है? (Can it be fatal in Hindi)
सिफलिस के पहले और दूसरे स्टेज यानि प्राइमरी और सेकेंडरी स्टेज में इसका पता लगाना और इलाज होना आसान है। लेकिन इसके तीसरे स्टेज में इसकी पहचान कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस फेज़ के आने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। इसके बाद टर्शियरी फेज़ आने में 15 से 20 साल लगते हैं और यहीं पर इस रोग की जटिलता बड़े तौर पर सामने आती है जिसमें पैरालिसिस, हार्ट अटैक, अंधापन जैसे नतीजे सामने आ सकते हैं। इसकी जटिलताओं के कारण ही इसे एक घातक रोग भी माना जा सकता है।
सिफलिस से बचाव के लिए क्या करें? (Prevention of Syphilis in Hindi)
क्योंकि यह एक यौन संचारित रोग है इसलिए इससे बचाव के लिए हमेशा सुरक्षित यौन संबंध बनाने चाहिए, इसके अलावा एक से अधिक पार्टनर नहीं रखने चाहिए और इस रोग के किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डिसक्लेमर – सिफलिस रोग के लक्षण, कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर के पी मॉल, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Syphilis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr KP Mall, a Critical Care Specialist and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.