सही खानपान और बढ़िया स्वास्थ्य होने के बावजूद कई माता-पिता अपने बच्चे की शरीर की लंबाई ना बढ़ने से परेशान रहते हैं। क्या आपके बच्चे का कद सही है या फिर अपनी उम्र के हिसाब से उसका कद छोटा है? इस बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर संतोष चौबे।
- छोटा कद होने की क्या है परिभाषा?
- कैसे पता करें कि बच्चा छोटे कद का है?
- किस उम्र तक बढ़ सकती है लंबाई?
- ग्रोथ हार्मोन्स के क्या हैं साइड इफेक्ट्स?
छोटा कद होने की क्या है परिभाषा? (Definition of Dwarfism (short stature) in Hindi)
शरीर की लंबाई यानि व्यक्ति का कद एक ऐसी बात है जो कई बातों पर निर्भर करता है जैसे कि बच्चे के माता पिता की ऊंचाई, रेस, सामाजिक और भगौलिक स्थिति वगैरह। लड़के और लड़कियों के लिए हर बाल रोग विशेषज्ञ के पास एक ग्रोथ चार्ट होता है जिसमें उसके वज़न के साथ लंबाई भी अंकित होती है। इस ग्रोथ चार्ट में 3 से लेकर 97 तक पर्सेंटाइल होते हैं जो बच्चे के जन्म से लेकर 1 साल तक की उसकी लंबाई को बताते हैं। अगर इस ग्रोथ चार्ट के हिसाब से बच्चा तीन परसेंटाइल से नीचे हो तो ऐसे में माना जा सकता है कि उसकी लंबाई ठीक तरह से नहीं बढ़ रही। इसका मतलब है कि 100 में से केवल तीन बच्चे अपने हाइट से कम हैं बाकी सभी उससे ऊपर हैं। अगर किसी को ये जानना है कि एक बच्चे की अपने जीवन में लगभग कितनी लंबाई होगी तो इसके लिए मिड पैरेंटल एज निकाला जाता है। मिड पैरेंटल एज निकालने के लिए माता-पिता की हाइट को जोड़कर उसका औसत निकाल दिया जाता है, इसके बाद निकली हुई औसत लंबाई में 6.5 सेंटीमीटर जोड़ने पर लड़के की और 6.5 सेंटीमीटर घटा देने पर लड़की की अनुमानित लंबाई निकाली जा सकती है। ये जानना भी ज़रूरी है कि शरीर की लंबाई कम होने का कारण केवल हार्मोन्स नहीं होते बल्कि इसके कई कारण हो सकते हैं।
कैसे पता करें कि बच्चा छोटे कद का है? (How to know if the child is of short height in Hindi)
बच्चा छोटे कद का है या नहीं ये जानने के लिए पहले उसकी डायग्नोसिस बनानी चाहिए। सबसे पहले उसकी वास्तविक उम्र यानि क्रॉनिकल एज चेक की जाती है और इसके बाद उसके हड्डियों की उम्र यानि बोन एज का भी पता किया जाता है। बच्चे की हाइट ना बढ़ने के कारणों का भी पता करना चाहिए कि आख़िर किस वजह से लंबाई नहीं बढ़ रही है। इन वजहों में किसी तरह की बीमारी, पोषक आहार न मिलना और हाइपोथायरायडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर बच्चे की लंबाई ग्रोथ हार्मोन्स की कमी की वजह से नहीं बढ़ रही है तो ऐसे में डॉक्टर पहले ग्रोथ हार्मोन टेस्ट करके इसका पता लगाते हैं। ग्रोथ हार्मोन की कमी होने पर इसे इंजेक्शन द्वारा बच्चे को लगाया जाता है लेकिन ये एक लंबा प्रोसेस होता है यानि लंबे समय तक ग्रोथ हार्मोन्स इंजेक्ट करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
किस उम्र तक बढ़ सकती है लंबाई? (Up to what age can height increase in Hindi)
अगर ग्रोथ हार्मोन की कमी की वजह से लंबाई नहीं बढ़ रही है तो एक उम्र तक हार्मोन इंजेक्ट करके लंबाई को बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसके लिए बच्चे को सही उम्र में डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। अगर 14-15 साल के बाद बच्चे की हाइट बढ़ाने के लिए ग्रोथ हार्मोन्स की ज़रूरत पड़े तो इसका असर ज्यादा नहीं होता क्योंकि इस उम्र तक बढ़ते हुए बच्चों की हड्डियाँ फ्यूज़ हो जाती हैं और लंबाई बढ़ने का चांस कम होता है। वहीं लड़कियों की बात करें तो प्यूबर्टी के बाद और पीरियड्स शुरू होने के बाद उनमें एस्ट्रोजन हार्मोन्स का निर्माण होता है जो हड्डियों को फ्यूज़ करते हैं जिसके बाद लंबाई बढ़ने के चांस बहुत कम हो जाते हैं।
ग्रोथ हार्मोन्स के क्या हैं साइड इफेक्ट्स? (Side effects of Growth Hormones in Hindi)
ग्रोथ हार्मोन्स के लिए इंजेक्शन धीरे धीरे दिया जाता है इसलिए इसके साइड इफेक्ट्स नहीं होते। इसके अलावा, बच्चों के बिहेव्यर में भी किसी तरह का बदलाव नहीं आता। हालांकि, डॉक्टर फिर भी पूरे इलाज के दौरान बच्चे पर नज़र बनाए रखते हैं कि उनमें किसी तरह का कोई बदलाव तो नहीं दिख रहा या उन्हें किसी तरह की परेशानी तो नहीं हो रही।
डिसक्लेमर – बौनापन यानि छोटा कद होने के कारण और इसके इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर संतोष चौबे, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Dwarfism, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Santosh Chaubey (Endocrinologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.