बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक रोग है जिसमें मरीज़ दो अलग अलग फेज़ से गुज़रता है। इस मानसिक रोग के कारण रोगी को आत्महत्या तक के विचार दिमाग़ में आते हैं। इस स्थिति में रोगी कैसे पहुँच जाता है और क्या इससे बचा जा सकता है, बता रहे हैं डॉ प्रांशु अग्रवाल।

मानसिक रोग बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? (What is Bipolar Disorder in Hindi)

बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक रोग है जिसके दो स्टेज होते हैं। पहला स्टेज है अवसाद यानि डिप्रेशन और दूसरा स्टेज है उन्माद यानि मेनिया। क्योंकि ये बाइपोलर डिसॉर्डर है तो इसमें मरीज़ कभी-कभी डिप्रेशन की तरफ और कभी मेनिया की तरफ चला जाता है।

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बापोलर-1 और बापोलर-2 क्या है? (What are Bipolar-1 and Bipolar-2 in Hindi)

बाइपोलर वन मानसिक रोग होने पर मरीज़ या तो डिप्रेशन या फिर मेनिया में से किसी एक की तरफ ही जाता है जबकि बायपोलर टू में मरीज़ डिप्रेशन और मेनिया में बारी-बारी जा सकता है।

मरीज़ में किस तरह के लक्षण दिखते हैं? (Symptoms of Bipolar Disorder in Hindi)

इस मानसिक रोग के दो फेज़ होते हैं। अगर मरीज़ डिप्रेशन की फेज़ में हो तो उसे नींद ना आना, घबराहट और बेचैनी होना, किसी काम को करने में मन नहीं लगना, किसी से बात करने की इच्छा न करना, जीवन बेकार लगना और यहाँ तक की आत्महत्या करने के विचार भी मन में आते हैं। जबकि मेनिया यानि उन्माद में मरीज़ बहुत ज़्यादा बोलता है, बड़ी-बड़ी बातें करता है, जिन लोगों को नहीं जानता उससे भी बातें करता है, बहुत ज़्यादा खुश रहता है, कभी-कभी चिड़चिड़ा रहता है, बाहर की चटपटी चीज़ें खाने का उसे मन करता है।

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किन कारणों से होता है बाइपोलर डिसऑर्डर? (Causes of Bipolar Disorder in Hindi)

किसी भी तरह के मानसिक रोग के तीन कारण होते हैं जिनमें बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल और सोशल कारण होते हैं। बायोलॉजिकल कारण में ये मानसिक रोग अनुवांशिक होते हैं यानि कि परिवार में अगर किसी को इस तरह का रोग है तो परिवार से जुड़े दूसरे लोगों को भी ये हो सकता है। वहीं साइकोलॉजिकल कारण की बात करें तो कुछ लोग बहुत ज़्यादा तनाव में रहते हैं और बहुत सोचते हैं जिसकी वजह से उन्हें बाइपोलर डिसॉर्डर हो सकता है। एक और कारण की बात करें तो यह सामाजिक कारण है यानि समाज में हुई किसी घटना का व्यक्ति पर बुरा असर पड़ना जिसकी वजह से उसे मानसिक तौर पर क्षति हो।

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मरीज़ का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Bipolar Disorder in Hindi)

मरीज़ का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि वह इस मानसिक रोग के किस फेज़ में आया है क्योंकि डिप्रेशन और मेनिया के लिए अलग- अलग दवाइयां दी जाती हैं। मरीज़ की बीमारी पर तुरंत काबू पाने के लिए कुछ ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जो हाई पावर की होती हैं लेकिन उन्हें एक-दो महीने तक ही दिया जाता है जबकि कुछ कम पावर की दवाइयां लंबे समय के लिए भी दी जाती है ताकि मरीज़ वापस इस स्थिति में लौट कर ना आए। दवाइयों के अलावा मरीज़ को योगा और मेडिटेशन के साथ साथ कुछ सोशल स्किल्स की ट्रेनिंग भी दी जाती है।

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इस स्थिति में आने से कैसे बचें? (How to prevent Bipolar Disorder in Hindi)

अगर मरीज़ में इस मानसिक रोग के कोई भी लक्षण दिख रहे हों तो बिना देर किए मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि शुरुआत में इसे कंट्रोल करना आसान है जबकि समय बीतने पर इस पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही ऐसे व्यक्तियों को किसी भी तरह का मादक पदार्थ जैसे शराब, चरस, गांजा वगैरह का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए। तनाव सभी के जीवन में आते हैं लेकिन तनाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए और अपनी परेशानियों को दूसरों के साथ बांटकर तनाव को कम करना चाहिए।

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s Advice in Hindi)

सबसे ख़ास बात ये है कि इसमें मरीज़ को अपने बारे में या अपनी बीमारी के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता और उसे लगता है कि वो बिल्कुल ठीक है जबकि उसके मानसिक रोग का पता आसपास और घरवालों को उसके लक्षणों को देखकर चल जाता है। किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और किसी भी तरह की झाड़ फूंक और अंधविश्वास वाली चीज़ों से बचें।

डिस्क्लेमर – बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ प्रांशू अग्रवाल, मनोचिकित्सक द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Bipolar Disorder, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Pranshu Agarwal (Psychiatrist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.