क्या पुरुषों के मुक़ाबले महिलाएं हार्ट अटैक जैसी घातक स्थिति से अधिक सुरक्षित रहती हैं? विशेषकर 18 से लेकर 40 वर्ष की आयु तक की महिलाओं में हार्ट अटैक होते नहीं देखा जाता है। ऐसा होने के पीछे आख़िर क्या है कारण, आइए जानते हैं इस लेख में।
महिलाएं अपने बच्चों को जन्म देने वाली उम्र में हार्ट अटैक जैसी स्थिति से आमतौर पर सुरक्षित रहती हैं। इसके पीछे महिलाओं के अंदर बनने वाले हॉर्मोन्स हैं जो उन्हें सुरक्षित रखते हैं। ऐसा देखा गया है कि लगभग 18 से लेकर 40 साल तक की महिलाओं में दिल का दौरा नहीं पड़ता क्योंकि उनके अंदर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हॉर्मोन्स बनते हैं।
हालांकि, 40 के बाद अगर महिलाओं को मीनोपॉज़ होता है यानि कुछ समय के लिए अगर मासिक धर्म बंद हो जाता है तो इसके बाद उन्हें हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा, अगर महिला सिगरेट और शराब जैसी चीज़ों का सेवन करती हो, मोटापे का शिकार हो, डायबीटीज़ और हाइपरटेंशन से पीड़ित हो या फिर जेनेटिक कारण हो, तो किसी भी उम्र में उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है।
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये भी है कि अगर महिलाओं को हार्ट अटैक आता भी है तो उनके लक्षण थोड़े अलग होते हैं। आमतौर पर दिल का दौरा पड़ने पर सीने के बीचों-बीच दर्द होता है और पसीने आते हैं। लेकिन महिलाओं की बात करें तो उन्हें बहुत ज़्यादा दर्द नहीं हो होता बल्कि बेचैनी और घबराहट जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ कारणों से महिलाओं को बच्चे पैदा करने की उम्र में भी हार्ट अटैक हो सकता है लेकिन इसके लक्षण वैसे नहीं होते जो अधिकतर हार्ट अटैक में दिखाई देते हैं इसलिए महिलाओं को अधिक सतर्क रहना चाहिए।
डिसक्लेमर- महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने के कम मामले क्यों देखे जाते हैं, इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर अक्षय प्रधान, कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Who Has a Higher Risk of Heart Attack?, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Akshaya Pradhan (Cardiologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.