मोबाइल या स्मार्टफोन हमारे जीवन में इस हद तक शामिल हो गया है कि हम उस पर पूरी तरह से डिपेंडेंट हो चुके हैं फिर चाहे हमें ऑफिस का काम करना हो, पढ़ाई, ख़रीदारी या फिर मनोरंजन। लेकिन इसके बेधड़क और बेवजह इस्तेमाल से हमें मोबाइल की लत लगती जा रही है जो एक गंभीर बात है। मोबाइल फ़ोन एडिक्शन या प्रॉब्लमेटिक मोबाइल यूज़ क्या होता है बता रही हैं डॉ एरा दत्ता।
- प्रॉब्लमैटिक मोबाइल फोन यूज़ क्या है?
- अधिक इस्तेमाल से कौन से रोग हो सकते हैं?
- कैसे समझेंगे कि मोबाइल की लत लग गई है?
- बच्चे और युवा मोबाइल कैसे इस्तेमाल करें?
- मोबाइल की लत से कैसे पाएं छुटकारा?
प्रॉब्लमैटिक मोबाइल फोन यूज़ क्या है? (What is Problematic Mobile Phone Use in Hindi)
इसमें कोई शक नहीं कि मोबाइल हमारे जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन चुका है क्योंकि हम लगभग हर काम मोबाइल की मदद से ही कर पा रहे हैं। हम में से कोई ये नहीं कह सकता कि हम मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। लेकिन क्या इस बीच यह भी समझने की ज़रूरत है कि कहीं हमें इसकी लत तो नहीं लग गई है यानि कि कहीं हम इसके आदी तो नहीं हो चुके हैं। मोबाइल की लत लगने का सीधा मतलब है कि काम के अलावा भी हम बेवजह और बेधड़क इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल फ़ोन एडिक्शन जैसी कोई बीमारी तो नहीं होती, हाँ लेकिन मनोचिकित्सक प्रॉब्लमैटिक मोबाइल फ़ोन यूज़ जैसे टर्म ज़रूर यूज़ करते हैं। प्रॉब्लमैटिक मोबाइल फ़ोन यूज़ के बारे में वैसे तो अभी भी रिसर्च हो ही रही है और नई नई चीज़ें इसमें जुड़ती जा रही हैं लेकिन फिलहाल के लिए ये कहा जा सकता है कि मोबाइल का इस तरह से इस्तेमाल किया जाना जिससे लोग भीड़ में रहते हुए भी अकेलापन महसूस करें या फिर एक दूसरे से बातचीत करने की बजाए इग्नोर करने लगे तो इसे प्रॉब्लमैटिक मोबाइल फ़ोन यूज़ कहा जाता है। यानि मोबाइल की दुनिया में इस तरह से खो जाना कि हमारे आसपास क्या हो रहा है इसका हमे ज्ञात नहीं रहता।
अधिक इस्तेमाल से कौन से रोग हो सकते हैं? (What kind of diseases can be caused by excessive use in Hindi)
मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से शारीरिक और मानसिक दोनों ही दिक्कतें होती हैं। शारीरिक तौर पर गर्दन में दर्द होना, आँखों से पानी आना और आँखों में दर्द रहना आम बात है। वहीं इसके मानसिक रोगों की बात करें तो ये और भी गंभीर हैं। चिंता, डिप्रेशन और फोमो यानि फियर ऑफ मिसिंग आउट जैसे मानसिक रोग व्यक्ति को हो सकते हैं। इसके अलावा, नींद एक ऐसी चीज़ है जो मोबाइल की वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुई है। रात के समय सोने से पहले कम से कम आधा घंटा पहले मोबाइल नहीं देखना चाहिए जबकि आज कल लोग मोबाइल या दूसरे गैजेट्स देर रात तक देखते हैं जिससे उनकी नींद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कैसे समझेंगे कि मोबाइल की लत लग गई है? (How to understand that we are addicted to mobile in Hindi)
आपको मोबाइल की लत लग गई है या नहीं इसे जानने के लिए मनोचिकित्सकों के पास एक एडिक्शन चेकलिस्ट होती है जिसमें कुछ प्रश्न होते हैं जिनका जवाब देकर आप पता लगा सकते हैं कि आप मोबाइल के कितने आदि हो चुके हैं। एडिक्शन चेक लिस्ट के कुछ प्रश्न इस तरह के होते हैं जैसे कि-
- क्या आपको हर वक्त मोबाइल के लिए तड़प होती है?
- दिन भर में आप अपने मोबाइल पर कितना समय बिताते हैं?
- क्या मोबाइल न मिलने पर आपको चिड़चिड़ापन और गुस्सा आता है?
इन सभी प्रश्नों के अलावा और भी कई प्रश्न इसमें मौजूद होते हैं। सवालों के अलावा, अगर आपके घर के सदस्य भी आपसे कहते हैं कि आप दिन भर मोबाइल में लगे रहते हैं तो ऐसे में सचेत हो जाना चाहिए और इस बात को मानना चाहिए कि आपको मोबाइल की लत लगती जा रही है।
बच्चे और युवा मोबाइल कैसे इस्तेमाल करें? (How mobile phones should be used by children and youth in Hindi)
बच्चों को समझाने के अलावा उन्हें मोबाइल के प्रयोग के प्रति ज़िम्मेदार बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वो इस बात को समझ सकें कि उन्हें कब और कितना मोबाइल इस्तेमाल करना चाहिए। अपने घर के कुछ हिस्सों को ‘नो मोबाइल ज़ोन’ में बांट दें जैसे कि स्टडी एरिया, डाइनिंग एरिया वगैरह में मोबाइल न देखने दें। इसके अलावा, मोबाइल देखने का समय भी तय करें और ये भी देखें कि बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है। कोशिश करें कि बच्चे कुछ ज्ञानवर्धक चीज़ें ही मोबाइल में देखें और अच्छा तो ये होगा कि अगर उनके स्कूल की पढ़ाई लैपटॉप या कंप्यूटर में हो ना कि मोबाइल पर।
इसके अलावा, बच्चों और बड़ों के लिए भी ये ज़रूरी है कि मोबाइल के इस्तेमाल में क्रियेट एंड कंज्यूम का प्रिंसिपल अपनाएं। क्रिएट एंड कंज्यूमर का मतलब है कि अगर आपने अपने मोबाइल का इस्तेमाल किसी चीज़ को सीखने और समझने के लिए देखा है तो उसे आप अपने जीवन में भी करें। जैसे कि अगर आपने कोई पेंटिंग बनानी सीखी है तो आप उसे असल में भी बनाएं।
मोबाइल की लत से कैसे पाएं छुटकारा? (Tips to help you beat smartphone addiction in Hindi)
हम सभी जानते हैं कि मोबाइल हमारी ज़िंदगी से कहीं भी दूर नहीं जाने वाला बल्कि ये वक्त के साथ और भी ज़्यादा स्मार्ट और एडवांस होता जाएगा इसलिए इसके सही इस्तेमाल के तरीकों को ही सीखना बेहतर होगा। मोबाइल की लत से छुटकारा पाने के लिए एक आसान टिप आप अपना सकते हैं जिसमें दिन की शुरुआत के 20 मिनट और दिन ख़त्म होने से पहले के 20 मिनट आप मोबाइल इस्तेमाल न करें। अगर ये 20 मिनट भी आपको ज़्यादा लगे तो शुरुआत के दिनों में 5 मिनट से ऐसा करने की शुरुआत करें। मोबाइल के इस्तेमाल के बारे में जानकारी रखें और एक संयमित तरीक़े से इसका सही इस्तेमाल करें। लेकिन सबसे पहले इस बात को स्वीकारें कि आपको मोबाइल की लत लगती जा रही है क्योंकि इस सच्चाई को स्वीकार किए बिना आप इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते।
डिसक्लेमर- मोबाइल की लत से कैसे पाएं छुटकारा, इस पर लिखा गया यह लेख डॉ ईरा दत्ता, मनोचिकित्सक द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Mobile Addiction, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Era Dutta (MBBS Consultant Psychiatrist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.