इंटरनेट ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। ऑफिस का काम हो, पढ़ाई हो, मनोरंजन, शॉपिंग या लोगों से बातें करनी हो, ये सबकुछ आज घर बैठे इंटरनेट की मदद से ही हो रहा है। वहीं कोविड 19 की वजह से अब इंटरनेट पर लोग पहले से भी ज्यादा वक्त गुज़ार रहे हैं। लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल का आप पर बुरा असर हो रहा है जिसे प्रॉब्ल्मैटिक इंटरनेट यूज़ कहते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर पवन कुमार गुप्ता।
- क्या है प्रॉब्ल्मैटिक इंटरनेट यूज़?
- इंटरनेट का लोगों पर कैसे पड़ता है प्रभाव?
- क्या इंटरनेट के इस्तेमाल से होती है बीमारी?
- भारत में 3-20% लोगों में प्रॉब्ल्मैटिक इंटरनेट की समस्या
- इंटरनेट की आदत के लक्षण
- क्या हैं इसके कारण?
- कैसे होता है इसका इलाज?
क्या है प्रॉब्ल्मैटिक इंटरनेट यूज़? (What is problematic internet use in Hindi)
जितना इंटरनेट हमारे लिए फ़ायदेमंद साबित हुआ है उतनी ही इससे जुड़ी दिक्कतें भी सामने आयी हैं। ज्यादा वक्त तक इंटरनेट या फिर सिर्फ़ स्क्रीन के इस्तेमाल से ही शरीर पर बुरा असर पड़ता है जैसे कि सिर दर्द होना, तनाव होना।
इंटरनेट का लोगों पर कैसे पड़ता है प्रभाव? (How does internet affect people in Hindi)
लोग अपने अपने मुताबिक इंटरनेट पर चीज़ें देखते हैं जैसे कुछ लोग सिर्फ़ मनोरंजन के लिए फिल्में देखते हैं, गेम खेलते हैं। इसके अलावा लोग कई तरह के सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़े होते हैं जहां वे कई ग्रुप से भी जुड़े होते हैं। इन सब की वजह से भी लोगों का तनाव बढ़ता है। वैज्ञानिक तौर पर इसे कुछ कैटेगरी में बांटा गया है जैसे कि इंटरनेट की लत लगना यानि इंटरनेट एडिक्शन। ये लत एक तरह की बीमारी की तरह हो जाती है जो सिर्फ़ यहां तक सीमित नहीं रहती क्योंकि इसकी वजह से व्यक्ति के अंदर गुस्सा, उदासी, एकाग्रता की कमी जैसी चीज़ें पनपने लगती हैं। एक और तरह की बीमारी देखी जा रही है जिसे इंटरनेट गेमिंग डिस्ऑर्डर जिसमें बच्चों के साथ साथ बड़ों को भी ऑनलाइन गेम की लत लग जाती है।
क्या इंटरनेट के इस्तेमाल से होती है बीमारी? (Does the use of internet cause illness in Hindi)
इंटरनेट एक तकनीक है और सीधे तौर इससे कोई बीमारी नहीं होती। लेकिन व्यक्ति इसका इस्तेमाल कैसे करता है, कितनी देर तक करता है, किस तरह की चीज़ें देखता है और इनकी वजह से उसके जीवन में आए पारिवारिक, सामाजिक और निजी बदलाव के आधार पर बीमारी का निर्धारण किया जाता है। आमतौर पर इसे प्रॉब्लमैटिक इंटरनेट यूज़ कहा जाता है जिसमें इंटरनेट गेमिंग डिस्ऑर्डर, एकसेसिव इंटरनेट यूज़, पैथोलॉजिकल इंटरनेट यूज़ जैसी बीमारियों की कैटेगरी होती है।
भारत में 3-20% लोगों में प्रॉब्ल्मैटिक इंटरनेट की समस्या (3-20% of people in India have problematic internet problem in Hindi)
ये एक नई तरह की समस्या है जिसमें अलग अलग जगहों पर बदलाव पाया जाता है। भारत में भी अलग अलग बदलाव देखे गए हैं जिसमें 3 से लेकर 20 प्रतिशत तक लोगों में ये समस्या देखी जाती है।
इंटरनेट की आदत के लक्षण (Symptoms of internet addiction in Hindi)
इंटरनेट एडिक्शन, इंटरनेट गेमिंग डिस्ऑर्डर और प्रॉब्लमैटिक इंटरनेट यूज़, इन तीनों के ही लक्षणों में काफ़ी समानता देखने को मिलती है। जो लोग इंटरनेट, ऑफ लाइन और ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया वगैरह के बारे में हर वक्त सोचते हैं या उनके मन उससे जुड़े विचार आते हैं। ऑनलाइन चीज़ों को देखना या ऑनलाइन आने के लिए हर वक्त परेशान रहना इसका दूसरा लक्षण है। इन सभी चीज़ों के नहीं होने से उदास हो जाना, खालीपन महसूस होना, इंटरनेट से होने वाले नुकसान के बारे में जानते हुए भी इसका लगातार इस्तेमाल करना बीमारी की पहचान है। इसके कारण पढ़ाई और अपने काम में मन ना लगना, लोगों से मिलना जुलना बंद करना वगैरह इस बीमारी होने के लक्षण हैं।
क्या हैं इसके कारण? (What are its causes in Hindi)
हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी होती जा रही है जहां इंटरनेट के बिना काम नहीं चल सकता। इंटरनेट की तकनीक के साथ काम करते हुए लोगों की आपस में वन टू वन कम्यूनिकेशन में कमी आयी है, साथ ही लोगों में अकेलापन बढ़ा है। समस्या तब होती है जब बिना वजह भी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। जिन लोगों में समाज के साथ घुलने मिलने की कला नहीं होती और जो लोग नकरात्मक विचार रखते हैं, ऐसे लोगों का झुकाव इंटरनेट की तरफ़ ज्यादा तेज़ी से होता है। ख़ासकर ऐसे बच्चे जिनमें एकाग्रता की कमी होती है वो इंटरनेट के ज़रिए ऐसे गेम खेलते हैं जिसमें उन्हें ज्यादा ध्यान नहीं लगाना पड़ता।
कैसे होता है इसका इलाज? (How is it treated in Hindi)
इसके इलाज के लिए दो तरीक़े अपनाए जाते हैं। पहला तरीक़ा है टोटल एब्सेनटीसम एप्रोच जिसके ज़रिए सिर्फ़ उन लोगों का इलाज किया जाता है जिनकी समस्या बहुत गंभीर हो चुकी होती है और जो ख़ुद भी इलाज करवाने के इच्छुक होते हैं। इस एप्रोच के अंदर नॉन एसेनशियल इंटरनेट यूज़ यानि बेवजह इंटरनेट के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है और व्यक्ति को वास्तविक कामों के लिए प्रेरित किया जाता है। साथ ही उन कारणों पर भी ग़ौर किया जाता है जिससे व्यक्ति इंटरनेट पर समय बिताने लगता है। दूसरा एप्रोच है हार्म रिडक्शन एप्रोच जिसमें इंटरनेट को नियंत्रित करते हुए इस्तेमाल करने के बारे में प्रेरित किया जाता है जिससे व्यक्ति को नुकसान ना हो। इसके लिए एक व्यक्ति की कमियों को दूर करके उसके कौशल को बढ़ावा दिया जाता है। उन्हें व्यायाम, योगा, डान्स, आर्ट जैसी दूसरी एक्टिविटी के लिए ज़ोर दिया जाता है। इसमें व्यक्ति को बेवजह के एप्लीकेशन और साइट्स को हटाने के लिए भी कहा जाता है। मरीज़ को ये जानना बहुत ज़रूरी है कि इंटरनेट का इस्तेमाल कितने कंट्रोल तरीक़े से करें ताकि उससे शारीरिक दिक्कतें भी पैदा ना हो जैसे कि सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, नींद ना आना, मोटापा वगैरह। इंटरनेट के सभी यूज़र्स इसका इस्तेमाल उतना ही करें जितने से आपकी उत्पादकता और क्षमता बढ़े।
डिस्कलेमर – इंटरनेट की लत से कैसे पाएं छुटकारा और क्या है प्रॉब्लमैटिक इंटरनेट यूज़, इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर पवन कुमार गुप्ता द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
This information on Internet Addiction, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Pawan Kumar Gupta (Psychiatrist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.