मोटापे का मतलब सिर्फ़ शरीर के वज़न का ज्यादा होना ही नहीं होता बल्कि इसके साथ व्यक्ति को कई दूसरी दिकक्तें भी होती हैं। कैसे रख सकते हैं आप ख़ुद को फिट और कैसे घटा सकते हैं बढ़ा हुआ वज़न, जानिए डॉक्टर अंशुमन पांडे, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से। 

मोटापे को तीन तरह से बांटकर देखा जाता है। पहले तरह के मोटापे में व्यक्ति का वज़न अपने सामान्य वज़न से थोड़ा बढ़ा हुआ होता है जिसे ओवर वेट होना कहते हैं। दूसरे तरह के मोटापे में व्यक्ति का वज़न सामान्य वज़न से बहुत ज्यादा हो जाता है जिसे ओबीज़ (Obese) कहते हैं। वहीं तीसरे तरह के मोटापे में व्यक्ति का सिर्फ़ वज़न ही नहीं बढ़ा होता है बल्कि मोटापे की वजह से दूसरी परेशानियां या बीमारियां भी हो जाती हैं जिसे मोरबिड ओबेसिटी (Morbid Obesity) कहते हैं। 

क्या होता है सही वज़न? (What is the right weight in Hindi)

एक व्यक्ति का वज़न शरीर की लंबाई के अनुपात में होना चाहिए जिसे निकालना बहुत ही आसान है। किसी व्यक्ति की लंबाई सेमी मीटर में निकालकर उसमें से 100 घटाने पर वज़न का अनुमान लगाया जाता है जैसे अगर किसी व्यक्ति की लंबाई 150 सेमी मीटर हो, तो 100 घटाने पर 50 किलोग्राम वज़न होना चाहिए। हालांकि पुरूषों में 5 किलोग्राम और महिलाओं में 7 किलो ग्राम ज्यादा या कम हो सकता है। वज़न निकालने का ये एक सामान्य तरीका है जिसे ब्रोका इंडेक्स (Broca Index) कहा जाता है। 

मोटापे के कारण (Causes of obesity in Hindi) 

मोटापे के कई कारण होते हैं जिनमें से जेनेटिक कारण और खान-पान से जुड़ी आदतें शामिल हैं। साथ ही कुछ बीमारियों की वजह से भी मोटापा बढ़ता है जैसे थायरॉयड। हालांकि इन सभी में खान पान से जुड़ी आदत ही मोटापे की ख़ास वजह है।  

मोटापा होने के जोखिम (Risk factors of obesity in Hindi)  

मोटापे के शिकार लोगों में ज्यादातर सांस लेने में परेशानी होती है जिसकी वजह से वो ठीक से लेट नहीं पाते। इसके अलावा डायबिटीज़ के मरीज़ों को मोटापे का ख़तरा बना रहता है क्योंकि डायबिटीज़ और मोटापा आपस में जुड़े हुए हैं। दिल की बीमारियां जैसे कि दिल का दौरा पड़ना भी मोटापे के कारण हो सकता है। इसके अलावा महिलाओं को पेशाब रोकने में परेशानी होती है। महिलाओं को पीसीओडी (PCOD) भी हो जाता है जिससे गर्भ धारण करने में मुश्किल होती है या गर्भ धारण नहीं हो पाता। वज़न ज्यादा होने पर जोड़ों पर दबाव बढ़ता है जिससे गठिया रोग हो सकता है। इसके अलावा मोटापे के कारण कमर दर्द, पीठ दर्द और माइग्रेन भी हो सकता है।  

मोटापे का इलाज (Treatment of obesity in Hindi)

सबसे पहले मरीज़ के अंदर ख़ुद फिट होने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। मोटापे को कम करने के लिए सेहतमंद जीवनशैली को अपनाना बहुत ज़रूरी है। कोई भी ऐसी चीज़ नहीं खानी चाहिए जिससे मोटापा बढ़े। भोजन में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की कमी नहीं होनी चाहिए। अपनी डाइट और जीवनशैली को संतुलित करके कोई भी व्यक्ति मोटापे को हरा सकता है। लेकिन अगर इन सभी के बावजूद मरीज़ की दिकक्तें कम ना हों तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। हालांकि सर्जरी के लिए सलाह तभी दी जाती है जब मोटापे के कारण व्यक्ति की जान को ख़तरा हो। सर्जरी दो तरह की होती है- एक रेस्ट्रेक्टिव सर्जरी और दूसरी बाइपास सर्जरी। रेस्ट्रेक्टिव सर्जरी में मरीज़ के अमाशय को छोटा कर दिया जाता है जिससे मरीज़ जो कुछ भी खाता है वो जल्दी नीचे चला जाता है। इस तरह की सर्जरी से मरीज़ का 60 से 80 प्रतिशत बढ़ा हुआ मोटापा कम किया जा सकता है। इसके अलावा जिन मरीज़ों को मोटापे के साथ ही बीमारियां भी होती हैं उनके लिए रेस्ट्रेक्टिव के साथ ही बाइपास सर्जरी को भी जोड़ा जाता है। इस तरह की सर्जरी में मरीज़ खाना कम खा पाते हैं और जो कुछ भी खाते हैं उसे बाइपास कर दिया जाता है।  

सर्जरी को लेकर क्या है भ्रांतियां? (What are the misconceptions of surgery in Hindi) 

मोटापे का इलाज सिर्फ़ सर्जरी नहीं है क्योंकि सर्जरी की सलाह डॉक्टर तब देते हैं जब मरीज़ को मोटापे के कारण ख़तरनाक बीमारियां हो जाएं या फिर बहुत ज्यादा परेशानी होने लगे। सर्जरी के लिए सिर्फ़ मोरबिड ओबेसिटी के शिकार लोगों को ही सलाह दी जाती है जबकि थोड़ा बहुत मोटापा कम करने के लिए मरीज़ अपनी डाइट और जीवनशैली के ज़रिए ख़ुद भी सुधार कर सकते हैं।   

डिस्क्लेमर – मोटापे के कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अंशुमन पांडे, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

Note: This information on Obesity, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Anshuman Pandey (Surgical Gastroenterologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.