काला मोतिया (ग्लूकोमा) आंखों की बीमारी है जिसमें मरीज़ को अंधापन भी हो सकता है। इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बता रहे हैं डॉक्टर विशाल कटियार, नेत्र विशेषज्ञ।
आंखों में होने वाली बीमारी काला मोतिया यानि ग्लूकोमा में मरीज़ को आगे जाकर अंधापन हो जाता है। ये बीमारी ज्यादातर 40 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र के लोगों को होता है। हालांकि छोटी उम्र के लोग और बच्चों में भी ये बीमारी देखने को मिलती है लेकिन 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में ये बीमारी होने की संभावना रहती है।
ग्लूकोमा के प्रकार (Types of glaucoma in Hindi)
ग्लूकोमा को दो तरह से बांटा जा सकता है जिसमें से एक होता है लक्षण के साथ। दूसरे तरह के ग्लूकोमा में मरीज़ में किसी भी तरह के लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। इस प्रकार का ग्लूकोमा ज्यादा ख़तरनाक होता है क्योंकि आंखों को नुकसान होता रहता है लेकिन मरीज़ को इस बात का पता नहीं चल पाता। छोटे बच्चों में भी जन्म के साथ ग्लूकोमा हो जाता है जिसमें उनकी आंखे बड़ी हो जाती हैं। ग्लूकोमा उन लोगों में भी देखने को मिलता है जिन्हें आंखों में कभी किसी तरह की चोट लगी हो। इसके अलावा कुछ दूसरी बीमारियों के कारण भी यह बीमारी हो जाती है जैसे कि डायबिटीज़। लक्षण वाले मरीज़ समय पर डॉक्टर से मिल लेते हैं लेकिन बिना लक्षण वाले ग्लूकोमा में मरीज़ काफ़ी देर तक अपने मर्ज़ को पहचान नहीं पाते इसलिए कुछ मामलों में इलाज के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती।
ग्लूकोमा के लक्षण (Symptoms of glaucoma in Hindi)
लक्षण वाले ग्लूकोमा की बात करें तो इसमें मरीज़ को आधे सिर में दर्द रहता है, आंखें लाल हो जाती हैं और उनमें दर्द होता है, चीज़ें धुंधली दिखायी देती हैं और साथ ही रंगीन छल्ले भी दिखते हैं। दूसरे तरह के ग्लूकोमा में लक्षण नहीं दिखते और मरीज़ अपनी बीमारी को पहचान नहीं पाते इसलिए जब तक वे डॉक्टर के पास जाते हैं तब तक इलाज में देर हो जाती है।
ग्लूकोमा के कारण (Causes of glaucoma in Hindi)
मेडिकल साइंस में ग्लूकोमा होने के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है लेकिन इसका एक मुख्य कारण है आंखों में प्रेशर का ज्यादा पड़ना। जब आंखों में लंबे समय तक प्रेशर बढ़ा हुआ होता है तो ग्लूकोमा होने की संभावना रहती है। इसलिए 40 साल के बाद व्यक्ति को समय समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए।
ग्लूकोमा का उपचार (Treatment of glaucoma in Hindi)
इसके उपचार के लिए कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं। लेकिन दवाओं को समय पर और लंबे वक्त तक खाना पड़ता है जिससे मरीज़ थोड़े परेशान हो जाते हैं। जिन लोगों को सिर दर्द के साथ ग्लूकोमा की शिकायत होती है उनका इलाज लेज़र ट्रीटमेंट द्वारा किया जाता है। यदि मरीज़ लंबे समय तक दवा लेने में असमर्थ होता है, उस स्थिति में ऑपरेशन के ज़रिए ग्लूकोमा का इलाज किया जाता है। इसकी सर्जरी भी दो तरह से की जाती है जिसमें आंखों के प्रेशर को बढ़ने से रोकने के लिए कई चैनल्स बनाए जाते हैं जबकि दूसरे तरीके में इंप्लान्ट्स लगाए जाते हैं ताकि आंखों का प्रेशर कंट्रोल में रहे। इस बीमारी का इलाज तीनों विधियों से हो सकता है बशर्ते मरीज़ सही समय पर डॉक्टर के पास जाए। बीमारी की पहचान में देर होने पर आंखों को नुकसान होता है जिसकी भरपाई करना मुश्किल हो जाता है।
ग्लूकोमा की रोकथाम (Prevention of glaucoma in Hindi)
आंखों में होने वाली किसी भी तरह की समस्या को अनदेखा ना करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। जो लोग 40 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं और साथ ही जो लोग चश्मा लगाते हैं, वे समय समय पर नेत्र चिकित्सक से जांच कराते रहें। व्यायाम लगभग हर बीमारी की रोकथाम के लिए लाभदायक है। व्यायाम करने से व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है जिससे आंखों पर प्रेशर कम पड़ता है। यदि आपको ग्लूकोमा हो चुका है, तो डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों का सही तरह से सेवन करते रहना चाहिए।
डिस्कलेमर: काला मोतिया (ग्लूकोमा) की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर विशाल कटियार, नेत्र विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Glaucoma, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vishal Katiyar (Ophthalmologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.