मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो हमारे आस पास जमा गंदे पानी में पैदा होने वाले मच्छरों से होती है। क्या है मलेरिया के लक्षण और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव जानिए डॉक्टर धनंजय सिंह (एमडी मेडिसिन) से। 

Malaria

मलेरिया एक पैरासाइट बॉर्न यानि परजीवी से होने वाली बीमारी है। यह प्लाज़मोडियम नाम के परजीवी से संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। दरअसल मच्छर के काटने पर उसकी लार यानि स्लाइवा हमारे खून में मिलकर उसे संक्रमित कर देती है। यह पैरासाइट हमारे लीवर तक पहुंच कर प्रजनन करता है और बीमारी पैदा करता है।

इस पैरासाइट की अलग-अलग प्रजातियां होती हैं जिसमें से फेल्सीपेरम पैरासाइट की वजह से होने वाला मलेरिया बहुत ही घातक होता है। मलेरिया सबसे पहले लीवर और हमारे खून की लाल कोशिकाओं को प्रभावित करता है जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसके अलावा ये हमारे दिमाग और फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है जैसे फेफड़ों में पानी आना। आसान शब्दों में कहें तो यह मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन भी कर सकता है। 

Malaria

मलेरिया होने का कारण (Causes of malaria) 

मच्छर की कई प्रजातियों में से एक है एनीफिलीज़ मच्छर। इस मच्छर के काटने से प्लाज़मोडियम पैरासाइट हमारे खून के ज़रिए हमारे लीवर में चला जाता है। लीवर में पहुंचकर यह परजीवी अपनी तादाद बढ़ा लेता है और हमारे खून की लाल कोशिकाओं यानि आरबीसी को तोड़ता है जिससे हमारे खून में कमी आ जाती है। यह एनीफिलीज़ मच्छर हमारे घर के आस-पास जमा गंदे पानी में पलता और बढ़ता है। 

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मलेरिय क लक्षण और इसकी जांच(Symptoms of malaria and its test) 

मच्छर के काटने के 10 से 14 दिन के बाद इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। मलेरिया के मरीज़ों को तेज़ बुखार, शरीर में दर्द, कंपकंपी, सिर और पेट में दर्द, रात में पसीना आने की शिकायत होती है। अगर बुखार ज्यादा बढ़ जाए, तो मरीज़ को मिर्गी भी आ सकती है। इसकी जांच की बात करें तो मलेरिया पैरासाइट का रैपिड एक्शन टेस्ट किया जाता है। इसमें खून की जांच करके मलेरिया के पैरासाइट का पता लगाया जाता है। इसके अलावा पीसीआर टेस्ट भी किया जाता है। 

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क्या है मलेरिया का इलाज? (What is the treatment for malaria?) 

मलेरिया के शुरूआती स्टेज में मरीज़ का इलाज एंटी बायोटिक थेरेपी द्वारा किया जाता है। लेकिन अगर बीमारी गंभीर रूप ले चुकी हो, तो मरीज़ को आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है। कभी कभी मलेरिया व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित कर देता है जिसे सेरिबरल मलेरिया कहते हैं। सेरिबरल मलेरिया में मरीज़ को आईसीयू में भर्ती किया जाता है और एंटी मलेरियल दवा दी जाती है। साथ ही दिमाग के लिए भी दवाईयां दी जाती हैं जिससे मरीज़ को झटके ना आएं और उनके दिमाग की सूजन कम हो जाए।  

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मलेरिया से कैसे करें बचाव? (How to prevent malaria?) 

मलेरिया से बचाव के लिए हमें अपने आस-पास पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। छत की टंकी के अगल बगल या कूलर में अगर पानी इकट्ठा हो, तो उसे फौरन साफ़ करना चाहिए क्योंकि एनिफिलीज़ मच्छर इन्हीं जगहों में पलते और बढ़ते हैं। इसके अलावा एंटी मॉस्किटो लोशन का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे हमारे हाथ और पैर पूरी तरह ढंक जाएं। सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। 

मलेरिया के मरीज़ को क्या खाना चाहिए? (What should a malaria patient eat?) 

मलेरिया के मरीज़ को बीमारी के लक्षणों के अनुसार खानपान की सलाह दी जाती है, जैसे अगर मरीज़ को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत है, तो ऐसे में सादा खाना और लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है। 

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क्या घरेलू उपचार फायदेमंद है? (Are home remedies beneficial?) 

मलेरिया में डॉक्टर की सलाह बहुत ज़रूरी है। मलेरिया के लक्षण दिखने पर किसी तरह का घरेलू उपचार ना करें क्योंकि ऐसा करने से आप अपनी जान को जोखिम में डाल सकते हैं। दिमागी बुखार यानि सेलिबरल मलेरिया में दिमाग में सूजन आ सकती है और मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। इसके अलावा मरीज़ कोमा में भी जा सकता है। इसलिए घरेलू उपचार से बचते हुए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।  

डिस्क्लेमर – मलेरिया बीमारी के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर धनंजय सिंह, एमडी मेडिसिन, द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

Note: This information on Malaria, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Dhananjay Singh (MD (Medicine)) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.