शरीर में मौजूद ग्रन्थियों से निकलने वाले हॉर्मोन्स अपने टारगेट तक पहुँचकर उसे प्रभावित करते हैं। लेकिन जब ये हॉर्मोन्स सामान्य से ज़्यादा या कम बनने लगे तो इसे हॉर्मोनल इम्बैलेंस कहा जाता है जिससे कई तरह की परेशानियाँ होती हैं। आइए जानते हैं डॉक्टर संतोष चौबे से इसके लक्षण, कारण और बचाव के बारे में।

हॉर्मोनल इम्बैलेंस का क्या मतलब है? (What is Hormonal Imbalance in Hindi)

हमारे शरीर में कई प्रकार की ग्रंथियाँ है जिससे होर्मोंस निकलते रहते हैं और ये हॉर्मोन्स एक प्रकार के मैसेंजर का काम करते हैं। ये हार्मोन्स ख़ून के साथ मिलकर शरीर के हर भाग में पहुंचते हैं और जहाँ भी इनके टारगेट रिसेप्टर्स होते हैं यानि जिन अंगों को भी इनकी ज़रूरत पड़ती है वहाँ ये अपना काम करने लगते हैं। आमतौर पर किसी चीज़ की कमी से ही व्यक्ति को बीमारी होती है लेकिन हॉर्मोन्स के मामले में कमी के साथ साथ इसकी अधिकता भी बीमारी का कारण बन जाती है। हॉर्मोन्स अगर सामान्य से कम या ज़्यादा हो जाए तो इसे हार्मोनल इम्बैलेंस कहा जाता है जिससे कई प्रकार की दिक्कतें हो जाती हैं।

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हॉर्मोन्स के प्रकार और उनके कार्य (Types of hormones and their functions in Hindi)

हमारे शरीर में हॉर्मोन्स छोड़ने वाली ग्रंथियाँ कई जगह पाई जाती हैं और इन सभी ग्रन्थियों से निकलने वाले हार्मोन्स का काम भी अलग अलग होता है। बात करें सबसे ऊपरी अंग यानि मस्तिष्क की तो इसके बीचों बीच पियूष ग्रंथि पाई जाती है जिसे मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है क्योंकि ये बाकी सभी ग्रन्थियों को कंट्रोल करने का काम करती है। हमारे गले में थाइरॉयड नाम की ग्रंथि पाई जाती है जिसका काम है थायरॉइड हार्मोन्स छोड़ना। इसके अलावा, पैंक्रियाज एक ऐसी ग्रंथि है जो हार्मोन्स के साथ साथ एंजाइम्स भी छोड़ती है। हमारी किडनियों के ऊपर भी एड्रिनल ग्रंथि पाई जाती है जिसका काम है ब्लड प्रेशर और तनाव को कंट्रोल करना। इसके अलावा, महिलाओं में ओवरी और पुरुषों में टेस्टिस भी एक प्रकार की ग्रंथि है जिससे महिलाओं में प्रोजेस्ट्रोन और पुरुषों में टेस्टॉस्टोरोन नामक हार्मोन्स निकलते हैं।

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हॉर्मोन्स की गड़बड़ी से क्या होता है? (What happens due to Hormonal disturbances in Hindi)

पियूष ग्रंथि से कई तरह के हार्मोन्स निकलते हैं जिसमे से एक है प्रोलैक्टिन हार्मोन। ये प्रोलैक्टिन हार्मोन गर्भावस्था के दौरान माँ के स्तन में दूध का निर्माण करने में मदद करते हैं लेकिन अगर यह प्रोलैक्टिन हार्मोन्स सामान्य से ज्यादा बढ़ जाए तो बिना गर्भावस्था के ही दूध का निर्माण हो सकता है। पिट्यूट्री ग्लैंड से ग्रोथ हार्मोन भी निकलते हैं जिसके कम या ज़्यादा होने से बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है। अगर ग्रोथ हार्मोन्स कम बन रहे हैं तो बच्चा छोटा रह सकता है और ज़्यादा बनने पर उसकी हड्डिया चौड़ी हो जाती हैं। इसके अलावा, पीयूष ग्रंथि से निकलने वाले गोनाड्रॉपिन्स हार्मोन के  कम या ज़्यादा बनने पर महिलाओं में पीरियड्स की साइकिल में दिक्कत, अंडों की क्वालिटी ख़राब होना जैसी परेशानी होती है जबकि पुरुषों में भी शुक्राणुओं  की क्वालिटी ख़राब होना और टेस्टॉस्टोरोन का ना बनना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं एसटीएच नामक हार्मोन कोर्टैक्स से निकलने वाले कोर्टिसोल को नियंत्रित करते हैं। अगर एसटीएच हार्मोन सामान्य से ज़्यादा निकलता है तो इससे व्यक्ति का वज़न बढ़ सकता है और कम होने पर व्यक्ति का वज़न घट जाता है।  अगर बात करें थायरॉइड ग्रंथि की तो इससे निकलने वाले थायरॉइड हार्मोन्स के बढ़ने से हाइपर्थाइरॉइडिज़म और कम होने पर हाइपोथायरॉडिज्म हो जाता है। किडनी के ऊपर एड्रिनल ग्रन्थि से निकलने वाले एल्डोस्टीरोन नामक हार्मोन्स के बढ़ जाने पर ब्लड प्रेशर ज़्यादा हो जाता है और घट जाने पर ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।

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किन कारणों से होता है हॉर्मोनल इम्बैलेंस? (Causes of Hormonal Imbalance in Hindi)

सभी अंतःस्रावी ग्रन्थियों यानि एंडोक्राइन ग्लैंड्स में ट्यूमर होने की संभावना होती है जिसके कारण हार्मोन्स का स्राव ज्यादा हो सकता है जबकि ग्रन्थियों को किसी तरह का नुकसान होने पर हॉर्मोन्स का निकलना कम हो जाता है। इसके अलावा, ऑटो इम्यून डिज़ीज़ होने के कारण भी हॉर्मोन्स की गड़बड़ी हो सकती है।

हॉर्मोनल इम्बैलेंस को होने से कैसे रोकें? (Prevention of Hormonal Imbalance in Hindi)

अच्छी जीवनशैली और खानपान हर तरह की परेशानियों से बचाने में मददगार होती है इसलिए कोशिश करें कि आप हेल्दी डाइट लें। इसके अलावा, ऐसे पदार्थों से बचें जो ईडीसी यानि एंडोक्राइन डिस्ट्रक्टिव केमिकल्स होते हैं जिनसे हार्मोन्स प्रभावित होते हैं।

डिस्क्लेमर-हार्मोन्स के असंतुलन से होने वाली बीमारियों और इसकी रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपाय पर लिखा गया लेख पूर्णतः डॉ संतोष चौबे, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Hormonal Imbalance, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Santosh Chaubey (Endocrinologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.