ऑटिज़्म एक तरह की मानसिक बीमारी है या फिर इसे एक ब्रेन डिस्ऑर्डर के रूप में जाना जाता है जो कि कम उम्र के बच्चों में ही देखने को मिलता है और उनके बड़े होने तक ये परेशानी बनी रहती है। ऑटिज़्म के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर पवन कुमार गुप्ता, मानसिक रोग विशेषज्ञ।  

ऑटिज़्म एक ऐसी बीमारी है जो भाषा, भावनाओं और बोलचाल की परेशानी से जुड़ी है। इस बीमारी में व्यक्ति को बोलने और भाषा को समझने में दिक्कत होती है। इसके अलावा व्यक्ति अपनी भावनाओं को प्रकट करने में भी असमर्थ होता है और उसका स्वभाव भी सामान्य नहीं होता। इस रोग के कारण बच्चे शब्दों के ज़रिए या फिर हरकतों के ज़रिए भी अपनी बातों को बताने और समझाने में असमर्थ होते हैं।  

autism in child

ऑटिज़्म के लक्षण (Symptoms of Autism in Hindi)

ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चे अक्सर अपने माता-पिता और दूसरे लोगों से भी भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते। ऐसे बच्चों की माताएं ये बताती हैं कि उनका बच्चा आंख में आंख डालकर या फिर सहजता के साथ उनसे बात नहीं करता। इस तरह के बच्चे ज्यादातर अकेले में रहना पसंद करते हैं। यही नहीं, उनके आसपास माता-पिता हो या नहीं हो, उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता। ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों के साथ भी घुलते मिलते नहीं हैं और अकेले ही खेलना पसंद करते हैं। इसके अलावा ऐसे बच्चों का व्यवहार असामान्य होता है जैसे कि खिलौनों से नार्मल तरीक़े से ना खेलकर उन्हें फेंकना या पटकना, कागज़ के टुकड़े, रस्सी या फिर किसी ऐसी चीज़ से खेलना जो सामान्य ना हो। ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों के क्रियाकलाप भी असामान्य से लगते हैं जैसे कि एक ही जगह पर हिलते रहना, हाथों को फ़ड़फड़ाना, गोल गोल घूमना, किसी घूमती हुई चीज़ को लगातार देखना, किसी आवाज़ को सुनकर चीखना और घबराना वगैरह। ऐसे बच्चे अपने हर रोज़ के रूटीन और आसपास के माहौल के प्रति बहुत ही सख़्त हो जाते हैं यानि इनकी दिनचर्या के कामों और आसपास की चीज़ों में बदलाव करना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि ये नए माहौल और रूटीन को नहीं समझ पाते और इसमें ढलने के लिए उन्हें काफ़ी समय लगता है। इनके रूटीन, माहौल और खान-पान में किसी तरह के बदलाव से इनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है।  

Autism

ऑटिज़्म का कारण (Causes of Autism in Hindi)

ऑटिज़्म होने के सठीक कारण का अब तक पता नहीं लग पाया है लेकिन मौटे तौर पर ये दिमाग़ में किसी तरह के डैमेज या डीजेनेरेशन के कारण होता है जिसकी वजह से ये समझा जाता है कि यह जन्म से जुड़ी एक बीमारी है। डिलीवरी के वक्त किसी तरह की जटिलता होने को इसका मुख्य कारण माना जाता है। कुछ मामलों में ये जेनेटिक भी होते हैं यानि परिवार के किसी सदस्य को होने पर उससे अनुवांशिक तौर पर जुड़े लोगों को भी ऑटिज़्म हो सकता है।  

Autism symptoms

कैसे होता है ऑटिज़्म का इलाज? (How is Autism treated in Hindi)

ऑटिज़्म के इलाज के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत होती है। इसके इलाज का सबसे अच्छा तरीक़ा साइको-सोशल मैनेजमेंट है जिसमें बच्चों के व्यवहार को समझने के तरीक़े पर ज़ोर दिया जाता है और साथ ही माता-पिता को ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे बच्चों के लिए आज कल सभी जगह स्पेश्लाइज्ड सेंटर होते हैं जहां ट्रेन्ड थेरेपिस्ट ऑटिज़्म के बच्चों का इलाज करते हैं। ये थेरेपिस्ट बच्चों के स्वभाव को समझकर उनके हर स्वभाव के लिए अलग थेरेपी करते हैं। उन्हें हर रोज़ के काम ख़ुद से करने के लिए और दूसरों की भावनाओं को समझने के लिए धीरे धीरे ट्रेन किया जाता है जो कि एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है। इसके अलावा ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के इलाज में सबसे मददगार मां होती है क्योंकि वो सबसे ज्यादा समय तक बच्चों के साथ होती हैं। इसलिए ऑटिज़्म के इलाज के लिए बच्चों के माता-पिता दोनों को ही ट्रेन किया जाता है। जितनी जल्दी बच्चों में ऑटिज़्म को पहचान लिया जाए, उतना ही इलाज होने और बच्चे के ठीक होने में सफलता मिलती है।  

Autism prevention

क्या ऑटिज़्म को रोका जा सकता है? (Can Autism can be prevented in Hindi)

इस रोग को रोक पाने में तथ्यात्मक रूप से कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन जन्म के समय होने वाली जटिलताओं को अगर रोका जाए तो इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा अगर परिवार में ऑटिज़्म की हिस्ट्री रही हो तो सावधानी से बच्चे प्लान करने की ज़रूरत होती है। साथ ही एक साल से लेकर तीन साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग करके ऑटिज़्म का पता लगाना चाहिए ताकि शुरूआत में ही इसका इलाज शुरू हो सके। 

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

बच्चे में ऑटिज़्म का पता लगने पर बिल्कुल हताश ना हों क्योंकि इस तरह के बच्चे विकलांग नहीं होते बल्कि ये वातावरण को थोड़े अलग प्रकार से देखते, सुनते और समझते हैं। माता-पिता को ऑटिज़्म के लक्षणों की पहचान कर बिना देर किए एक्सपर्ट्स की राय लेनी चाहिए और इलाज शुरू करना चाहिए।   

डिस्कलेमर – ऑटिज़्म के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर पवन कुमार गुप्ता, मानसिक रोग विशेषज्ञ।  

Note: This information on Autism, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Pawan Kumar Gupta (Psychiatrist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.