क्या हार्ट फेल्योर है हार्ट अटैक होने की निशानी ? हार्ट फेल्योर होने के कारण, लक्षण, इलाज तथा बचाव पर विस्तार से जानकरी दे रहे हैं डॉक्टर यूसुफ़ अंसारी, कार्डियोलॉजिस्ट।
- हार्ट फेल्योर के कारण
- हार्ट फेल्योर के लक्षण
- हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में अंतर
- किस उम्र में अधिकतर हार्ट फेल्योर हो सकता है?
- हार्ट फेल्योर का परीक्षण
- हार्ट फेल्योर का इलाज
- हार्ट फेल्योर की रोकथाम
- हार्ट फेल्योर होने पर क्या करें?
- डॉक्टर की सलाह
हमारा दिल गंदे ख़ून को पंप करके लगातार साफ़ करने की प्रक्रिया करता रहता है। हमारा ह्रद्य ख़ून में ऑक्सीजन मिलाकर पूरे शरीर में भेजता है। लेकिन जब कई कारणों से हमारा रक्त दिल तक सही से नहीं पहुंच पाता तो दिल के काम करने की शक्ति धीरे धीरे कम हो जाती है और आगे जाकर यही समस्या हार्ट फेल्योर के तौर पर सामने आती है। हार्ट फेल्योर होने पर मरीज़ को बार बार हार्ट अटैक आ सकता है और ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होकर बढ़ने लगता है।
हार्ट फेल्योर के कारण (Causes of heart failure in Hindi)
दिल के कमज़ोर होने के कई कारण हैं जैसे कि अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा हुआ हो या फिर ख़ून ले जाने वाली धमानियों में कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाने से उनकी मोटाई कम हो गई हो, तो ऐसे में ख़ून हमारे दिल तक सही तरह से नहीं पहुंच पाता है। दिल तक सही तरह से रक्त ना पहुंचने पर दिल के पंप करने की ताक़त कम होती जाती है और आगे जाकर मरीज़ को सांस फूलने की दिक्कतें होने लगती हैं। अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के अलावा खाने में नमक का ज्यादा प्रयोग, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन, ज़रूरत से ज्यादा मात्रा में कैलोरी लेना जिससे शरीर में वसा (Fats) का जम जाना वगैरह कुछ प्रमुख कारण हैं जो व्यक्ति को हार्ट फेल्योर की तरफ़ ले जाते हैं।
हार्ट फेल्योर के लक्षण (Symptoms of heart failure in Hindi)
इसके शुरूआती लक्षणों की बात करें तो मरीज़ के फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण उनकी सांसे तेज़ चलने लगती हैं और आवाज़ें भी आती हैं। मरीज़ सीढ़ियां चढ़ने और व्यायाम करने में बहुत थक जाता है और उसकी सांस फूलने लगती है। वहीं बीमारी ज्यादा गंभीर होने पर व्यक्ति के घुटनों और पैरों में सूजन हो जाती और फेफड़ों में पानी भर जाता है।
हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में अंतर (Difference between heart attack and heart failure in Hindi)
दरअसल हार्ट अटैक एक एक्यूट यानि तुरंत होने वाली बीमारी है जिसमें धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिसके कारण मरीज़ को सीने में तेज़ दर्द होता है, पसीने आते हैं, बांयी तरफ़ छाती से दर्द शुरू होकर कंधों, जबड़ों और हाथों तक पहुंच जाता है। यदि हार्ट अटैक का इलाज ना कराया जाए तो धीरे धीरे दिल कमज़ोर होने लगता है और हार्ट फेल्योर बीमारी की तरफ़ चला जाता है।
किस उम्र में अधिकतर हार्ट फेल्योर हो सकता है? (At what age, heart failure mostly occurs in Hindi)
अधिकतर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और धमनियों की बीमारी होने पर हार्ट फेल्योर होते देखा जाता है। ये बीमारी 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलती है हालांकि इस बीमारी के जेनेटिक कारण भफी देखे जाते हैं। इसके अलावा बच्चों में रूमेटिक हार्ट डीज़ीज़ (Rheumatic heart diseases) के कारण हार्ट फेल्योर होने की संभावना होती है जिसमें बैक्टीरिया द्वारा हार्ट के वॉल्व ख़राब हो जाते हैं। वॉल्व ख़राब होने की वजह से दिल में सूजन आ जाती है और दिल के पंप करने की क्षमता कम हो जाती है।
हार्ट फेल्योर का परीक्षण (Tests of heart failure in Hindi)
मरीज़ के लक्षणों के आधार पर बीमारी की डायग्नोसिस की जाती है। लक्षणों के आधार पर बीमारी की गंभीरता का पता लगाकर उसे क्लास 1, 2, 3 और 4 में रखा जाता है।इसके अलावा ब्लड टेस्ट किया जाता है जिसे एंटी प्रो बीएनपी (NT-pro BNP) कहते हैं जिसके अधिक आने पर हार्ट फेल्योर की पुष्टि होती है। मरीज़ का ईसीजी (ECG) भी किया जाता है और इसके अलावा 2D कार्डियोग्राफी करके दिल के पंप करने की क्षमता यानि इजेक्शन फ्रैक्शन को चेक किया जाता है। यदि इजेक्शन फ्रैक्शन की क्षमता 50 प्रतिशत तक कम हो तो इसे हार्ट फेल्योर माना जाता है।
हार्ट फेल्योर का इलाज (Treatment of heart failure in Hindi)
क्योंकि हार्ट फेल्योर होने पर पैरों सूजन हो जाती है और शरीर में पानी भर जाता है इसलिए मरीज़ को डायरोटिक देकर पेशाब को बढ़ाया जाता है जिससे की शरीर में पोटाशियम और सोडियम की मात्रा सही तरह से रह सके। इसके अलावा हार्ट फेल्योर होने पर दिल का धड़कना बहुत तेज़ हो जाता है जिसे कंट्रोल करने के लिए दवाई दी जाती है। साथ ही एसीटोबैक्टर दवाई दी जाती है जो हमारे मायोकार्डियम को ख़राब होने से बचाने के अलावा बीपी को भी निंयत्रित करता है। इसके अलावा शरीर में पोटाशियम और सोडियम की मात्रा बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्स भी दिए जाते हैं।
हार्ट फेल्योर की रोकथाम (Prevention of heart failure in Hindi)
हार्ट फेल्योर होने से बचाव किया जा सकता है। जिन लोगों को डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर और धमनियों के ब्लॉकेज से जुड़ी बीमारी हो, उन्हें अपना इलाज कराना चाहिए और नियमित तौर पर दवाई लेनी चाहिए। साथ ही धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए।
हार्ट फेल्योर होने पर क्या करें? (What to do in case of heart failure in Hindi)
हार्ट फेल्योर होने की स्थिति में सबसे पहले मरीज़ की दिल की धड़कन को चेक करना चाहिए कि वह चल रही है या नहीं। यदि मरीज़ की धड़कन रुक गई हो तो एयर वेज़ सर्कुलेशन को दोबारा शुरू करना चाहिए जिसके लिए छाती को थोड़ा दबाया जाता है। इसके अलावा अगर मरीज़ को सांस लेने में परेशानी हो रही हो तो रोगी को मुंह से सांस दी जानी चाहिए। सांस के दोबारा चालू होने पर जल्द से जल्द नज़दीक के अस्पताल में ले जाना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)
हार्ट फेल्योर की रोकथाम के लिए अच्छी जीवनशैली को अपनाना चाहिए जिसमें हेल्दी खाना और कम से कम दिन भर में 40 मिनट तक व्यायाम शामिल हो। खाना ऐसा होना चाहिए जिसमें फाइबर ज्यादा और कम कैलोरी हो।
डिस्कलेमर – हार्ट फेल्योर के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर यूसुफ़ अंसारी, कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Heart Failure, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Yusuf Ansari (Cardiologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.