हमारे मुँह के अंतिम छोर में मौजूद टॉन्सिल्स शरीर के इम्यून सिस्टम का हिस्सा होते हैं जो मुँह के ज़रिए शरीर में पहुंचने वाले इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। जब किसी कारण से इनमें सूजन हो जाती है तो इसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। टॉन्सिलाइटिस की समस्या अधिकतर बच्चों में क्यों देखी जाती है और क्या है इसका इलाज, विस्तार से बता रहे हैं डॉ विजय सिंह।

क्या होता है टॉन्सिलाइटिस? (What is Tonsillitis in Hindi)

शरीर में बाहर से प्रवेश करने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में कई प्रतिरोधक शक्तियां होती हैं जिनमें से टॉन्सिल्स भी एक है। टॉन्सिल्स, लिंफोइड आर्गन्स हैं जो मुँह के ज़रिए अंदर आने वाले कीटाणुओं को नष्ट करते हैं। हम सभी के शरीर में ये टॉन्सिल्स मुँह के अंतिम छोर में पाए जाते हैं और जब किसी कारण से इनमें सूजन हो जाती है तो इसे टॉन्सिलाइटिस के तौर पर जाना जाता है।

Tonsillitis

बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने के कारण (Main causes of tonsillitis in children in Hindi)

बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने की मुख्य वजह है वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन। वायरल इंफेक्शन की बात करें तो एडिनोवायरस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन में  स्टेप्टोकोकस नामक बैक्टीरिया मुख्य तौर पर टॉन्सिलाइटिस होने के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके अलावा, कई और प्रकार के भी वायरस और बैक्टीरिया से बच्चों में टॉन्सिलाइटिस की समस्या देखी जाती है।

टॉन्सिलाइटिस होने के लक्षण (Symptoms of Tonsillitis in Hindi)

हमारे गले के दाईं और बाईं दोनों तरफ़ टॉन्सिल्स होते हैं। इन्फेक्शन के कारण ये टॉन्सिल्स आकार में बड़े हो जाते हैं और मुँह खोलकर देखने पर आसानी से दिखाई देते हैं। इसके लक्षणों की बात करें तो टॉन्सिल्स में सूजन, इन्फेक्शन के कारण बच्चे को बुखार, गले में दर्द और आकार के बड़े होने के कारण भोजन को निगलने में दिक्कत होती है। इसके अलावा, टॉन्सिल्स के आसपास मौजूद दूसरे लिम्फनोट्स में भी सूजन आ सकती है।

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टॉन्सिलाइटिस के कारण होने वाली जटिलताएं (Complications of Tonsillitis in Hindi)

टॉन्सिलाइटिस होने की वजह से गले में मवाद भर जाता है और यह इन्फेक्शन दूसरी जगहों पर भी फैल सकता है। मवाद होने के कारण बच्चे को गले में तेज़ दर्द और बुखार हो जाता है। यही नहीं, स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होने वाले इंफेक्शन में यह देखा गया है कि इससे हृदय और किडनी पर भी असर पड़ता है। हार्ट के अंदर प्रॉब्लम होने पर इसे रूमेटिक डिज़ीज़ कहा जाता है जबकि किडनी में इस इंफेक्शन की वजह से नेफ्राइटिस हो जाता है।

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टॉन्सिलाइटिस का इलाज (Treatment of Tonsillitis in Hindi)

बैक्टीरिया के कारण होने वाले टॉन्सिलाइटिस में एंटी बायोटिक दवाइयां दी जाती हैं जबकि  वायरल इन्फेक्शन में सिंप्टोमैटिक मैनेजमेंट दिया जाता है। इसके अलावा, बुखार कम करने के लिए पैरासिटामोल और दर्द मिटाने के लिए पेनकिलर भी दी जाती है। टॉन्सिल्स में मवाद भरने पर सर्जरी द्वारा मवाद को निकाल दिया जाता है जिसे टॉन्सिलेक्टामी कहा जाता है। अगर टॉन्सिल्स का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और उससे बच्चे को दिक्कत होने लगे, तो उन्हें सर्जरी के ज़रिेए निकालना भी पड़ सकता है।

घरेलू उपचार मददगार हैं या नहीं? (Are home remedies helpful in tonsillitis or not in Hindi)

वैसे तो टॉन्सिलाइटिस के मामले में घरेलू उपचार फ़ायदेमंद होते हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही दवाइयों के साथ साथ घरेलू उपचार करने चाहिए। घरेलू उपचार में गार्गल करना बहुत ही फ़ायदेमंद होता है लेकिन बहुत छोटे बच्चे को गार्गल नहीं कराया जा सकता इसलिए बेहतर है  मरीज़ की उम्र देखकर और डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही घरेलू उपचार करें।

tonsilitis in children

बच्चे को डॉक्टर के पास कब ले जाएं? (When to take the child to the doctor in Hindi)

आमतौर पर लोग टॉन्सिलाइटिस को एक आम बीमारी समझते हैं क्योंकि ये कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो जाती है। लेकिन अगर बच्चे को गले में तेज़ दर्द और बुखार हो और साथ ही वह कुछ भी खा-पी नहीं पा रहा हो तो ऐसे में डॉक्टर के पास ज़रूर ले जाएं। कभी कभी टॉन्सिल्स का ये इन्फेक्शन जटिल होकर हार्ट को भी प्रभावित कर देता है जिससे रूमेटिक हार्ट डिज़ीज़ जैसी लंबी बीमारी भी बच्चे को हो सकती है।

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बच्चों में ज़्यादातर क्यों देखी जाती है यह समस्या? (Why is tonsillitis more common in children in Hindi)

क्योंकि बच्चों की इम्युनिटी कमज़ोर होती है, ऐसे में उन्हें बार बार टॉन्सिलाइटिस की समस्या हो जाती है। इसके अलावा, ठंडा-गर्म खाने से, साफ़ सफ़ाई का ध्यान न रखने पर और कुपोषण के कारण भी बच्चे ज़्यादातर टॉन्सिलाइटिस की चपेट में आ जाते हैं।

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

बच्चों की ग्रोथ बहुत तेज़ी से होती है ऐसे में आमतौर पर होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, इंसेफलाइटिस, टॉन्सिलाइटिस वगैरह बच्चे के शारीरिक विकास में रुकावट पैदा करती हैं इसलिए, बच्चों को बीमारियों से बचाना सबसे ज़रूरी है। बीमारियों से बचाने के लिए बच्चे के पोषण के साथ-साथ साफ़ सफ़ाई का ध्यान रखें।

डिस्क्लेमर – बच्चों में टॉन्सिलाइटिस की समस्या, इसके कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया लेख पूर्णतः डॉक्टर विजय सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Tonsillitis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vijay Singh (Paediatrician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.