क्या आपको समय से पीरियड्स नहीं आते या फिर माहवारी के दौरान आपको तेज़ दर्द का सामना करना पड़ता है ? क्या आप भी पीरियड्स में होने वाली अनियमितता से हैं परेशान, तो जानिए इसके कारण और इलाज के बारे में डॉक्टर स्मृति अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ से।
- किस तरह की होती हैं पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं?
- PCOS बीमारी और उसके कारण
- कैसे होता है PCOS का इलाज?
- पीरियड्स के दौरान क्यों होता है तेज़ दर्द?
- पीरियड्स में अनियमितता का कारण
- महिलाओं में ज्यादातर यूरीन इंफेक्शन क्यों देखा जाता है?
- गर्भावस्था में कैसे रखें अपना ध्यान?
किस तरह की होती हैं पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं? (What are the problems related to periods in Hindi)
कम उम्र की लड़कियों के साथ ही 20 से 35 साल की महिलाओं में भी अक्सर पीरियड्स से जुड़ी कई तरह की परेशानियां देखने को मिलती हैं जैसे कि सही समय पर माहवारी ना आना, फ्लो का कम या बहुत ज्यादा होना। इसके अलावा कई औरतों में ट्यूमर पाया जाता है। कई महिलाओं को गर्भ धारण करने में दिक्कत होती है। वहीं उम्र बढ़ने के साथ ही कैंसर होने का ख़तरा भी बना रहता है। इसके साथ ही जिनकी माहवारी रूक जाती है, उन्हें भी कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं।
PCOS बीमारी और उसके कारण (Poly Cystic Ovarian Syndrome (PCOS) and its causes in Hindi)
आजकल कम उम्र की लड़कियों में पीसीओएस यानि पॉलि सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नाम की बीमारी काफ़ी ज्यादा देखी जा रही है। ऐसी लड़कियों के पीरियड्स में अनियमितता होती है और साथ ही अंडाशय में सिस्ट बन जाता है। इसके कई कारण हैं जिसमें सबसे बड़ा कारण है आजकल की जीवनशैली और खानपान। जंक फूड, फास्ट फूड, पैकेज्ड फूड जैसे खाने पीने की चीज़ों से लड़कियों का वज़न बढ़ जाता है जिसके कारण हॉरमोन्स का इंबैलेंस हो जाता है और माहवारी में अनियमितता आ जाती है और आगे जाकर ये पीसीओएस में भी तब्दील हो जाता है।
कैसे होता है PCOS का इलाज? (How is PCOS treated in Hindi)
सबसे पहले किसी भी मरीज़ को जीवनशैली और खानपान में बदलाव करने की सलाह दी जाती है। अच्छी डाइट के साथ ही व्यायाम करने के लिए कहा जाता है और अगर हॉरमोन्स का इंबैलेंस ज्यादा हो गया हो, तो उन्हें हॉरमोन्स पर भी डाला जाता है। इसके अलावा शुगर की जांच भी की जाती है क्योंकि मोटापा बढ़ने की वजह से शुगर की मात्रा बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। जो महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पा रही होती हैं, उनमें भी पीसीओएस देखा जाता है। ऐसी महिलाओं को भी जीवनशैली में बदलाव करने को कहा जाता है और साथ ही उन्हें अंडा बनने की दवाइयां भी दी जाती हैं।
पीरियड्स के दौरान क्यों होता है तेज़ दर्द? (Why is there severe pain during periods in Hindi)
लगभग पंद्रह से बीस प्रतिशत मामलों में महिलाओं को माहवारी के दौरान तेज़ दर्द का सामना करना पड़ता है, ख़ासकर ये दर्द कम उम्र की लड़कियों को होता है। हालांकि, इसमें किसी तरह की घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ ही दर्द कम होता चला जाता है। लेकिन अगर किसी महिला को दर्द इतना ज्यादा हो कि उससे उसके दिनभर के कामों पर प्रभाव पड़ रहा हो तो ऐसे में दर्द की गोली दी जाती है। इसके अलावा किसी तरह के ट्यूमर या फिर एंडोमेट्रियोसिस वगैरह की वजह से भी दर्द होता है।
पीरियड्स में अनियमितता का कारण (Causes of irregularity in periods in Hindi)
शरीर में हॉरमोन्स का इंबैलेंस होना माहवारी में गड़बड़ी होने का सबसे बड़ा कराण है। इसके अलावा पीसीओएस होने पर भी माहवारी अनियमित हो जाती है, साथ ही बच्चेदानी में टीबी होने पर भी ऐसा हो जाता है।
महिलाओं में ज्यादातर यूरीन इंफेक्शन क्यों देखा जाता है? (Why are urine infections mostly seen in women in Hindi)
अक्सर अधिक उम्र की महिलाओं में यूरीन इंफेक्शन देखने को मिलता है। वैसे भी महिलाओं का मूत्र मार्ग यानि पेशाब निकलने का रास्ता (यूरथेरा) काफ़ी छोटा होता है जिसके कारण इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए दिनभर में कम से कम दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए, नींबू पानी पीने से इंफेक्शन और पथरी बनने की समस्या से बचा जा सकता है। इसके अलावा पेशाब करने के बाद मूत्र मार्ग को अच्छी तरह से साफ़ करना चाहिए।
गर्भावस्था में कैसे रखें अपना ध्यान? (How to take care of yourself during pregnancy in Hindi)
गर्भावस्था के दौरान अपने खाने पीने के ख़ास ख़्याल रखना ज़रूरी है। हर दिन दो से तीन लीटर पानी पिएं। ब्लड प्रेशर कम होने पर अगर महिला को चक्कर आते हैं तो नींबू पानी पीना चाहिए, साथ ही शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए दूध का सेवन ज़रूर करना चाहिए। गर्भावस्था में सुबह और शाम दोनों समय कैल्शियम की गोलियां अवश्य लेनी चाहिए क्योंकि इसकी कमी से हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। साथ ही इस दौरान शरीर में ख़ून की कमी ना होने दें और इसके लिए आयरन से भरपूर चीज़ें जैसे गुड़, चना, पालक वगैरह का सेवन करें और लोहे के बर्तन में खाना बना कर खाएं। दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर ज़रूर रखें और नियमित तौर पर अपनी जांच कराते रहें।
डिस्कलेमर – पीरियड्स में अनियमितता होने के कारण, बचाव और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर स्मृति अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Poly Cystic Ovarian Syndrome (PCOS), in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Smriti Agarwal (Gynaecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.