महिलाओं को हर महीने होने वाली माहवारी जब कुछ समय के लिए रुक जाती है तो उसे मीनोपॉज़ यानि रजोनिवृत्ति कहा जाता है। यह पूरी तरह से एक फिजियोलॉजिकल बदलाव है और सामान्य है। क्या हैं मीनोपॉज़ होने के कारण और इससे शरीर में किस तरह के आते हैं बदलाव, बता रही है डॉक्टर नूपुर जायसवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ।
- मीनोपॉज़ क्या होता है?
- किस उम्र में होता है मीनोपॉज़, क्या हैं कारण?
- कई अंगों में दिखते हैं मीनोपॉज़ के लक्षण
- समय से पहले रजोनिवृत्ति बीमारी का संकेत है!
- मीनोपॉज़ के बाद क्यों बढ़ जाती है हार्ट की समस्या?
- इस दौरान कैसे रखें अपना ध्यान?
- डॉक्टर की सलाह
मीनोपॉज़ क्या होता है? (What is Menopause in Hindi)
मीनोपॉज़ महिलाओं में होने वाला एक शारीरिक बदलाव है जिसमें हर महीने होने वाली माहवारी लगभग 1 साल या उससे ज़्यादा समय तक के लिए बंद हो जाती है। इस दौरान महिला के अंडाशय में बनने वाले एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का बनना बंद हो जाता है और इसलिए कुछ समय के लिए महिला के पीरियड्स रुक जाते हैं।
किस उम्र में होता है मीनोपॉज़, क्या हैं कारण? (At what age menopause occurs, what are the causes in Hindi)
अगर भारतीय महिलाओं की बात की जाए तो लगभग 45 से 55 वर्ष की आयु तक के बीच मीनोपॉज़ होते देखा गया है। मीनोपॉज़ होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है ओवरी द्वारा एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण बंद होना। इसके अलावा कुछ सर्जिकल कारण भी हो सकते हैं जिसमें सर्जरी के दौरान ओवरी और यूट्रस को निकाल दिया जाता है। साथ ही साथ कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी जैसे कुछ इलाज के दौरान भी अंडाशय पर असर पड़ता है और महिला को मीनोपॉज़ हो जाता है। कभी कभी ऑटो इम्यून डिज़ीज़ की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अपने ही ख़िलाफ़ काम करने लगती है और इसके कारण भी महिला को मीनोपॉज़ हो जाता है।
कई अंगों में दिखते हैं मीनोपॉज़ के लक्षण (Symptoms of menopause are seen in many organs in Hindi)
मीनोपॉज़ के कारण होने वाले लक्षणों की बात करें तो एक महिला के पूरे शरीर या यूं कहें सिर से पैर तक के अंगों में इसका असर दिखाई देता है। एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने पर सिरदर्द, चक्कर आना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बहुत तेज़ गर्मी लगना, डिप्रेशन जैसे दिमाग़ से जुड़ी समस्याएं होती हैं, त्वचा में रुखापन, झुर्रियां पड़ना और समय से पहले ही चेहरे पर बुढ़ापा दिखना आम बात है। इस दौरान मसूड़े और दांत भी कमज़ोर हो जाते हैं, थाइराइड ग्रंथि में भी बदलाव के कारण हाइपोथायराडिज़्म की समस्या हो जाती है। एस्ट्रोजन हार्मोन महिला के दिल की भी रक्षा करता है लेकिन इसके न बनने पर धमनियों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे हार्ट अटैक और ब्लडप्रेशर जैसी गंभीर दिक्कतें सामने आने लगती हैं। इसके अलावा, इस दौरान लिवर का फंक्शन भी अच्छी तरह से नहीं हो पाता और आंतें भी कमज़ोर हो जाती हैं जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है, महिला को कब्ज़ और पाइल्स होने की संभावना बढ़ जाती है। मीनोपॉज़ के दौरान हड्डियाँ भी कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जोड़ों और कमर में दर्द रहता है। महिला की योनि में जलन और खुजली की समस्या भी हो जाती है।
समय से पहले रजोनिवृत्ति बीमारी का संकेत है! (Premature menopause is a sign of illness in Hindi)
आजकल यह देखा जा रहा है कि महिला को समय से पहले ही रजोनिवृत्ति हो जाती है। यदि किसी महिला को 40 साल की उम्र से पहले ही मीनोपॉज़ हो जाता है तो इसे प्रीमच्योर मीनोपॉज़ कहा जाता है और इसका मतलब है कि अंडाशय के अंदर अंडे बनने की प्रक्रिया पहले ही ख़त्म हो चुकी है। समय से पहले मीनोपॉज़ होने का मतलब ये है कि किन्हीं कारणों से महिला की ओवरी प्रभावित हुई है और उसमें अंडा बनने की प्रक्रिया समय से पहले ही समाप्त हो चुकी है।
मीनोपॉज़ के बाद क्यों बढ़ जाती है हार्ट की समस्या? (Why does Menopause increase risk of heart disease in Hindi)
महिलाओं के शरीर में बनने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन दिल की भी रक्षा करता है लेकिन इसके ना बनने से ख़ून की नलिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमना शुरू हो जाता है जिससे रक्त के प्रवाह में बाधा आती है। इन धमनियों में रक्त के ठीक तरह से प्रवाह नहीं होने पर दिल को पंप करने के लिए सही मात्रा में खून नहीं मिल पाता और इससे हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं हो जाती है।
इस दौरान कैसे रखें अपना ध्यान? (How to take care of yourself during this in Hindi)
मीनोपॉज़ के दौरान सबसे ज़रूरी है लाइफस्टाइल में मॉडिफिकेशन यानि जीवनशैली में बदलाव जिसमें खानपान, व्यायाम और मेडिटेशन जैसी चीज़ें शामिल हैं। इस दौरान महिलाएं अपने खानपान का विशेष ख़्याल रखें, तली भुनी चीज़ों से परहेज़ करें और अपनी डाइट में फल, सब्ज़ियाँ, सूखे मेवे, दूध वगैरह को ज़्यादा तरजीह दें। महिलाओं को चाहिए इस दौरान शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्नीशियम युक्त चीज़ों का सेवन बढ़ा दें। इसके अलावा, नियमित तौर पर व्यायाम और किसी तरह की चिंता और तनाव को दूर करने के लिए मेडिटेशन अवश्य करें। अगर इसके बाद भी मीनोपॉज से होने वाली समस्याओं से छुटकारा न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी अवस्था में डॉक्टर कुछ हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए सुझाव देते हैं हालांकि, ये थेरेपी हर महिला को नहीं दी जा सकती क्योंकि इसके भी कई साइड इफेक्ट्स होते हैं।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)
एस्ट्रोजन ना बनने की स्थिति में महिला का शरीर ख़ुद ही बिना एस्ट्रोजन हार्मोन के एडजस्ट करने की कोशिश करने लगता है इसलिए मीनोपॉज़ के दौरान इसके होने वाले लक्षणों से बिल्कुल भी ना घबराएं और लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन का सहारा लें। ये भी देखा गया है कि मीनोपॉज़ आने से कुछ समय पहले और बाद में इसके लक्षण अपने आप ही ख़त्म हो जाते हैं।
डिस्क्लेमर – मीनोपॉज़ के दौरान महिलाओं में दिखने वाले लक्षण, इसके कारण और बचाव के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर नूपुर जायसवाल, स्त्रीरोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Menopause, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Noopur Jaiswal (Gynaecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.