वैसे तो दांतों और मसूढ़ों में होने वाली पायरिया नाम की बीमारी बहुत ही मामूली लगती है लेकिन समय के साथ ये हमारे पूरे शरीर पर भी असर डाल सकती है। पायरिया के लक्षण, कारण और इलाज पर ज्यादा जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर कौशल किशोर अग्रवाल, दंत चिकित्सक। 

हम जो कुछ भी खाते हैं उसका पाचन हमारे मुंह से ही शुरू हो जाता है। भोजन सबसे पहले हमारे मुंह के अंदर जाकर दांतों और जीभ के ज़रिए आगे बढ़ता है और इसी भोजन से हमारे शरीर को ताकत मिलती है। इस उर्जा से ही हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और इसमें हमारे दांतों का बहुत बड़ा योगदान है। अगर हमारे दांतों में किसी तरह की कोई बीमारी हो, तो भोजन करने के दौरान उसके अंश शरीर के अंदर चले जाते हैं और हमें ज्यादा बीमार कर सकते हैं इसलिए दांतों का स्वस्थ रहना बहुत ज़रुरी है।  

dental problem

क्या होता है पायरिया? (What is Pyorrhea?)

पायरिया मसूढ़ों से जुड़ी बीमारी है जो दांतों पर प्लाक (Plaque) के जमने से होती है। प्लाक में कुछ बैक्टीरिया होते हैं जिसमें प्रमुख है स्टेटोकोपाइन नामक बैक्टीरिया जो मसूढ़ों को धीरे-धीरे गलाना शुरू कर देता है। मसूढ़े हमारे दांतों को उनकी जगह पर पकड़ कर रखते हैं लेकिन यही मसूढ़े जब गलने लगे, तो उनके नीचे की हड्डियां भी गलने लगती हैं जिससे दांतो की पकड़ कमज़ोर हो जाती है। इस वजह से दांत ढीले पड़ने लगते है और साथ ही मुंह से बदबू भी आने लगती है। दांतों और मसूढ़ों की इसी स्थिति को पायरिया कहते हैं।  

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पायरिया का कारण और इसके लक्षण (Causes and Symptoms of Pyorrhea) 

जब भी हम कुछ खाते हैं तो उसके कुछ कण हमारे दांतों में रह जाते हैं जिसे प्लाक कहा जाता है। धीरे-धीरे ये प्लाक जमकर सख्त हो जाता है जिसे कैलकुलस (Calculus) कहते हैं। दांतों में जमे प्लाक को दांतों और जीभ की सफ़ाई के ज़रिए निकाला जा सकता है लेकिन अगर कैलकुलस बन जाए, तो इसे केवल ब्रश करके नहीं निकाला जा सकता। इसे साफ़ करने के लिए एक अच्छे डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए। बात करें इसके लक्षणों की तो मुंह से बदबू आना, मसूढ़ों से खून निकलना, दांतों का थोड़ा लंबा दिखना और मसूढ़ों की नीचे की हड्डियों का गलना पायारिया के खास लक्षण हैं।  

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कैसे करें दांतों की देखभाल? (How to take care of teeth?) 

दांतों को साफ़ करने के लिए अच्छा और मुलायम ब्रश इस्तेमाल करें। इसके अलावा फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। ब्रश करते वक्त ये ध्यान दें कि ब्रश बिल्कुल सीधा ना पकड़े बल्कि इसे थोड़ा टेढ़ा करके दांतों पर प्रेशर देकर साफ़ करें। कई लोग ब्रश को उपर से नीचे, दाएं से बाएं या फिर सर्कुलर मोशन में घुमाते हैं लेकिन असल में ये तीनों ही तरीके ग़लत हैं बल्कि दांतों को हमेशा टू एंड फ्रो (To-and-Fro) मोशन में साफ़ करना चाहिए। ब्रश को थोड़ा झुकाकर लगभग 45 डिग्री के एंगल से पकड़ें। दिन में दो बार कम से कम दस मिनट के लिए ज़रूर ब्रश करना चाहिए। खाने में विटामिन और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा लें और फैट्स युक्त चीज़े कम खांए।  

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दंत रोग का उपचार (Treatment of dental disease) 

कई बार दो दांतों के बीच फंसी गंदगी ब्रश से नहीं निकल पाती इसलिए उसे डेन्टल फ्लॉस के ज़रिए निकाल सकते हैं। दांतों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जैसे दांतों में क्षय रोग, मसूढ़ों का फूलना या खून आना, जीभ में कैंसर, तबांकू खाने और धूम्रपान वगैरह से बीमारी हो सकती है। इन सभी का इलाज अलग-अलग तरह से होता है। अगर दांतों में कीड़े लग गए हों या फिर चोट लगने की वजह से दांत टूट गए हों, तो पहले दांतों की सफ़ाई की जाती है और वहां केमिकल भरा जाता है जिसे रेस्टोरेशन (Restoration) कहते हैं। दांतों में पीलापन होने पर सफ़ाई करके ब्लीचिंग की जाती है और दांतों के रंग का शेड बदल दिया जाता है। इसके अलावा अगर किसी के दांत हैं ही नहीं, तो उन्हें नकली दांत लगाए जाते हैं। ये आर्टीफिशियल दांत दो तरह के होते हैं जिनमें टेम्पोरेरी और पर्मानेंट दांत लगाए जाते हैं। स्थाई यानि पर्मानेंट दांतों को डेन्चर के ज़रिए लगाया जाता है।  

डिस्क्लेमर – पायरिया की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर कौशल किशोर अग्रवाल, दंत चिकित्सक द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।     

Note: This information on pyorrhea disease, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Kaushal Kishor Agrawal (Dentist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.