वर्टिगो, दरअसल दिमाग़ की नसों से जुड़ी एक समस्या है जिसमें मरीज़ को आसपास की चीज़ें या ख़ुद के शरीर के घूमने का एहसास होता है। क्या वर्टिगो एक गंभीर बीमारी है और क्या है इसका उचित इलाज, बता रही हैं डॉ रुचिका टंडन।
- क्या होता है वर्टिगो?
- कितनी गंभीर समस्या है वर्टिगो?
- सिरदर्द और वर्टिगो में क्या है फ़र्क़?
- क्या है वर्टिगो होने के कारण?
- चक्कर आने के अलावा दूसरे लक्षण
- कैसे होता है वर्टिगो का इलाज?
- योग और व्यायाम का प्रभाव
- वर्टिगो होने से कैसे बचें?
क्या होता है वर्टिगो? (What is Vertigo in Hindi)
वर्टिगो दरअसल, एक ऐसी समस्या या लक्षण है जिसमें व्यक्ति को आसपास की चीज़ें घूमने और हिलने का एहसास होता है। यही नहीं, व्यक्ति को ये भी लगता है कि उसके आसपास की चीज़ों के अलावा उसका शरीर भी डोल रहा है।
कितनी गंभीर समस्या है वर्टिगो? (How serious is Vertigo in Hindi)
दुनिया भर में लगभग 0.5% से लेकर 1% लोगों में ये समस्या देखी जाती है। हालांकि, वर्टिगो के भी कई प्रकार हैं और व्यक्ति में वर्टिगो होने का क्या कारण है, इसके आधार पर ही इसकी गंभीरता को समझा जा सकता है जैसे कि दिमाग़ में ट्यूमर के कारण, कानों में इंफेक्शन के कारण या फिर दिमाग़ में ख़ून का थक्का जम जाने पर भी वर्टिगो की समस्या होती है। आमतौर पर लोगों में बेनाइन वर्टिगो पाया जाता है जो बहुत ज्यादा गंभीर नहीं होता।
सिरदर्द और वर्टिगो में क्या है फ़र्क़? (Difference between Headache & Vertigo in Hindi)
सिरदर्द में लोगों को तेज़ दर्द होने की शिक़ायत रहती है जिसमें नसों पर दबाव पड़ना, नस टपकना या कुछ भद्दा लगने का एहसास होता है जबकि वर्टिगो में मरीज़ को दर्द नहीं होता बल्कि आसपास की चीज़ें घूमने या फिर ख़ुद के शरीर के घूमने का आभास होता है। इसके अलावा, इसमें किसी एक दिशा में खिंचाव और बैलेंस बनाने में दिक्कत महसूस होती है। हालांकि, सिरदर्द और वर्टिगो दोनों अलग अलग हैं लेकिन कई लोगों में इन दोनों का अटैक एक साथ भी हो सकता है जैसे कि माइग्रेन के मरीज़ों को दर्द के साथ साथ चक्कर भी आ जाते हैं।
क्या है वर्टिगो होने के कारण? (Causes of Vertigo in Hindi)
यूं तो वर्टिगो होने के कई कारण हैं लेकिन इनमें सेंट्रल कारण और पेरीफेरल कारण मुख्य तौर पर शामिल हैं। सेंट्रल कारण का मतलब है दिमाग में किसी तरह की दिक्कत होने की वजह से वर्टिगो की समस्या होना जबकि पेरिफेरल कारणों में मुख्य तौर पर कान की नसों में किसी तरह की गड़बड़ी होने से ऐसा होता है। कान की नसों में भी कई तरह की गड़बड़ी हो सकती है जिसमें आमतौर पर बेनाइन प्रॉक्सिमल पोज़िश्नल वर्टिगो पाया जाता है। बेनाइन प्रॉक्सिमल पोज़िश्नल वर्टिगो में कान की नसों में मौजूद तरल पदार्थ के ऊपर कैल्शियम के क्रिस्टल मौजूद होते हैं जिनके अपनी जगह से हट जाने के कारण वर्टिगो की समस्या होती है। साथ ही साथ कान के पर्दे फट जाने, कान में इन्फेक्शन हो जाने पर, ब्रेन ट्यूमर, माइग्रेन और ऑटो इम्यून डिज़ीज़ होने पर भी वर्टिगो के लक्षण देखे जा सकते हैं।
चक्कर आने के अलावा दूसरे लक्षण (Symptoms other than dizziness in Hindi)
चक्कर आने के अलावा दूसरे लक्षणों की बात करें तो इसमें मरीज़ को पसीने छूट सकते हैं और घबराहट-बेचैनी का आभास हो सकता है। ऐसे में मरीज़ अपना सिर स्थिर रखना चाहता है और हिलाने पर उसे चक्कर आते हैं।
कैसे होता है वर्टिगो का इलाज? (Treatment of Vertigo in Hindi)
वर्टिगो के इलाज के लिए सबसे पहले उसके लक्षणों को कम करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं और इसके बाद उन कारणों का समाधान किया जाता है जिसकी वजह से वर्टिगो होता है जैसे कि माइग्रेन की वजह से होने वाले वर्टिगो के लिए माइग्रेन की दवा दी जाती है, किसी चोट के कारण चक्कर आने पर दर्द और सूजन को कम करने के लिए दवाई देनी पड़ती है या फिर किसी और बीमारी के कारण वर्टिगो होने पर उस बीमारी का निवारण किया जाता है। कुछ लोगों को उलझन और घबराहट के कारण भी ऐसी समस्या होती है और इसलिए उन्हें तनाव कम करने के बारे में बताया जाता है।
योग और व्यायाम का प्रभाव (Impact of yoga and exercises in Hindi)
वर्टिगो से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के व्यायाम और योग भी बहुत असरदार होते हैं जिसमें शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद पहुंचती हैं। लेकिन याद रहे कि ये व्यायाम और योग वही लोग करें जिन्हें गर्दन में दर्द, सिर में किसी तरह की चोट वगैरह ना हो। किसी भी व्यायाम या योग की प्रक्रिया को करने से पहले अपने न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह ज़रूर लें।
वर्टिगो होने से कैसे बचें? (How to prevent vertigo in Hindi)
वर्टिगो ना हो इसके लिए उन कारणों का समाधान करना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है जिसकी वजह से चक्कर आ रहे हैं जैसे कि माइग्रेन की वजह से चक्कर आने पर अपने खानपान में बदलाव, समय पर नींद लेना बहुत आवश्यक है। इसके अलावा, कानों की सफ़ाई नियमित तौर पर करते रहें। सिर पर चोट लगने से बचें तथा किसी तरह के मादक पदार्थों का सेवन ना करें।
डिस्क्लेमर – वर्टिगो की समस्या के लक्षण, कारण तथा इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर रुचिका टंडन, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Vertigo, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ruchika Tandon (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.