कोरोना वायरस का बढ़ता हुआ ख़तरा सभी को अपनी चपेट में ले रहा है और इससे बचाव के लिए सावधानियां बरतनी ज़रूरी है। ख़ासकर गर्भवती महिलाओं को और भी ज्यादा सावधानी बरतने और अपनी देखभाल करना आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पहले और डिलीवरी के बाद किस तरह रखना चाहिए अपना ध्यान, इस पर विस्तार से बता रही हैं डॉ शाहिदा नग़मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ।    

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की इम्यूनिटी थोड़ी कम हो जाना स्वाभाविक है इसलिए दूसरी महिलाओं के मुकाबले उन्हें कोविड-19 के संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है। ऐसे में ज़रूरी है कि गर्भवती महिलाएं अपना विशेष रूप से ध्यान रखें। 

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गर्भवती महिलाओं में कोरोना के लक्षण (Corona Symptoms in Pregnant Women in Hindi)

गर्भवती महिलाओं में कोरोना के लक्षण बुख़ार के तौर पर दिख सकते हैं लेकिन आजकल कई मामलों में महिलाओं में बुखार देखने को नहीं मिलता बल्कि आंखों से पानी आना, नाक बहना और कफ़ होना जैसे शुरूआती लक्षण देखे जाते हैं। इंफेक्शन के दो तीन बाद बुखार भी आ जाता है। इसके अलावा शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, लूज़ मोशन होना, डायरिया वगैरह हो सकता है। वहीं अगर संक्रमण ज्यादा बढ़ गया हो तो सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है।  

कोरोना के लक्षण दिखने पर क्या करें? (What to do if you see signs of corona in Hindi)

अगर गर्भवती महिला में किसी भी तरह के लक्षण दिखते हैं तो उसे कोरोना ही समझा जाना चाहिए। ऐसे में गर्भवती महिला को आइसोलेट हो कर फोन पर ही अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और अस्पताल या क्लीनिक जाने से बचना चाहिए क्योंकि अस्पतालों में इंफेक्शन का ख़तरा बहुत ज्यादा होता है। इंफेक्शन का पता लगाने के लिए टेस्ट ज़रूर कराएं। रिपोर्ट आने तक स्टीम लिया जा सकता है जिससे बहती नाक और गले की ख़राश में आराम मिल सकता है। बुख़ार होने पर पैरासीटामोल की 650 मिली ग्राम की डोज़ ली जा सकती है क्योंकि कोविड वायरस के इंफेक्शन से बचाव के लिए पैरासीटामोल बहुत ही कारगर दवाई है जिसे गर्भवती महिलाएं डॉक्टर से परामर्श लेकर लें सकती हैं। दो डोज़ के बीच में कम से कम छह घंटे का अंतर होना चाहिए। इसके अलावा हर चार से छह घंटे पर अपने शरीर का तापमान और ऑक्सीजन का लेवल चेक करते रहें। लेकिन अगर दवाई लेने के बाद भी बुख़ार कम ना हो, ऑक्सीजन लेवल डिप हो रहा हो, सांस लेने में परेशानी होने लगे तो ऐसे में अस्पताल ज़रूर जाएं।    

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कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला का इलाज (Treatment of corona infected pregnant woman in Hindi)

गर्भावस्था के महीने के अनुसार ही कोरोना संक्रमित महिला का इलाज किया जाता है। शुरूआती तीन महीने में डॉक्टर द्वारा फॉलिक एसिड दिया जाता है और कुछ सामान्य अल्ट्रासाउंड की जाती है। दूसरे ट्राइमिस्टर के दौरान डॉक्टर कैल्शियम, विटामिन, जिंक और आयरन की टैबलेट खाने की सलाह देते हैं और साथ ही लेवल – 2 अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है जिससे बच्चे में होने वाली किसी तरह की असमान्यता का पता लगाया जाता है। आख़िरी तीन महीने मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए ही नाज़ुक समय होता है इसलिए मां को अपने बच्चे के मूवमेंट का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा बच्चे की ग्रोथ भी देखी जाती है और महिला को आयरन, कैल्शियम, बी-कॉम्प्लेक्स दवाईयां जारी रखने की सलाह दी जाती है। अगर महिला को पानी या ख़ून आ रहा हो या फिर पेट के अंदर बच्चा नहीं घूम रहा हो तो ऐसे में अस्पताल जाना चाहिए।  

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क्या संक्रमित मां से गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है प्रभाव? (Does the infected mother have an effect on the fetus in Hindi)

डॉक्टर के मुताबिक भारत में अब तक किसी भी रिसर्च के अनुसार ऐसी कोई भी बात स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आई है जिसमें संक्रमित मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को इंफेक्शन होने की पुष्टि हो। हां, लेकिन डिलीवरी के बाद जब बच्चा अपनी मां के संपर्क में आता है तो ऐसे में संक्रमण का ख़तरा हो सकता है इसलिए डिलीवरी के बाद मां मास्क पहन कर और अच्छी तरह सैनिटाइज़ेशन के बाद ही बच्चे की देखभाल करें। अगर संक्रमण का डर हो तो मां का दूध निकाल कर बोतल के ज़रिए भी दिया जा सकता है।  

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किस तरह की सावधानियां बरतें गर्भवती महिलाएं? (What kind of precautions should pregnant women take in Hindi) 

कोरोना वायरस से बचने के लिए जो सलाह आम लोगों को दी जा रही है, वही सारी चीज़ें और सावधानियां गर्भवती महिलाओं को भी अपनानी चाहिए। अगर घर में किसी को संक्रमण है तो गर्भवती महिला अपने आप को उससे बिल्कुल अलग कर लें, बाहर ना जाएं और किसी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।  

क्या घरेलू उपचार है लाभदायक? (Are home remedies beneficial in Hindi)

सदियों से लोग जड़ी बूटी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। हालांकि, इन घरेलू उपचार को करने से किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं है लेकिन कोरोना से लड़ने में ये मददगार हैं, इस बात की पुष्टि मेडिकल साइंस नहीं करता। हां, लेकिन सभी लोगों की तरह ही गर्भवती महिलाएं स्टीम ले सकती हैं। साथ ही साथ प्रोन पोज़िशन में लेटना भी ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाता है लेकिन क्योंकि गर्भवती महिलाएं इस अवस्था में नहीं लेट सकतीं इसलिए वे बायीं तरफ़ करवट लेकर सो सकती हैं। 

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क्या गर्भवती महिलाएं करा सकती हैं वैक्सीनेशन? (Can pregnant women take vaccine in Hindi)

देश की संस्था इंडियन फेडरेशन ऑफ़ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनीकॉलोजिस्ट ने हाल ही में पेपर जारी कर ये बताया है कि कोविड-19 के लिए सभी वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के साथ साथ दूध पिलाने वाली मां के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं और वे वैक्सीनेशन करा सकती हैं। 

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डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi) 

गर्भवती महिलाएं अपने अंदर सकारात्मक विचार रखें और घबराएं नहीं। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयां खाते रहें। जब तक ज़रूरी ना हो अस्पताल या क्लीनिक ना जाएं और फोन पर ही डॉक्टर से ज़रूरी परामर्श लेते रहें। शरीर में पानी की कमी ना होने दें, फल और जूस का सेवन अधिक करें। हाई प्रोटीन डाइट लें और तला भुना खाने से बचें। घर पर ही ब्रिस्क वॉक जैसे हल्के फुल्के व्यायाम करें और खुश रहें।   

डिस्कलेमर – कोविड-19 के दौरान गर्भवती महिलाएं किस तरह रखें अपना ध्यान और कैसे करें बचाव इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर शाहिदा नग़मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on COVID care for Pregnant Women in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Shahida Naghma (Gynecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.