भारत में पाए जाने वाले कैंसर के मरीज़ों में बहुत बड़ी संख्या मुंह के कैंसर के मरीज़ों की है। इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के बारे में बता रहे हैं डॉक्टर एच पी सिंह, ईएनटी सर्जन। 

हमारा पूरा शरीर कोशिकाओं का बना होता है और यही कोशिकाएं यानि सेल्स जब अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती है तो उसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और जब ये हमारे मुंह में होता है तो इसे ओरल कैंसर यानि मुंह का कैंसर कहा जाता है। हमारे मुंह के कई भाग होते हैं जिनमें होठ, तालु, जीभ, गाल शामिल हैं और इनमें से कहीं भी कैंसर हो सकता है।  

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मुंह के कैंसर के लक्षण (Symptoms of oral cancer in Hindi)

शुरूआती दौर में मुंह के कैंसर के लक्षण बहुत कम देखे जाते हैं और इसलिए लोग इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते। कैंसर बढ़ने पर मुंह में छाले होना, ज्यादा लार बनना, खाने में तक़लीफ़ होना, तीखी चीज़ें ना खा पाना, मुंह कम खोल पाना वगैरह इसके प्रमुख लक्षणों के तौर पर देखा जाता है।   

मुंह के कैंसर के कारण (Causes of oral cancer in Hindi)

कई लोगों के खान पान में बहुत सी ऐसी चीज़ें शामिल होती हैं जो कार्सिनोजेनिक होती हैं जैसे पान, पान मसाला, सिगरेट, गुटखा वगैरह। इन सभी चीज़ों के छोटे छोटे कण हमारे मुंह की खाल में चिपक जाते हैं जिससे खाल धीरे धीरे बदलना शुरू कर देती है और यही बदलाव आगे जाकर कैंसर का रूप धारण कर लेता है। इसके अलावा खीने पीने में ज्यादा मिर्च मसाले और प्रोसेस्ड फूड के इस्तेमाल से भी ओरल कैंसर हो सकता है लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण पान, सिगरेट, गुटखा जैसे उत्पाद ही होते हैं। कुछ लोगों में ये जेनेटिक कारणों से भी होते देखा गया है हालांकि मेडिकल साइंस में इसकी पक्के तौर पर पुष्टि अबतक नहीं हुई है।  

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मुंह के कैंसर का परीक्षण (Tests of oral cancer in Hindi)

मुंह के कैंसर के अधिकतर मुंह में छाले और दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। ऐसे में डॉक्टर पहले उनकी हिस्ट्री इकट्ठी करते हैं कि क्या मरीज़ लंबे वक्त से गुटखा, पान और सिगरेट का सेवन कर रहा है। इसके अलावा मुंह के छालों का एक टुकड़ा निकालकर उसकी जांच की जाती है जिसे बायोप्सी कहते हैं और इससे कैंसर होने या ना होने का सटीक पता चलता है। 

मुंह के कैंसर का इलाज (Treatment of oral cancer in Hindi) 

मुंह का कैंसर क्योंकि खाने पीने की बुरी आदतों से होता है इसलिए सबसे पहले मरीज़ को उस आदत को पूरी तरह से छोड़ने के लिए कहा जाता है क्योंकि इसके बिना इलाज से कोई फ़ायदा नहीं मिल सकता। शुरूआत में ही कैंसर का पता लगने पर यानि स्टेज 1 और 2 होने पर कैंसर से ग्रसित उस हिस्से को काट कर निकाल दिया जाता है। ये ऑपरेशन सुन्न करके या मरीज़ को बेहोश करके किया जाता है। लेकिन अगर कैंसर काफ़ी फैल गया हो और कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले चुका हो तो इसके लिए बड़े ऑपरेशन किए जाते हैं और साथ ही रेडियो थेरेपी, कीमो थेरेपी दी जाती है और मरीज़ को खाने के लिए दवाइयां भी दी जाती हैं। ये सभी चीज़ें डॉक्टर मरीज़ की बीमारी के स्तर को देखते हुए करते हैं। कुछ मामलों से सिर्फ़ ऑपरेशन से ही बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में सभी तरह के इलाज का सहारा लेना पड़ता है। कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलता है क्योंकि ऑपरेशन होने के बाद भी मरीज़ को लंबे वक्त तक फॉलो अप के लिए डॉक्टर से आना पड़ता है ताकि ये पता लगाया जा सके कि कहीं कैंसर दोबारा फैला तो नहीं।  

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मुंह के कैंसर के जोखिम (Complications of oral cancer in Hindi)

कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका अब तक पूरी तरह से इलाज मौजूद नहीं है इसलिए एडवांस स्टेज का कैंसर जानलेवा साबित होता है। एडवांस लेवल के कैंसर का अगर सही से इलाज नहीं कराया गया तो ये शरीर के दूसरे हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले सकता है।  

मुंह के कैंसर की रोकथाम और डॉक्टर की सलाह (Prevention of oral cancer and doctor’s advice in Hindi)

किसी तरह के तंबाकू, पान मसाला, गुटखा, सिगरेट आदि के सेवन को अगर छोड़ दें तो ओरल कैंसर होने की संभावना 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके अलावा अपने मुंह की साफ़ सफ़ाई का ख़ास ख्याल रखें और साथ ही साल में एक बार दांतों का चेकअप ज़रूर कराएं। किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर उसे हल्के में ना लें और डॉक्टर को दिखाएं।    

डिस्कलेमर – मुंह के कैंसर के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर एच पी सिंह, ईएनटी सर्जन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Oral Cancer, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Hp Singh (ENT Surgeon) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.