रूमेटाइड आर्थराइटिस के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं होती है। ये एक लाइलाज बीमारी है जिसके प्रति जागरूक रहना बहुत ज़रूरी है। इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर राजेश प्रजापति, ऑर्थोपेडिक सर्जन। 

रूमेटाइड आर्थेराइटिस को ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर कहा जाता है। ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपका शरीर ख़ुद आपके ही विरूद्ध काम करने लगता है या नुकसान पहुंचाने लगता है। दरअसल हम सभी के शरीर में बाहरी दुश्मनों जैसे बैक्टीरिया, वायरस वगैरह से लड़ने के लिए एक प्रतिरोधक क्षमता होती है। हमारा शरीर नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी चीज़ को ख़त्म कर देने की क्षमता रखता है। लेकिन जब हमारा इम्यून सिस्टम सामान्य से कहीं ज्यादा एक्टिव होकर काम करने लगता है तो इससे स्वयं अपने शरीर को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। 

Rheumatoid Arthritis

रूमेटाइड आर्थराइटिस का सबसे ज्यादा असर हमारे शरीर के जोड़ों पर दिखता है। शरीर में मौजूद छोटे छोटे जोड़ जैसे उंगलियों के जोड़, सबसे पहले प्रभावित होते हैं। कुछ मामलों में ये बीमारी जेनेटिक भी होती है और इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के सेल्स एक दूसरे से मिल जाने के कारण भी कुछ इस तरह की स्थिति पैदा हो जाती है।  

क्या हैं इसके लक्षण? (What are its symptoms in Hindi) 

रूमेटाइड आर्थेराइटिस में व्यक्ति को छोटे छोटे जोड़े में दर्द होता है और साथ ही सूजन भी रहती है। ख़ासकर सुबह के समय जोड़ों में बुहत ज्यादा अकड़न हो जाती है जिससे मरीज़ किसी चीज़ को पकड़ नहीं पाता। छोटे जोड़ों के अलावा कभी कभी ये बीमारी बड़े जोड़ों को भी अपना निशाना बना लेती है जैसे कि घुटने और कमर के जोड़। ये भी देखा गया है कि अधिकतर महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती हैं। महिला और पुरूषों के अनुपात की बात करें तो ये 3:1 पाया जाता है। महिलाओं में भी अधिकतर 30 से 40 साल तक की उम्र की महिलाओं को जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है। दर्द के साथ सूजन भी रहता है और जोड़ों से निकलने वाले केमिकल धीरे धीरे हड्डियों को गलाना शुरू कर देते हैं। अगर किसी व्यक्ति को तीन महीने से ज्यादा वक्त तक जोड़ों में दर्द हो रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

Rheumatoid Arthritis

क्या है इस बीमारी का कारण? (What causes Rheumatoid Arthritis in Hindi) 

ये एक ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर है जिसमें आपका शरीर ख़ुद ही आपके जोड़ों के लिए ज़हरीले केमिकल बनाने लगता है और उसे नष्ट करता है। हालांकि ऐसा क्यों होता है इसके बारे में मेडिकल साइंस में खोज जारी है लेकिन इस बीमारी की शुरूआत छोटे छोटे जोड़ों के आसपास पायी जाने वाली झिल्लियों में सूजन हो जाने के कारण होती है जिसे साइनोवाइटिस कहा जाता है। इन्हीं झिल्लियों से निकलने वाले ख़तरनाक केमिकल जोड़ों में मौजूद कार्टीलेज (Cartilage) को नष्ट करने लगते हैं जिससे जोड़ टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं।  

रूमेटाइड आर्थेराइटिस से बचाव (Prevention of Rheumatoid Arthritis in Hindi) 

रूमेटाइड आर्थेराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिससे बचाव असंभव है क्योंकि ये बीमारी किसे होगी, ये पता नहीं लगाया जा सकता है। ये एक ऐसा डिस्ऑर्डर है जो कुछ हद तक जेनेटिक कारणों से भी होता है। इस बीमारी की पहले से रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि हड्डियों को ठीक रखने के लिए आमतौर पर जो चीज़ें की जाती हैं वो इसमें भी कर सकते हैं जैसे कि सही खान-पान और जीवनशैली। वैसे तो इस बीमारी को होने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन इलाज द्वारा बीमारी की गति को कम किया जा सकता है।  

Rheumatoid Arthritis

कैसे होता है इसका परीक्षण? (How is it tested in Hindi) 

रूमेटाइड आर्थराइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर ये देखते हैं कि कहीं छोटे छोटे जोड़ों में किसी तरह की सूजन तो नहीं है। इसके अलावा एक्स रे द्वारा जोड़ों की बनावट में किसी तरह के बदलाव का पता लगाया जाता है। इसके परीक्षण के लिए सबसे मुख्य जांच एनटीसीसीपी टेस्ट होता है जिसके पॉज़िटिव आने पर इस बीमारी की पुष्टि हो जाती है। ये बीमारी मल्टी सिस्टम डिस्ऑर्डर है यानि इससे दूसरी बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे हाइपोथायरॉइडिज्म, ख़ून में हीमोग्लोबीन की कमी और डायबिटीज़ आदि। 

रूमेटाइड आर्थेराइटिस का इलाज (Treatment of Rheumatoid Arthritis in Hindi)  

वास्तव में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन इससे निराश होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि इसे नियंत्रित किया जा सकता है ठीक वैसे ही जैसे डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए कई तरह की दवाइयां दी जाती हैं जिसे देने से पहले मरीज़ की दूसरी बीमारियों का भी ख्याल रखा जाता है ताकि कोई दुष्प्रभाव ना पड़े। मरीज़ की बीमारी के स्तर को देखते हुए एक साथ कई तरह की दवाइयां भी दीं जाती हैं। रूमेटाइड आर्थेराइटिस के लिए आजकल नई तरह की दवाइयां भी आ गईं हैं जिन्हें बायोलॉजिकल थेरेपीज़ (Biological Therapies) कहा जाता है। हालांकि इन्हें देने से पहले भी मरीज़ की जांच कर दूसरी बीमारियों का पता लगाया जाता है।  

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डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)  

इस बीमारी से पीड़ित लोगों को अपने भोजन में विटीमिन डी और आयरन भरपूर मात्रा में लेनी चाहिए। मांस-मछली, हरी सब्ज़ियां, दूध और गुड़ में आयरन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा खाना पकाने के लिए लोहे के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए। विटामिन डी के लिए भी चिकन, अंडा, मछली का सेवन कर सकते हैं। क्योंकि ये बीमारी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी है इसलिए इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने वाले पदार्थ भी खाने चाहिए जैसे कि आंवला, पपीता और दूसरे ताज़े फल। हालांकि रूमेटाइड आर्थेराइटिस एक लाइलाज बीमारी है फिर भी इससे निराश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि सही खान-पान और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का सही तरह से सेवन करने पर मरीज़ एक सामान्य जीवन गुज़ार सकता है और सभी तरह के क्रियाकलाप कर सकता है।  

डिस्कलेमर – रूमेटाइड आर्थेराइटिस बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर राजेश प्रजापति, ऑर्थोपेडिक सर्जन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Rheumatoid Arthritis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Rajesh Prajapati (Orthopedic Surgeon) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.