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कैंसर से डरें नहीं, शुरुआती लक्षणों की करें पहचान।

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कैंसर से डरे नहीं, शुरूआती लक्षणों की करें पहचान। Dr Shashank Nigam on Cancer in Hindi

हमारे शरीर के सेल्स लगातार विभाजित होते रहते हैं जो कि एक सामान्य बात है लेकिन जब कुछ कारणों से कोशिकाएँ अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती है तो इसे कैंसर कहा जाता है। क्या कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और क्या हैं इसके इलाज के तरीक़े, बता रहे हैं डॉक्टर शशांक निगम। 

क्यों होता है कैंसर? (Why does Cancer occur in Hindi)

हमारा पूरा शरीर कोशिकाओं से बना होता है जो जीवन भर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं लेकिन जब इन्हीं कोशिकाओं की संख्या अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती है तो उसे कैंसर कहा जाता है। ख़ास बात ये है कि जिस अंग से कैंसर की शुरुआत होती है वहाँ से निकलकर वह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी ख़ून या फिर लिम्फनोट के ज़रिए फैल जाता है। 

कैंसर के प्रकार (Types of Cancer in Hindi)

वैसे तो शरीर के किसी भी भाग में कैंसर हो सकता है लेकिन मोटे तौर पर बात करें तो कैंसर को दो भागों में बांटा जा सकता है जिसमें एक होता है ब्लड कैंसर और दूसरा सॉलिड आर्गन ट्यूमर्स कहलाते हैं। ब्लड कैंसर की बात करें तो ये भी दो प्रकार के होते हैं जिन्हें ल्यूकेमिया और लिम्फोमा नाम से जाना जाता है। जहाँ ल्यूकेमिया रक्त से उपजा हुआ कैंसर होता है, वहीं लिम्फोमा शरीर में लिम्फनोट नाम की ग्रन्थियों में होने वाली गांठों की वजह से होने वाला कैंसर है। वहीं हमारे शरीर की मांसपेशियों, हड्डियों, त्वचा और चर्बी से उत्पन्न होने वाले कैंसर को सॉलिड आर्गन ट्यूमर्स कहा जाता है। इसके अलावा गले, फेफड़े, पेट, मस्तिष्क, गुर्दे, छोटी आंत और बड़ी आंत जैसे कई अंगों में कैंसर हो जाता है। 

कैंसर को लेकर डर और भ्रांतियाँ (Avoid the Fears and Misconceptions about Cancer in Hindi) 

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोगो में डर बैठ जाता है, साथ ही इससे जुड़ी ग़लत बातें भी लोगों में फैली हुई है जैसे कि कई लोग ये सोचते हैं कि बायोप्सी करने पर बीमारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है जबकि ये सही नहीं है। हाँ, कुछ ऐसे कैंसर है जिनमें बायोप्सी करने पर बीमारी का स्टेज आगे बढ़ जाता है और इसलिए इस तरह के कैंसर के लिए अलग तरीक़े की बायोप्सी की जाती है। इसके अलावा कई लोग ये भी सोचते हैं कि इलाज कराने पर दर्द होता है जबकि सही बात ये है कि इलाज कराने पर नहीं बल्कि बीमारी के एडवांस स्टेज पर पहुंचने के कारण मरीज़ को दर्द होता है। कुछ लोगों को ये भी लगता है कि अगर परिवार में किसी को कैंसर है तो दूसरे सदस्यों को भी ये रोग हो सकता है जबकि ये सही नहीं है क्योंकि कैंसर छूने से या साथ रहने से नहीं फैलता।   

शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचानें (How to detect the early symptoms in Hindi)

शरीर के अंगों में किसी तरह की नई गांठ दिखना या फिर अल्सर होना, भूख न लगना, वज़न का घट जाना, शरीर के किसी अंग से ख़ून निकलना जैसे कुछ लक्षण कैंसर की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, ये सभी लक्षण दूसरी बीमारियों के भी हो सकते हैं इसलिए अगर तीन हफ्तों से ज़्यादा इस तरह के लक्षण दिखें तो डॉ से जरूर दिखाएं। 

कैंसर होने के क्या हैं कारण? (What are the causes of Cancer in Hindi)

कैंसर होने के कारणों की बात करें तो इसके दो मुख्य कारण हैं प्रीवेंटेबल और नॉन प्रीवेंटेबल। नॉन प्रीवेंटेबल कारणों का मतलब ये है कि हम इन्हें चाहकर भी रोक नहीं सकते जैसे कि जेनेटिक कारण, उम्र, लिंग, रेस या जाती वगैरह। वहीं, प्रीवेंटेबल कारणों का मतलब ये हैं कि इन चीजों में बदलाव करके कैंसर को होने से रोका जा सकता है जैसे कि जीवनशैली में बदलाव, हेल्दी डाइट, व्यायाम, तनाव प्रबंधन वगैरह। इसके अलावा, धूम्रपान शराब का सेवन और कुछ इनफेक्शंस भी कैंसर का कारण बन सकते हैं।  

कैसे होता है कैंसर का परीक्षण? (Diagnosis of Cancer in Hindi)

कैंसर के शुरुआती परीक्षण में छाती का एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, रेडियोलॉजी की जाती है। इससे बड़ी जांचों की बात करें तो सिटी स्कैन, एमआरआई स्कैन किया जाता है जो ये बताती है की बीमारी शरीर के किस अंग में है और कितना अधिक फैल चुकी है। इसी आधार पर डॉ कैंसर के स्टेज को तय करते हैं। इसके अलावा, एफएएनसी में सूई द्वारा और बायोप्सी में मांस के टुकड़े को लेकर जांच करने के बाद ही कैंसर का इलाज शुरू किया जाता है। इसके अलावा आजकल बहुत से एडवांस टेस्टिंग उपलब्ध हैं जिनमें जीन टेस्टिंग के ज़रिए अनुवांशिक कारणों का पता लगाया जाता है और कोशिकाओं में गड़बड़ी के कारण का पता लगाने के लिए एडवांस मॉलिक्यूलर टेस्टिंग की जाती है। 

कैंसर की पहचान के लिए स्क्रीनिंग (Screening for Cancer Detection in Hindi)

कैंसर की शुरुआती स्टेज में ही पहचान के लिए कई तरह की स्क्रीनिंग भी की जाती है जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राम, कोलोन कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी, सर्विक्स कैंसर के लिए लिक्विड बायोप्सी और हेड नेक कैंसर के लिए ओवल टेस्टिंग की जाती है। कई देशों में 3 साल के अंतराल पर इस तरह की स्क्रीनिंग की जाती है जिसके ज़रिए कैंसर को होने से रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इसे शुरुआत में ही पहचानकर ख़त्म किया जा सकता है। 

कैंसर के इलाज के तरीक़े (Treatment of Cancer in Hindi)

कैंसर के इलाज में पांच से छः तरह की पद्धतियां अपनाई जाती हैं जिनमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोलॉजी काफ़ी सालों से इस्तेमाल में लाई जा रही है। सर्जरी में मरीज़ के अंग को बिना क्षतिग्रस्त किये कैंसर की गांठ और गिल्टी को निकाला जाता है। इसके अलावा कीमोथेरेपी जो कि एक दवाई होती है, बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए इंजेक्शन के ज़रिए मरीज़ को दी जाती है। कुछ अन्य दवाइयों की तरह कीमोथेरेपी की दवाई से भी थोड़े बहुत साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वहीं, रेडियोथेरेपी में विकिरण द्वारा शरीर की उन कोशिकाओं को जलाया जाता है जिनमें कैंसर होता है। कुछ नए तरीक़े के इलाज के बारे में बात की जाए तो होर्मोंस के कारण होने वाले कैंसर जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर और प्रॉस्टेट कैंसर के मामलों में हार्मोन थेरेपी अपनाई जाती है जिसमें मरीज को हार्मोन कंट्रोल करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा टारगेटेड थेरेपी भी इलाज के लिए काफ़ी कारगर साबित होती है क्योंकि इसमें टारगेट पर ही फोकस किया जाता है जिससे दूसरे अंगों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता। 

कैंसर से बचाव के उपाय (Prevention of Cancer in Hindi)

कैंसर होने के कुछ ऐसे कारण हैं जिन्हें हम कंट्रोल कर सकते हैं जैसे की अच्छी जीवनशैली अपनाना, पौष्टिक भोजन करना, व्यायाम करना, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना, साफ़ सफ़ाई का ख़्याल रखना शामिल है। इसके अलावा कुछ तरह के कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध हैं जिसे लगवाया जा सकता है। 

डिस्क्लेमर – कैंसर होने के कारण, लक्षण, इलाज के नए तरीक़े और बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ शशांक निगम, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।  

Note: This information on Cancer, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Shashank Nigam (Surgical Oncologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor. 

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