पोलियो, वायरस के कारण होने वाली एक ऐसी बीमारी है जो पांच साल तक के छोटे बच्चों को भी प्रभावित करती जिससे व्यक्ति को पोलियो माइलाइटिस नामक रोग हो जाता है और इसके कारण शरीर अपंगता का शिकार हो जाता है। पोलियो के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में और अधिक जानते हैं डॉक्टर विनोद कुमार से।  

Polio symptoms

कुछ साल पहले तक भारत में पोलियो के मरीज़ों की संख्या बहुत अधिक पायी जाती थी लेकिन दुनियाभर के कई देशों के साथ साथ भारत में भी इसका पूरी तरह से उन्मूलन करने के लिए कई वर्षों तक पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया गया जिसके कारण अब हमारे देश में पोलियो के मरीज़ देखने को नहीं मिलते और यह अभियान आज भी जारी है।  

पोलियो के प्रकार (Types of polio in Hindi) 

पोलियो वायरस के तीन स्ट्रेन पाए जाते हैं जिनमें भारत में पोलियो माइलाइटिस के स्ट्रेन 1 और स्ट्रेन 3 अधिक देखने को मिलते हैं जबकि स्ट्रेन 2 कम पाया जाता है। पोलियो माइलाइटिस दो तरह के होते हैं -पैरालिटिक और नॉन पैरालिटिक। लगभग 95 प्रतिशत लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते जबकि 5 प्रतिशत लोगों में पैरालिटिक पोलियो माइलाइटिस के कारण अपंगता आ जाती है। पैरालिटिक पोलियो माइलाइटिस भी दो तरह के होते हैं जिनमें एक बल्बर जबकि दूसरा स्पाइनल होता है। पोलियो का वायरस जब ब्रेन को भी प्रभावित करता है, तो लकवे के साथ साथ उस व्यक्ति का दिमाग़ भी कमज़ोर हो जाता है और इसे ही बल्बर पोलियो माइलाइटिस कहा जाता है। स्पाइनल पोलियो माइलाइटिस होने पर वायरस शरीर के स्पाइनल कॉर्ड पर अटैक करता है जिससे पैरालिसिस हो जाता है। पोलियो के कारण सबसे ज्यादा पैरों के उपरी या निचले भाग प्रभावित होते हैं। इसके अलावा अधिकतर एक ही पैर प्रभावित होते देखा जाता है जिसमें मांसपेशियां सूख जाती हैं और आगे जाकर पैर छोटा भी हो जाता है।     

पोलियो होने का कारण (Causes of polio in Hindi) 

पोलियो के वायरस, दूषित भोजन या पानी के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के अंदर अपनी तादाद बढ़ाकर ख़ून में मिल जाते हैं। ये वायरस दिमाग़ की नसों को भी प्रभावित कर देते हैं जिससे व्यक्ति को पैरालिसिस हो जाता है।   

Polio

क्या हैं पोलियो के लक्षण? (Symptoms of polio in Hindi)

यदि दूषित भोजन या पानी पीने के कारण पोलियो का वायरस शरीर के अंदर चला गया हो तो, आठ से दस दिनों बाद इसके शुरूआती लक्षण देखने को मिलते हैं। इसमें बच्चों को बुखार के साथ खांसी होती है और लूज़ मोशन भी होते हैं। इसके अलावा शरीर में बहुत ज्यादा दर्द भी होता है जिसके कारण वो अपने पैरों को उठाने में भी असमर्थ हो जाते हैं। पैरों में सूजन भी आने लगती है और धीरे धीरे मांसपेशियों में पैरालिसिस हो जाता है।     

कैसे होता है पोलियो का इलाज? (How is polio treated in Hindi)

यह एक ऐसी बीमारी है जिसे ठीक करना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि इसमें मांसपेशियां सूख जाती हैं। पोलियो होने के केवल छह महीने के अंदर ही इसमें कुछ सुधार हो सकता है वर्ना ज़िदंगी भर के लिए व्यक्ति पैरालिसिस का शिकार हो जाता है इसलिए इलाज की बजाय इससे बचाव करना ज्यादा बेहतर है। क्योंकि इसके लक्षण दूसरी बीमारियों से मिलते जुलते हैं इसलिए इसका पता लगाना भी मुश्किल होता है। लेकिन यदि शुरूआत में ही रोग का पता चल जाता है, तो इलाज के तौर पर एंटी बायोटिक और मल्टी विटामिन्स देने के साथ ही पैरों को सपोर्ट भी दिया जाता है। एक बार पैरालिसिस हो जाने पर सर्जरी द्वारा केवल पैरालिसिस को कम किया जा सकता है।   

Stop Polio

पोलियो से कैसे करें बचाव? (Prevention of polio in Hindi)

इससे बचाव के लिए बाहर का खुला हुआ दूषित भोजन या पानी का सेवन ना करें क्योंकि इनमें पोलियो के कीटाणु हो सकते हैं। इसके अलावा शौच के लिए शौचालय का प्रयोग करें और खुले में शौच ना करें। वैसे पोलियो से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा उपाय है। सरकार द्वारा हर पांच साल तक के बच्चों को पोलियो की ख़ुराक़ पिलायी जाती है।  

पोलियो टीकाकरण अभियान (Polio vaccination campaign in Hindi) 

पोलियो की दवा ओरल और इंजेक्शन दोनों के द्वारा दी जाती है। पोलियो की ओरल ख़ुराक़ के तौर पर पांच साल तक के बच्चों को हर साल दो बूंद पिलायी जाती है। जन्म के तुरंत बाद एक खुराक़ देने के बाद डेढ़ महीने, ढाई महीने और साढ़े तीन महीने पर इसे पिलाया जाता है। इसके बाद नौ महीने, डेढ साल और फिर पांच साल होने पर बच्चों को पोलियो की ख़ुराक़ दी जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा पल्स पोलियो अभियान भी समय समय पर चलाया जाता है। यदि पांच साल की उम्र तक बच्चे को छह ख़ुराक़ पिला दी जाती है, तो उसे 95 प्रतिशत तक इम्यूनिटी मिल जाती है। इसके अलावा इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन भी आज आसानी से सभी जगह उपलब्ध है जिससे पोलियो को कंट्रोल करने में काफ़ी सफ़लता मिली है। 

क्या पोलियो की दवाई के दुष्प्रभाव हैं? (Are there any side effects of polio medicines in Hindi)

ओरल पोलियो की ख़ुराक़ से किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता। इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन से थोड़ी बहुत सूजन और लालपन आ सकता है। 

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माता-पिता को डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice to parents in Hindi)

ओरल के साथ साथ इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन काफ़ी महंगी होती हैं लेकिन सभी सरकारी अस्पतालों में ये सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही हैं इसलिए बच्चों के माता-पिता समय पर अपने बच्चों को पोलियो की ख़ुराक़ दें और टीके ज़रूर लगवाएं।  

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डॉक्टर के पास कब जाएं? (When to seek a doctor in Hindi)

सरकार अब ज़ीरो से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चों के लिए प्लान तैयार कर रही है। अगर पंद्रह साल तक के किसी बच्चे के पैरों में कमज़ोरी है, चलने फिरने में दिकक्त है, पैरों का मूवमेंट कम है, पैर नहीं रख पा रहा हो और साथ में बुखार भी आ रहा हो तो ऐसे में अपने नज़दीकी अस्पताल जाकर जांच कराएं क्योंकि इसके लिए सभी अस्पतालों में डॉक्टर प्लान के साथ तैयार हैं।  

डिस्कलेमर – पोलियो रोग के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के बारे में लिखा गया गया यह लेख पूर्णत: डॉ विनोद कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।  

Note: This information on Polio, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vinod Kumar (Paediatrician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.