सीओपीडी यानि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डीज़ीज़, फेफड़े की एक बीमारी है जिसमें मरीज़ की सांस फूलती है और समय के साथ ये बढ़ती जाती है। सीओपीडी के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में विस्तार से जानते हैं डॉक्टर डी पी मिश्रा, टीबी एवं चेस्ट स्पेशलिस्ट से।  

सीओपीडी अधिकतर चालीस साल की उम्र के बाद लोगों में देखने को मिलता है। इसके अलावा बुज़ुर्गों, धूम्रपान करने वाले लोगों और किसी तरह के प्रदूषित वातावरण में लंबे समय तक काम करने वाले लोगों में सीओपीडी पाया जाता है क्योंकि प्रदूषण के कण शरीर के अंदर जाकर फेफड़े की थैलियों को ख़राब कर देते हैं।  

COPD

ब्रोन्कियल अस्थमा और सीओपीडी में अंतर (Difference between Bronchial Asthma & COPD in Hindi) 

अक्सर ब्रोन्कियल अस्थमा और सीओपीडी को एक ही तरह का रोग समझ लिया जाता है क्योंकि इन दोनों में ही मरीज़ की सांस फूलती है। हालांकि, ये दोनों रोग अलग अलग हैं। चालीस साल से कम आयु के लोगों में अगर सांस फूलने की दिक्कत होती है तो इसे ब्रोन्कियल अस्थमा माना जाता है जो नियमित दवाइयों और इलाज के बाद ख़त्म भी हो जाता है जबकि सीओपीडी एक प्रोग्रेसिव बीमारी है यानि लगातार बढ़ने वाली बीमारी है। चालीस साल से अधिक आयु के लोगों में या फिर प्रदूषित वातावरण के संपर्क में रहने वाले लोगों में सीओपीडी होने की आशंका बनी रहती है।  

सीओपीडी के लक्षण (Symptoms of COPD in Hindi)

सीओपीडी के मरीज़ों को हर साल तीन से चार महीने तक लगातार खांसी रहती है। इससे पीड़ित मरीज़ कुछ काम करने के दौरान, चलने और सीढ़ी चढ़ने के समय सांस फूलने की शिकायत करते हैं। वो ये बताते हैं कि किसी तरह के काम करने के दौरान उनकी सांस फूलने लगती है और जब वो काम बंद करके बैठ जाते हैं तब धीरे धीरे सांस फूलना भी कम हो जाता है। लेकिन अगर सीओपीडी का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ऐसे में व्यक्ति को ना सिर्फ़ काम करने के दौरान बल्कि बैठने, लेटने और सोने के समय भी सांस फूलने की दिकक्त होने लगती है। सांस फूलने की गंभीरता के अऩुसार इसे अलग अलग स्टेज में बांटा जाता है।  

COPD Treatment

सीओपीडी होने के क्या हैं कारण? (Causes COPD in Hindi)

सीओपीडी होने का सबसे प्रमुख कारण है धूम्रपान करना। जो लोग लंबे समय तक धूम्रपान करते हैं या किसी तरह के प्रदूषित वातावरण में काम करते हैं, उनके शरीर के अंदर धुएं और धूल के कण फेफड़ों तक जाकर उनकी थैलियों में चिपक जाते हैं। फेफड़ों की इन थैलियों को अल्वियोलाई (Alveoli) कहा जाता है जो आमतौर पर लचीली होती हैं। ये थैलियां सांस लेने और छोड़ने के दौरान फैलती और सिकुड़ती हैं। इन्हीं थैलियों की दीवारों पर धुएं और धूल के कण जम जाते हैं और इसके कारण ये सांस लेने की प्रक्रिया को सही से नहीं कर पाते जिससे मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत होती है।  

सीओपीडी का उपचार (Treatment of COPD in Hindi)

सीओपीडी के इलाज के लिए दवाइयों के ज़रिए फेफड़ों की सिकुड़ी हुईं नलियों को फैलाया जाता है और इसके लिए इनहेलर का इस्तेमाल किया जाता है। एक बार सीओपीडी हो जाने पर इनहेलर के ज़रिए ही दवाइयों को लेना सबसे अच्छा और आसान तरीक़ा होता है।  

सीओपीडी से बचाव (Prevention of COPD in Hindi) 

क्योंकि इस रोग का सबसे बड़ा कारण है धूम्रपान करना इसलिए ऐसे लोग जो लंबे समय से स्मोकिंग कर रहें हों और उनमें खांसी की शुरूआत हो रही हो, उन्हें तुरंत स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए। इसके अलावा जो लोग किसी भी तरह की प्रूदषण वाली जगह पर काम करते हों, उन्हें ऐसी जगहों पर काम नहीं करना चाहिए।  

कोविड-19 के समय सीओपीडी के मरीज़ों के लिए सावधानियां (Precautions for COPD patients during COVID-19 in Hindi)

कोविड-19 के ख़तरे से बचाव के लिए सीओपीडी के मरीज़ों को हमेशा मास्क पहनना चाहिए। यदि सीओपीडी के मरीज़ अपने कमरे से बाहर निकलते हैं, तो भी मास्क ज़रूर लगाएं। बुज़ुर्ग लोग घर से बाहर ना निकलें, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें और सोशल डिस्टैनसिंग का पालन करें।  

डिस्कलेमर – सीओपीडी के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर डी पी मिश्रा, टीबी एवं चेस्ट स्पेश्लिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on COPD, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr DP Mishra (TB & Chest Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.