हमारे पेट की अंदर की त्वचा में किसी तरह का घाव, सूजन या फिर ज़ख़्म हो जाने पर वह अल्सर कहलाता है। क्या है इसके होने का कारण और कैसे होता है इसका इलाज जानिए डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव, जेनरल फिज़िशियन से।
- कैसे होता है पेट में अल्सर?
- पेट में अल्सर के लक्षण
- पेट के अल्सर का इलाज
- पेट की अल्सर की जटिलताएं
- अल्सर से बचाव और डॉक्टर की सलाह
अल्सर कई प्रकार के होते हैं, जिस अल्सर से ख़ून का रिसाव होता है उस ब्लीडिंग अल्सर कहते हैं। कुछ अल्सर ऐसे होते हैं जिसमें ज़ख़्म तो होता है लेकिन उससे रक्त नहीं बहता, इस तरह के अल्सर को पेप्टिक अल्सर कहा जाता है। इसके अलावा कुछ अल्सर पेट के कई हिस्सों के साथ साथ आंतों में भी हो जाते हैं, उन्हें गैस्ट्रिक अल्सर और ड्यूडनल अल्सर कहा जाता है।
कैसे होता है पेट में अल्सर? (What causes gastric ulcer in Hindi)
पेट में अल्सर होने का मुख्य कारण आज के समय की बदलती हुई जीवनशैली और खान पान है। देर से उठना, सही समय पर भोजन ना करना, पौष्टिक भोजन ना लेना, नियमित तौर पर भोजन ना करना, खाने में तेल, मिर्च और मसालों का ज्यादा इस्तेमाल करना वगैरह ऐसी चीज़ें हैं जिससे अल्सर होता है। हम जो भी भोजन करते हैं वो हमारे पेट में कुछ घंटों तक रहता है और तब जाकर इसका पाचन होता है। इसलिए जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक पौष्टिक भोजन ना खाकर सेहत ख़राब करने वाले पदार्थ का सेवन करता है, तो ऐसे में पेट में अल्सर बन जाता है। हमारे पेट में कई तरह के रसायन भी बनते हैं जो भोजन को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ कर इसका पाचन करने में मदद करते हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति ज्यादा लंबे वक्त तक भोजन नहीं करता या फिर खाली पेट रहता है तो ये रसायन पेट को नुकसान पहुंचाते हैं और वहां ज़ख़्म बनाने लगते हैं।
पेट में अल्सर के लक्षण (Symptoms of gastric ulcer in Hindi)
पेट में अल्सर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है क्योंकि आज के समय अधिकत्तर लोगों की जीवनशैली ठीक नहीं होती। खाने पीने की चीज़ों में भी लोग बाहर का तला भुना खाने लगे हैं। इसके लक्षणों की बात करें तो पेट में जलन, दर्द, कब्ज़ियत होना, उबकाई आना प्रमुख हैं। अल्सर की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है जब कुछ ठंडा खाने या पीने से दर्द में आराम मिलता है।
पेट के अल्सर का इलाज (Treatment of gastric ulcer in Hindi)
इसके इलाज के लिए सबसे पहले मरीज़ को अपने खानपान का एक नियम बनाना होता है। बाहर के खाने से परहेज़ करना चाहिए, भोजन सही समय और सही अंतराल पर करना चाहिए, हेल्दी चीज़ों को तरजीह देनी चाहिए। इसके अलावा मरीज़ को प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (Proton pump inhibitors) यानि पीपीआई दिए जाते हैं जो पेट में रसायन बनने की क्षमता को कम करते हैं। साथ ही मरीज़ को दवाइयां दी जाती हैं। लेकिन अगर अल्सर एडवांस स्टेज में पहुंच जाए तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
पेट की अल्सर की जटिलताएं (Complications of gastric ulcer in Hindi)
अल्सर सुनने में एक सामान्य समस्या लगती है लेकिन इससे कई तरह की गंभीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं जैसे कि कैंसर। अल्सर का इलाज नहीं होने पर आंतों से ख़ून का रिसाव भी हो सकता है जिसके लिए सर्जरी करने की ज़रूरत पड़ती है। करीब 60 प्रतिशत अल्सर ब्लीडिंग अल्सर होते हैं यानि उनसे ख़ून का रिसाव होता है जबकि 30 प्रतिशत अल्सर कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। इसके अलावा पेट के अल्सर की वजह से कब्ज़ की समस्या भी हो जाती है जिससे दूसरी बीमारियां जन्म ले सकती हैं।
अल्सर से बचाव और डॉक्टर की सलाह (Prevention of ulcer and Doctor’s Advice in Hindi)
अल्सर से बचाव बहुत ही आसान है। नियामित तौर पर भोजन करें, बाहर के खाने से परहेज़ करें, तला, भुना, मिर्च, मसाला और खट्टा खाने से बचें, लंबे समय तक भूखा ना रहें। अल्सर के रोगियों को दवाइयों और सही खानपान की मदद से अपनी बीमारी को शुरूआत में ही कंट्रोल कर लेना चाहिए और साथ ही उन्हें सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला का सेवन नहीं करना चाहिए।
डिस्कलेमर – पेट के अल्सर के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव, जेनरल फिज़िशियन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Gastric Ulcer, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ashish Srivastava (General Physician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.