प्री मेच्योर इजैकुलेशन यानी शीघ्रपतन पुरुषों से जुड़ी एक सेक्स संबंधित दिक्कत है जिसपर आज भी मरीज़ खुलकर बात करने में झिझकते हैं और समाधान नहीं होने पर इसका असर उनके वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। शीघ्रपतन के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी।  

क्या है शीघ्रपतन की परिभाषा? (What is the definition of premature ejaculation in Hindi)

एक महिला और पुरुष जब संबंध बनाते हैं तो उन दोनों को एक संतुष्टि का आभास होता है। लेकिन कभी कभी संबंध स्थापित करने के दौरान पुरुष 1 मिनट से भी कम समय में डिस्चार्ज हो जाते हैं जिससे ना तो उस व्यक्ति को और न ही उसकी पार्टनर को संतुष्टि होती है। वैज्ञानिक भाषा में बात की जाए तो अगर एक पुरुष 1 मिनट से भी कम समय में डिस्चार्ज हो जाता है तो उससे प्रीमच्योर इजेकुलेशन यानी शीघ्रपतन कहा जाता है। ये पुरुषों के सेक्स से जुड़ी एक आम बीमारी है जो कम उम्र के लोगों में लगभग 4-5 प्रतिशत तक देखी जाती है और उम्र बढ़ने के साथ ही इसकी प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है। 

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शीघ्रपतन के होने का कारण (Causes of premature ejaculation in Hindi)

ह्यूमन बायोलोजी में इजैकुलेशन दिमाग़ के नर्वस सिस्टम की प्रक्रियाओं से कंट्रोल होता है जिससे डुअल कंट्रोल सिस्टम कहा जाता है। पुरुषों का उत्तेजना के समय अपने आप इजैकुलेशन हो जाता है और ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम के हिस्से इस उत्तेजना को बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन कभी कभी ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम के हिस्से सही से काम नहीं करते जिसके कारण पुरुष समय से पहले ही डिस्चार्ज हो जाते हैं। दरअसल, ऐसा होने के पीछे बहुत सारे कारण मौजूद हैं जैसे की जींस में गड़बड़ी होना, ब्रेन के नर्वस सिस्टम के रिसेप्टर में किसी तरह की गड़बड़ी होना या फिर किसी बात की घबराहट या डर होना। 

शीघ्रपतन के लक्षण (Symptoms of premature ejaculation in Hindi)

यदि लिंग के योनि में पेनिट्रेशन करने के साथ ही 1 मिनट के अंदर पुरुष डिस्चार्ज हो जाता है तो इसे शीघ्रपतन का लक्षण समझा जाता है। इसकी गंभीरता को कुछ इस तरह से बांटकर देखा जा सकता है जैसे कि पेनिट्रेशन के बाद 30 सेकेंड के अंदर डिस्चार्ज होने को माइल्ड, 30 से 15 सेकेंड के अंदर डिस्चार्ज होने को मॉडरेट जबकि 15 सेकंड से भी कम समय में डिस्चार्ज होने को सीवियर प्री मच्योर इजेकुलेशन की श्रेणी में रखा जाता है। जबकि कुछ मामलों में पुरुष पेनिट्रेशन से पहले ही डिस्चार्ज हो जाते हैं जिसे एंटी पोर्टल इजैकुलेशन कहा जाता है। यहां ध्यान देने योग्य एक और बात है कि कुछ पुरुषों में ये शुरुआत से ही एक समस्या के रूप में होती है जिसे लाइफ लॉन्ग   प्री मेच्युर इजैकुलेशन कहा जाता है जबकि कुछ पुरुषों में ये परेशानी शुरुआत से नहीं होती और बाद में जाकर हो जाती है जिसे एक्वायर्ड प्री मच्योर इजेकुलेशन कहा जाता है। लाइफ लॉन्ग प्रीमच्योर इजैक्युलेशन में 1 मिनट जबकि एक एक्वायर्ड प्री मेच्योर इजैकुलेशन में 3 मिनट के समय को मानक के रूप में रखकर डायग्नोसिस बनाई जाती है। 

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क्लिनिकल परीक्षण के लिए मरीज़ की हिस्ट्री ज़रुरी (Patient’s history is important for clinical diagnosis in Hindi)

शीघ्रपतन एक ऐसी बीमारी है जिसकी डायग्नोसिस अधिकतर क्लीनिकल होती है इसका मतलब है कि डॉक्टर मरीज़ की पूरी हिस्टरी और परिस्थिति को जानने के बाद  डायग्नोसिस बनाते हैं। इसमें डॉक्टर मरीज़ से उसकी व्यक्तिगत और मानसिक तौर पर जुड़ी सभी जानकारियां  इकट्ठी करने के बाद ऐसा होने के कारण पता लगाते हैं।हालांकि, कुछ मरीज़ों में शारीरिक बीमारियों की वजह से भी शीघ्रपतन हो जाता है जैसे कि हाइपर्थाइरॉइडिज़्म और हाइपोथाइराडिज़्म, दोनों ही के कारण भी ऐसा होता है। इसके अलावा मस्तिष्क और शरीर के डिसफंक्शन या फिर कुछ होर्मोंस की कमी भी शीघ्र पतन का कारण बन सकते हैं।  

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क्या हैं इसमें इलाज के नए नए तरीक़े? (What are the new ways of treatment in Hindi)

इसके इलाज में मुख्य तौर पर दो तरीक़े अपनाए जाते हैं जिनमें एक दवाइयों को दिए बगैर केवल संबंध बनाने के दौरान कुछ तौर – तरीक़ों और स्ट्रैटेजी को समझाया जाता है जिसे मरीज़ अपना सकें। इसे नॉन फार्माकोलॉजिकल ट्रीटमेंट कहा जाता है। स्ट्रैटेजीज़ की बात करें तो इसमें दो तरह की पद्धतियां अपनाई जाती हैं जिसमें से एक को स्टार्ट एंड स्टॉप तकनीक जबकि दूसरे को स्क्वीज़ तकनीक कहा जाता है। ऐसा देखा गया है कि लगभग एक से डेढ़ महीने तक इन दोनों तकनीकों को अपनाने के बाद मरीज़  को फ़ायदा पहुंचता है। वहीं, कुछ मरीज़ों को इसके इलाज के लिए दवाइयों की भी ज़रूरत पड़ती है।। ये दवाइयां मरीज़ के हॉर्मोन्स की गड़बड़ी को ठीक करने के अलावा नर्वस्नस को दूर करने और साइकोलॉजिकल दबाव को कम करने में मदद करती है, साथ ही साथ इजैकुलेशन के समय को बढ़ाने में भी मदद करती हैं। 

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क्या इस रोग से घबराने की ज़रूरत है? (Is there any need to panic about this disease in Hindi)

सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि बाकी दूसरी बीमारियों की तरह ही शीघ्रपतन भी एक डिसऑर्डर है इसलिए इससे घबराने और शर्माने की ज़रूरत नहीं है। सभी रोगों की तरह इसका भी उचित समाधान मौजूद है और इसका इलाज किसी सेक्सोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, मानसिक रोग विशेषज्ञ या फिर किसी भी सेक्शुअल मेडिसिन डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। 

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

याद रखें कि अच्छी जीवन शैली, खानपान, व्यायाम, नशे की चीज़ों से दूर रहना वगैरह से ना सिर्फ़ आपकी सेहत अच्छी रहती है बल्कि ये व्यक्ति के सेक्स संबंधी चीज़ों को भी प्रभावित करती हैं और बेहतर बनाती हैं इसलिए सुबह के समय उठना, व्यायाम करना, तनाव मुक्त रहना, पौष्टिक आहार लेना, अच्छी नींद लेना वगैरह बहुत ज़रूरी है। व्यक्ति को ऐसे व्यायाम करने चाहिए जिससे उसके पैल्विक फ्लोर मसल्स मज़बूत हों जैसे की योगा में वज्रासन एक ख़ास तरह का आसान है जो पैल्विक फ्लोर मसल्स को सीधे तौर पर प्रभावित करता है और इसके नियमित प्रयोग से व्यक्ति में सेक्शुअल डिसऑर्डर होने की संभावना कम हो जाती है। आधुनिक विज्ञान की बात करें इसके लिए कुछ ख़ास तरह के व्यायाम मौजूद हैं जिन्हें कीगल्स (Kegels) कहा जाता है जिससे सेक्स संबंधी विकार कम करने में मदद मिलती है। 

डिस्क्लेमर – शीघ्रपतन होने के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी, सेक्सोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Erectile Dysfunction, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Adarsh Tripathi (Sexologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.