हमारे दिमाग़ में जब ख़ून की दौड़ने की रफ़्तार बाधित होती है या फिर रक्त कोशिकाएं फट जाती हैं तो इससे ब्रेन स्ट्रोक होता है। ब्रेन स्ट्रोक के कारण, लक्षण तथा इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर पंकज कुमार पोपली, न्यूरोलॉजिस्ट। 

ब्रेन स्ट्रोक होने के दो प्रमुख कारण हैं जिनमें दिमाग़ में रक्त के प्रवाह का बाधित होना और रक्त कोशिकाओं का फटना शामिल है। रक्त के प्रवाह का बाधित होना स्कीमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) कहलाता है जबकि रक्त कोशिकाओं के फटने को हैम्ब्रेज कहा जाता है। लगभग 85 प्रतिशत मामलों में ब्रेन स्ट्रोक रक्त के प्रवाह के बाधित होने से ही होता है। जैसे जैसे एक व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, ब्रेन स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ जाता है हालांकि ये कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिलता है।  

brain stroke

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of brain stroke in Hindi)

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अचानक दिखायी देते हैं जैसे कि बोलने में परेशानी होना, ज़ुबान का लड़खड़ाना, एक तरफ़ के चेहरे, बांह या पैरों में कमज़ोरी होना, चलने में लड़खड़ना, आंखों से धुंधला दिखना और चक्कर आना। इन सभी लक्षणों या फिर इनमें से कुछ लक्षण दिखने पर मरीज़ का तुरंत इलाज कराया जाना ज़रूरी है।  

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ब्रेन स्ट्रोक के कारण (Causes of brain stroke in Hindi)

ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य कारणों की बात करें तो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मोटापा, कॉलेस्ट्रॉल या फैट्स का शरीर में बढ़ना शामिल हैं। इसके अलावा अगर व्यक्ति को किसी प्रकार की दिल की बीमारी है तो भी ब्रेन स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है।  

brain stroke_MRI

ब्रेन स्ट्रोक का परिक्षण (Tests of brain stroke in Hindi)

ब्रेन स्ट्रोक का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज़ से पूछताछ करके ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और दूसरे ज़रूरी परीक्षण करते हैं। अगर मरीज़ के लक्षण ब्रेन स्ट्रोक की तरफ़ इशारा करते हैं तो फिर मरीज़ की एमआरआई ब्रेन (MRI Brain) और सीटी स्कैन की जाती है जिससे कि ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार का पता लगाकर आगे का इलाज किया जाता है।  

ब्रेन स्ट्रोक का इलाज (Treatment of brain stroke in Hindi)

एमआरआई या फिर सीटी स्कैन द्वारा जब ये पता चल जाता है कि स्ट्रोक किस तरह का है तो मरीज़ का इलाज उसी प्रकार किया जाता है। अगर मरीज़ को स्कीमिक स्ट्रोक होता है और वह तीन घंटे के अंदर किसी सुपर स्पेश्लिटी हॉस्पिटल में पहुंच जाता है, तो तीन घंटे के अंदर मरीज़ को टीपीए (TPA) नाम की दवा इंजेक्शन के ज़रिए दी जाती है जिससे दिमाग़ में रूका हुआ रक्त प्रवाह दोबारा शुरू हो सकता है। लेकिन अगर मरीज़ को हैम्ब्रेज स्ट्रोक हुआ हो तो उसे ये दवा नहीं दी जाती। हैम्ब्रेज स्ट्रोक होने पर मरीज़ को भर्ती करके सबसे पहले उसके कारण यानि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ वगैरह को कंट्रोल किया जाता है। मरीज़ की मानसिक स्थिति को देखते हुए उसकी डाइट, फिज़ियोथेरेपी और व्यायाम शुरू किया जाता है और दवाइयां दी जाती हैं। समय बीतने के साथ ही मरीज़ के लक्षणों में काफ़ी सुधार होता है।  

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ब्रेन स्ट्रोक से बचाव (Prevention of brain stroke in Hindi)

ब्लड प्रेशर के मरीज़ अपनी दवाइयां नियमित रूप से लेते रहें क्योंकि एक बार ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो जाने पर कई लोग दवाइयां छोड़ देते हैं। किन्हीं कारणों से जब ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है तो दिमाग़ की नसें ब्लॉक हो जाती हैं या फिर फट जाती हैं। ब्रेन स्ट्रोक होने का दूसरा बड़ा कारण है डायबिटीज़, इसलिए मधुमेह के रोगियों को अपने शुगर के लेवल को नियंत्रित रखना बहुत ज़रूरी है। इसके अलावा शरीर में कॉलेस्ट्रॉल या फैट्स को जमा ना होने दें क्योंकि इससे ख़ून की नलियों में बाधा पैदा होती है। साथ ही अपने वज़न को कम करना चाहिए और नियमित तौर पर व्यायाम करें। किसी भी तरह की दिल की बीमारी का सही इलाज कराएं और डॉक्टर की सलाह से ही दवाइयां खाएं।  

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s Advice in Hindi)

किसी भी तरह के लक्षण के दिखने पर देरी ना करें और कोशिश करें कि तीन घंटे के अंदर मरीज़ को किसी सुपर स्पेश्लिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराएं। जितनी जल्दी इलाज शुरू होता है उतनी ही जल्दी मरीज़ की रिकवरी हो सकती है। आज के दौर में कई बड़े अस्पतालों में सभी आधुनिक उपकरण और इलाज मौजूद हैं जिससे मरीज़ को जल्द ठीक होने में काफ़ी मदद मिलती है।  

डिस्कलेमर – ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर पंकज कुमार पोपली, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।     

Note: This information on Brain Stroke, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Pankaj Kumar Popli (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.