ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। हर साल लाखों महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चलता है इसलिए इसके बारे में जागरूक होने की ज़रुरत है, ना कि डरने की। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं डॉक्टर पूजा रमाकांत (एंडोक्राइन एवं ब्रेस्ट कैंसर सर्जन)  

भारतीय महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाला कैंसर है ब्रेस्ट कैंसर। चाहे गांव की महिलाएं हों या शहरी, ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित औरतों की तादाद हर दिन बढ़ती जा रही है।हर साल लाखों महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोस होता है। यही नहीं, बल्कि कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत ब्रेस्ट कैंसर से ही होती है। लगभग 50 प्रतिशत मामलों में मरीज़ों की मौत हो जाती है क्योंकि इसका पता बहुत देर से चलता है। एक स्टडी के मुताबिक भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादातर 30 से 40 साल तक की उम्र में होता है जबकि दूसरे देशों में ये बीमारी 50 या 60 साल से ज्यादा उम्र की औरतों में देखने को मिलती है।  

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क्या है ब्रेस्ट कैंसर के कारण? (What causes breast cancer?) 

इसके बहुत से कारण हैं जिनमें केमिकल के उपयोग से लेकर बुरी आदतें शामिल है जैसे प्लास्टिक से बनी चीज़ों में खाना रखना या भोजन करना, धूम्रपान करना या शराब का ज्यादा सेवन करना। साथ ही जो महिलाएं किसी वजह से बच्चों को दूध नहीं पिला पाती या फिर जिन औरतों को समय से पहले ही माहवारी आ जाती है, उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना होती है। इसके अलावा मोटापे की शिकार महिलाओं को भी ये बीमारी हो जाती है। इनके अलावा कुछ जेनेटिक कारण भी हैं। परिवार के किसी सदस्य को यदि कैंसर हुआ है, तो उससे जुड़ी महिलाओं को भी रोग हो सकता है। हालांकि जेनेटिक कारणों की बात करें, तो ये सिर्फ़ 5 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया गया है, बाकि 95 प्रतिशत मामलों में ये दूसरे कारणों से होता है।  

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कैसे होती है ब्रेस्ट कैंसर की जांच? (How is breast cancer diagnosed?) 

ब्रेस्ट कैंसर में स्तन में सख्त गांठें हो जाती हैं और इनमें दर्द नहीं होता। अक्सर महिलाएं गांठों में दर्द नहीं होने की वजह से देर कर देती हैं जिससे ब्रेस्ट कैंसर का पता अंतिम स्टेज पर चलता है। यदि गांठों के पता चलते ही डॉक्टर को दिखा दिया जाए, तो कई मरीज़ों की जान बच सकती है। इन गांठों का परीक्षण डॉक्टर सूई से करते हैं। कई महिलाओं को ये भ्रांति है कि सूई से जांच करने पर कैंसर फैल जाता है जबकि ऐसा नहीं है। इसके अलावा स्तन का एक्स-रे भी किया जाता है जिसे मैमोग्राम (Mammogram) कहते हैं और इससे गांठों के आकार का पता लगाया जाता है। ब्रेस्ट कैंसर की जांच का खर्च मामूली होता है और सभी सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा होती है। बीमारी की शुरूआत में ही इलाज कराने से जान बच सकती है। विदेशों में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित ज्यादातर महिलाओं की मौत नहीं होती क्योंकि वे समय पर इसकी जांच करा लेती हैं।  

कैसे होता है इलाज? (Treatment of breast cancer) 

इलाज शुरू करने से पहले ये देखा जाता है कि कैंसर किस स्टेज पर पहुंच चुका है। इलाज के लिए डॉक्टर कई तरीके इस्तेमाल करते हैं जैसे सर्जरी। सर्जरी के ज़रिए मरीज़ की गांठ या फिर कभी-कभी पूरे स्तन को निकाला जाता है। आज सर्जरी के लिए बहुत सारी नई तकनीक मौजूद हैं जिसमें सिर्फ़ गांठों को ही निकालकर स्तन को बचा लिया जाता है। गांठों के ऑपरेशन की वजह से स्तन में होने वाली दिक्कतों को प्लास्टिक सर्जरी के ज़रिए ठीक किया जाता है। सर्जरी के अलावा कीमो थेरेपी से भी इलाज किया जाता है जिसमें नसों से दवाईयां दी जाती हैं। तीसरा तरीका है रेडिएशन थेरेपी जिसमें ऑपरेशन के बाद सिकाई की जाती है। चौथा तरीका है हॉरमोनल थेरेपी जिसमें मरीज़ को दवाई दी जाती है जिसे 5-10 साल तक खाना होता है। इन सभी तरह के इलाज में कौन सा इलाज पहले किया जाए, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। गांठ छोटी होने पर या शुरूआत के स्टेज में पहले सर्जरी की जाती है, उसके बाद सिकाई और कीमो की जाती है। लेकिन गांठ के बड़े होने पर या कैंसर के देर से पता चलने पर पहले कीमो थेरेपी दी जाती है ताकि बीमारी को कम किया जा सके। कीमो सेशन के बाद सर्जरी की जाती है और आख़िर में 5-10 साल तक हॉरमोन्स की दवा दी जाती है।  

ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज (Stages of breast cancer) 

ब्रेस्ट कैंसर के चार स्टेज होते हैं जिनमें पहली और दूसरी स्टेज को कैंसर की शुरूआत माना जाता है। चौथा स्टेज वो है जिसमें कैंसर फैल चुका होता है। चौथे स्टेज के कैंसर में सर्जरी नहीं की जाती। इसमें सबसे पहले कीमो थेरेपी के ज़रिए इलाज किया जाता है। पहले स्टेज में इलाज होने से लगभग 90 प्रतिशत औरतें ठीक हो जाती हैं। सर्जरी के ज़रिए गांठों को निकालकर स्तन को भी बचा लिया जाता है। दूसरे और तीसरे स्टेज में डॉक्टर सर्जरी और कीमो थेरेपी में से जो उचित हो उसे करते हैं।  

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कैसे करें ब्रेस्ट कैंसर से बचाव? (How to prevent breast cancer?) 

महिलाओं को हर महीने अपने स्तन का परीक्षण करना चाहिए कि कहीं उसमें कोई गांठ तो नहीं है। साथ ही महिलाओं को ये भी देखना चाहिए कि उनके निप्पल से किसी तरह का तरल पदार्थ या खून तो नहीं निकल रहा। स्तन के मांस में अगर किसी तरह का कड़ापन या बदलाव नज़र आए, तो सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि ये कैंसर के लक्षण होते हैं। महिलाओं को ऐसा भोजन खाने से बचना चाहिए जिससे मोटापा हो। खाने- पीने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को सीमित तौर पर लें क्योंकि इनमें शुगर होता है जैसे चीनी, मैदा, चावल वगैरह कम खाएं। खाने में प्रोटीन लें जैसे हरी सब्ज़ियां, दाल, पालक वगैरह। फ्रेश खाना खाएं, पैकेज्ड फूड, फ्रिज में रखा खाना ना खाएं। हर दिन कसरत करें और मानिसक तौर पर भी खुश रहें। तीस साल के अंदर ही मां बनना अच्छा है और बच्चे को स्तनपान ज़रुर कराएं। तनाव कम करें और जीवनशैली को ठीक करें क्योंकि आज के समय में बदलती हुई जीवनशैली ब्रेस्ट कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।  

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जागरूक बनें (Be aware) 

ब्रेस्ट कैंसर से डरे नहीं क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हैं और पहले की तरह ही अपने कामों को कर रहे हैं। भारत में कैंसर के इलाज के लिए सभी तरह की सुविधाएं और तकनीक आज मौजूद है। कैंसर के इलाज को पूरा करना चाहिए। किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाएं और दूसरों को भी जागरूक करें। कई बार शर्म और डर की वजह से औरतें सामने नहीं आती जिसकी वजह से कैंसर और भी ज्यादा फैल जाता है। आज इस बात की ज़रुरत है कि महिलाएं शर्म और डर को छोड़कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए आगे आकर इलाज कराएं।  

डिस्क्लेमर – ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर पूजा रमाकांत (एंडोक्राइन एवं ब्रेस्ट कैंसर सर्जन) द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

Note: This information on breast cancer, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Pooja Ramakant (Endocrine & Breast Cancer Surgeon) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.