पेरिफेरल न्यूरोपैथी तंत्रिका यानी नसों से जुड़ी एक विकृति है। दरअसल, ये पेरिफेरल नसें हमारे शरीर के कई अंगों को दिमाग़ और मेरुदंड यानि स्पाइनल कॉर्ड से जोड़ती हैं। इन पेरीफेरल नसों में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर ये एक डिसऑर्डर का रूप ले लेती है जिसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी के नाम से जाना जाता है। इस डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से बता रहीं हैं डॉ रुचिका टंडन।

पेरिफेरल न्यूरोपैथी क्या होती है? (What is Peripheral Neuropathy in Hindi)

पेरिफेरल नसों का काम है हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से जोड़ना। इन्हीं पेरिफेरल नसों से जुड़ी कोई दिक्कत होने को पेरिफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। पेरिफेरल नसों की बात करें तो ये तीन तरह की होती हैं जिनमें सेंसरी, मोटर और ऑटोनॉमिक नसें शामिल हैं। सेंसरी नसों का काम है शरीर में महसूस करने वाले हिस्सों के सिग्नल को दिमाग़ तक पहुंचाना जैसे कि ठंडे और गर्म पदार्थ का सेंसेशन, दर्द का सेंसेशन वगैरह। वहीं, मोटर नर्व्स हमारी मांसपेशियों को मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड से जोड़ती हैं और इनमें किसी प्रकार की दिक्कत होने पर हमारी मांसपेशियां ठीक से काम नहीं कर पाती। इसके अलावा, ऑटोनोमिक नसें शरीर के अंदरूनी अंगों को मस्तिष्क और स्पाइनल कोर्ड से जोड़ती हैं जिनमें ख़राबी होने पर शरीर के अंदरूनी अंगों पर प्रभाव पड़ता है।

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पेरिफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण (Symptoms of Peripheral Neuropathy in Hindi)

क्योंकि पेरिफेरल नसें तीन तरह की होती हैं इसलिए इनमें से किस तरह की नस पर असर पड़ा है, उसी अनुसार मरीज़ में इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यदि मरीज़ के सेंसरी नर्व्स पर प्रभाव पड़ा है तो उसे कम या ज्यादा सेंसेशन का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि अगर सेंसर्स पहले से ज़्यादा विद्युत तरंगें ट्रांसमिट करने लगे तो इससे व्यक्ति को त्वचा में चुभन, जलन और झंझनाहट जैसी समस्या हो सकती है जबकि अगर नसें विद्युत तरंगों को पहले से कम ट्रांसमिट करें तो व्यक्ति को सुन्नपन का एहसास होता है और उसकी त्वचा किसी चीज़ को महसूस नहीं कर पाती, साथ ही साथ उसे बैलेंस बनाने में भी दिक्कत होती है। मोटर नर्व्स पर असर पड़ने पर व्यक्ति की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और वह अंग काम करना बंद कर देता है। इसके अलावा, ऑटोनोमिक नसों में दिक्कत होने पर उससे जुड़े अंदरूनी अंग प्रभावित होते हैं जैसे कि हृदय गति का सही से नहीं चलना, पाचन क्रिया में दिक्कत, बहुत ज्यादा या कम पसीने आना, रक्तचाप नियंत्रित ना रहना वगैरह।

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इन कारणों से होती है पेरिफेरल न्यूरोपैथी? (Causes of Peripheral Neuropathy in Hindi)

चोट लगने के कारण नसों का क्षतिग्रस्त हो जाना, नसों में किसी तरह की गांठ बन जाना या फिर आर्थराइटिस के  के कारण हड्डियों के बढ़ने से नसों पर दबाव बढ़ना जैसी समस्याओं के कारण पेरिफेरल नसें काम करना बंद कर देती हैं। इसके अलावा, कुछ मेटाबॉलिक कारण भी होते हैं जिनमें किडनी, लिवर, फेफड़े या दूसरे अंगों में किसी तरह की समस्या होने पर इसका असर पेरिफेरल नसों पर पड़ता है। डायबिटीज़ और थायराइड जैसी हार्मोनल गड़बड़ियों के कारण, शराब के सेवन और ऑटो इम्यून डिज़ीज़ के कारण भी पेरिफेरल न्यूरोपैथी की समस्या हो जाती है। जिन लोगों में विटामिन बी 12, विटामिन ई और फॉलिक एसिड की कमी होती है उनकी पेरिफेरल् नसों पर भी प्रभाव पड़ता है।

पेरिफेरल न्यूरोपैथी के प्रकार और इलाज (Types & Treatment of Peripheral Neuropathy in Hindi)

न्यूरोपैथी जैसे डिसऑर्डर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि पेरिफेरल नसें किस कारण से काम नहीं कर पा रही हैं। इसके कारण को जानकर, उसी अनुसार दवाइयों, इंजेक्शन और कभी कभी सर्जरी द्वारा इलाज किया जाता है।

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इस रोग से ठीक होने में कितना समय लगता है? (How long does it take to recover in Hindi)

इस रोग से ठीक होने में कितना समय लगेगा ये उसके प्रकार और कारण पर ही निर्भर करता है। अगर न्यूरोपैथी डायबिटीज़, अनुवांशिक या फिर किसी क्रॉनिक बीमारी के कारण हुई है तो इसमें जीवनभर दवाइयां खानी पड़ सकती हैं क्योंकि ये रोग पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो पाते। हालांकि, इनके कारण होने वाले लक्षण ज़रूर समाप्त हो जाते हैं। यदि न्यूरोपैथी की समस्या कुष्ठ रोग, नसों के क्षतिग्रस्त या फिर नसों में दबाव के कारण हुई है तो ठीक होने में थोड़ा कम समय लगता है।

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क्या जीवनशैली में बदलाव है प्रभावशाली? (Are lifestyle changes effective in Hindi)

भारत की बात करें तो यहाँ लोगों में न्यूरोपैथी होने का सबसे प्रमुख कारण है डायबिटीज़। लेकिन अगर डायबिटीज़ के मरीज़ अपना खानपान सही रखते हैं तो नसों पर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा तनाव ग्रस्त जीवन और शारीरिक क्रियाएं ना करना भी न्यूरोपैथी का कारण बनती हैं इसलिए सभी को एक अच्छी जीवन शैली, पौष्टिक भोजन, व्यायाम के अलावा तनाव को दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए।

डिस्क्लेमर – पेरिफेरल न्यूरोपैथी की समस्या, इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ रुचिका टंडन, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Peripheral Neuropathy, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ruchika Tandon (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.