भारत में अंधविश्वास के कारण लोग चेचक को छोटी माता मानते हैं और उसका इलाज नहीं कराते जबकि बाकी बीमारियों की तरह ही चेचक का पूरा इलाज मौजूद है। चेचक के लक्षण कारण और इलाज के बारे में जानिए डॉक्टर के के त्रिपाठी, (बाल रोग विशेषज्ञ) से।
- क्या है छोटे और बड़े चेचक में अंतर?
- चिकन पाक्स के लक्षण
- कैसे फैलता है चिकन पाक्स?
- क्या है उपचार?
- घरेलू उपचार और रोकथाम
आम भाषा में चिकन पाक्स को चेचक के नाम से जाना जाता है। यह वैरिसीला जोस्टर नाम के वायरस के कारण होने वाली एक बीमारी है। ये वायरस हवा के ज़रिए फैलता है और सांस लेने के दौरान श्वसन तंत्र के उपरी झिल्ली में चिपक जाता है और प्रजनन करके अपनी संख्या भी बढ़ा लेता है। संख्या बढ़ने के बाद ये विषाणु खून के संपर्क में आकर हमारे शरीर के सभी हिस्सों में फैल जाते हैं और फिर मरीज़ के पूरे शरीर में लाल दानें निकल आते हैं। चेचक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो ये विषाणु उसे भी इन्फेक्ट कर देते हैं। लेकिन हमारे देश में चेचक जैसे रोग को छोटी और बड़ी माता का प्रकोप समझकर कई लोग इसका इलाज नहीं कराते जबकि बाकी सभी बीमारियों की तरह इस रोग का भी पूरा इलाज मौजूद है।
क्या है छोटे और बड़े चेचक में अंतर? (Difference between Chicken pox and Small pox?)
बड़े चेचक को आमतौर पर भारत में लोग बड़ी माता कहते हैं लेकिन मेडिकल की भाषा में इसे स्माल पाक्स कहा जाता है। बड़े चेचक को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर से पूरी तरह ख़त्म किया जा चुका है इसलिए पूरे विश्व में बड़े चेचक का कोई भी मरीज़ अब नहीं पाया जाता। बात करें छोटे चेचक यानि चिकन पाक्स की, तो ये बीमारी आज भी लोगों को होती है। भारत में कई लोग अंधविश्वास के कारण अभी भी इस बीमारी को छोटी माता कहते हैं और इलाज नहीं कराते जिसकी वजह से कई बार ये बीमारी बहुत गंभीर हो जाती है।
चिकन पाक्स के लक्षण (Symptoms of chicken pox)
बुखार, सिर दर्द, भूख ना लगना और कमज़ोरी चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षण हैं। इसके एक या दो दिन के बाद शरीर में दाने निकलने लगते हैं। ये दानें शुरू में लाल रंग के होते हैं और उनमें खुजली होती है। कुछ दिनों बाद इन दानों में एक तरल पदार्थ भर जाता है। इस दौरान अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति रोगी के संपर्क में आए, तो उसे भी चेचक हो सकता है। चिकन पाक्स के रोगी के संपर्क में आने के बाद 14 से 21 दिनों के अंदर इस बीमारी के लक्षण दूसरे व्यक्ति में दिख सकते हैं।
कैसे फैलता है चिकन पाक्स? (How Chicken pox spreads?)
वायरस से होने वाले दूसरे रोगों की तरह ही चेचक भी वायरस के कारण फैलता है। हवा में फैले वैरिसीला जोस्टर नाम का वायरस सांस लेने के दौरान अंदर जाकर हमारे फेफड़ों की झिल्ली में चिपक जाता है और खून में मिलकर पूरे शरीर में फैल जाता है। इसके अलावा जब रोगी के दानों में तरल पदार्थ बन जाए, तो उसके संपर्क में आने से भी ये रोग फैल जाता है। ये बीमारी ज्यादातर एक साल से कम उम्र के बच्चों और युवाओं में देखने को मिलती है। साथ ही जिन लोगों में रोगों से लड़ने की शक्ति कम होती है, उनमें ये बीमारी घातक हो सकती है। बात करने के दौरान, छींकने और खांसने से इसका वायरस एक से दूसरे व्यक्ति के अंदर चला जाता है।
क्या है उपचार? (What is the treatment of Chicken pox?)
इसका इलाज मरीज़ की उम्र के हिसाब से किया जाता है। चूंकि इसमें मरीज़ को बुखार भी आता है और भूख नहीं लगती तो ऐसे में इनका भी इलाज किया जाता है। लेकिन अगर चिकन पाक्स मरीज़ के लिए बहुत ही घातक लगने लगे, तो वायरस को ख़त्म करने के लिए एंटी वायरस ड्रग दिया जाता है जैसे कि एसाइक्लोवियर (Acyclovir)। ये दवा 5-7 दिनों तक के लिए दी जाती है। अगर दाने आने के 72 घंटों में ही ये दवाई दे दी जाए, तो इससे मरीज़ के जल्द ठीक होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है और ख़तरा कम हो जाता है। लेकिन यदि रोगी को चेचक के साथ ही किसी और तरह की भी बीमारी है जैसे निमोनिया, इंसेफ्लाइटिस आदि तो ऐसे में मरीज़ को एडमिट करके इंजेक्शन के ज़रिए ये दवाई दी जाती है।
घरेलू उपचार और रोकथाम (Home Remedies and Prevention of Chicken pox?)
चिकन पॉक्स के रोगी को एक अलग कमरे में रखना चाहिए जो हवादार हो और उसके संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस रोग के लिए किसी भी तरह का घरेलू इलाज मौजूद नहीं है इसलिए बेहतर है कि डॉक्टर से दिखाया जाए। चिकन पॉक्स से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है जो एक साल से ज्यादा उम्र के किसी भी स्वस्थ इंसान को लगाया जा सकता है। ये टीका आमतौर पर 12-15 महीने और फिर 4-5 साल तक के बच्चों को दिया जाता है। लेकिन अगर इनमें से कोई भी टीका नहीं लगा है, तो तीन महीने के अंतराल पर दोनों टीके लगवाए जा सकते हैं। अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी रोगी के संपर्क में आ गया है, तो दो दिनों के अंदर ये टीका दे देने पर उसे बीमारी से बचाया जा सकता है।
डिस्क्लेमर – चेचक (चिकन पॉक्स) के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर के के त्रिपाठी, बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on smallpox (Chicken Pox) disease, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr. KK Tripathi (Paediatrician) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.