दिल से जुड़ी हुई कोई भी बीमारी अपने आप में घातक होती है। ऐसे में हार्ट के मरीज़ों में कोविड 19 का ख़तरा दूसरे लोगों के मुक़ाबले और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ह्द्य से जुड़े रोग होने पर दिल की पंप करने की क्षमता कम हो जाती है और इसलिए फेफड़ों पर भी इसका असर पड़ता है। दिल के मरीज़ों को कोविड 19 से बचाव के लिए किस तरह रखना चाहिए अपना ख़्याल, बता रहे हैं डॉक्टर प्रवीन कुमार शर्मा, कार्डियोलॉजिस्ट।  

ह्रद्य रोगियों में कोविड 19 का जोख़िम (Risk of COVID-19 in heart patients in Hindi)

हार्ट के मरीज़ों में कोविड 19 के इंफेक्शन का ख़तरा दूसरे रोग के मरीज़ों के मुक़ाबले कहीं ज्यादा है क्योंकि इसके मरीज़ पहले से ही कई तरह की दिकक्तों से जूझते आ रहे होते हैं जैसे कि हाइपरटेंशन, हार्ट फेल्योर या फिर कोरोनरी आर्ट्ररी डीज़ीज़। दिल की इन बीमारियों की वजह से धमनियों में रूकावट, हार्ट अटैक और दिल के फैलाव के कारण उसके पंप करने की क्षमता कम हो जाना जैसी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। ये देखा गया है कि दिल के पंप करने की क्षमता कम होने पर इसका प्रेशर फेफड़ों पर पड़ता है जिसे पल्मोनरी एडीमा कहा जाता है। पल्मोनरी एडीमा होने के कारण मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे दिल के मरीज़ जिनके फेफड़ों में पहले से ही सूजन हो और साथ ही फेफड़ों को प्रभावित करने वाले कोरोना वायरस के कारण दिल के मरीज़ बहुत ज्यादा रिस्क पर आ सकते हैं।  

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दिल के मरीज़ों में कोरोना के लक्षण (Symptoms of COVID-19 in heart patients in Hindi)

कोरोना एक ऐसा वायरस है जो नाक से होते हुए हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है। वहां जाकर ये अपनी संख्या बढ़ा लेता है और टिश्यू के साथ रिएक्ट करके उसे प्रभावित करता है। जब भी किसी अंग में इन्फ्लामेट्री तत्व बनते हैं तो वो ख़ून के ज़रिए पूरे शरीर में फैल जाते हैं। क्योंकि हमारा रक्त दिल तक भी जाता है इसलिए दिल में सूजन हो जाती है। इस सूजन की वजह से दिल की गति तेज़ हो जाती है जिसे टेकीकार्डिया कहा जाता है। इसके अलावा दिल की झिल्ली और मायोकार्डियम के बीच सूजन पैदा हो जाती है और वहां तरल पदार्थ भर जाता है जिसके कारण दिल ठीक से फैल नहीं पाता। साथ ही साथ सूजन के कारण दिल के प्रेशर पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है जिससे कार्डियक हार्ट फेल्योर कहते हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए अगर मोटे तौर पर लक्षणों की बात करें तो ह्द्य की गति का तेज़ होना, ब्लड प्रेशर लो होना, दिल में दर्द होना, ईसीजी में अनियमितता दिखना वगैरह देखे जा सकते हैं।  

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संक्रमित होने पर क्या करें दिल के मरीज़? (What should heart patients do if infected in Hindi)

करोना संक्रमित दिल के मरीज़ लगातार अपने पल्स और बीपी की मॉनिटरिंग करते रहें। इसके अलावा SPo2 मार्कर के द्वारा अपने दिल की गति का ध्यान रखें। अगर टेकीकार्डिया 120 या 125 से लगातार उपर रहे, तो ऐसे में मरीज़ को सचेत हो जाना चाहिए। साथ ही अगर व्यक्ति को दिल में दर्द होता है और हार्ट अटैक मार्कर्स भी पॉज़िटिव हों, तो मरीज़ को अस्पताल जाना चाहिए। यही नहीं, अगर ब्लड प्रेशर कम हो जाए या फिर SPo2 85 तक चला जाए तो भी ये इस बात का संकेत है कि आपको अस्पताल में वेंटिलेशन सपोर्ट की ज़रूरत है।  

Heart Failure

संक्रमित होने पर ह्रद्य रोगियों का इलाज (Treatment of infected heart patients in Hindi)

दिल के मरीज़ हाई रिस्क पर होते हैं और सामान्य तरीक़े से उनका इलाज संभव नहीं है। कोरोना पीड़ित होने पर हर तरफ़ की इंडोथीलियल दीवारों में सूजन पैदा होती है जिसके कारण ख़ून की नलिकाएं संकरी हो जाती हैं और रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में मरीज़ को अचानक हार्ट अटैक आ जाता है। इसके अलावा दिल की दीवारों में मौजूद पतली नाड़ियों में भी सूजन हो जाती है जिसे आर्टराइटिस कहते हैं और इसकी वजह से दिल में दर्द होता है। ऐसे में मरीज़ अपनी बीमारी को समझ नहीं पाता और उसे ये सामान्य मांसपेशियों का दर्द लगता है लेकिन इसकी वजह से दिल की रफ़्तार अचानक बढ़ जाती है और देखते ही देखते मरीज़ की मौत भी हो जाती है। इसलिए ह्द्य रोगियों को अपना बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। 

डिस्कलेमर – दिल के मरीज़ों में कोविड 19 का जोख़िम और कैसे ह्द्य रोगी रखें अपना ध्यान, इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर प्रवीण कुमार शर्मा, कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

This information on COVID Care for heart patients, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Praveen Sharma (Cardiologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.