कोविड 19 के कारण बहुत से परिवारों ने अचानक अपनों को खो दिया है जो किसी सदमे से कम नहीं है। बहुत से लोग, ख़ासकर बच्चे और नौजवान इस तरह के सदमे से नहीं उबर पा रहे हैं जिसकी वजह से उनके दिमाग़ पर भी बहुत गहरा असर पड़ रहा है। लोग कैसे करें इस चुनौती का सामना और कैसे सदमे से बाहर आएं, बता रहे हैं डॉ मोहम्मद अलीम सिद्दीक़ी, मनोचिकित्सक।  

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सदमे से कैसे बाहर आएं? (How to come out of shock in Hindi)

किसी भी अपने का दुनिया से चले जाना एक सामान्य व्यक्ति के लिए दुख की घड़ी होती है और इसके कारण दिमाग पर हुआ असर भी सामान्य होता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ लोगों में ये ग्रीफ रिएक्शन (Grief Reaction) एक सदमे का रूप भी ले सकता है जिससे उबरने में उसे समय लग सकता है। सदमे से बाहर आने के लिए व्यक्ति को ये समझना बहुत ज़रूरी है कि जीवन औऱ मृत्यु दोनों पर इंसानों का बस नहीं है। इसलिए, आप उस व्यक्ति को बचाने की कोशिश ज़रूर करें लेकिन अगर फिर भी व्यक्ति ना बचे, तो उस बात को झेलने के लिए अपने अंदर स्थिरता लाने की आवश्यकता है। आप उस व्यक्ति के जाने के बाद उसकी अच्छी बातों और व्यवहार को अपनाएं ताकि इस तरह उसकी यादें आपके साथ रहें। साथ ही अपने आसपास के लोगों और दोस्तों के साथ बातचीत करके अपने विचार और दिल की बात उनके साथ बांटे। आमतौर पर मृत्यु के बाद घरों में कई तरह के रीति रिवाज पूरे किए जाते हैं और इसमें लोगों के शामिल होने से तनाव में कमी आती है। लेकिन क्योंकि कोरोना काल में इस तरह के रीति रिवाज भी नहीं हो पा रहे हैं इसलिए, तनाव का अधिक होना स्वाभाविक है। इसके लिए परिवार के लोग ऑनलाइन रीति रिवाज निभा कर लोगों से बातें कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद भी अगर तनाव बढ़ रहा हो तो किसी मनोचिकित्सक से ज़रूर मिलें।  

wearing mask at home

युवा कैसे करें इस चुनौती का सामना? (How can youth face this challenge in Hindi)

इस तरह के सदमे और हालात में किसी के अंदर भी नकरात्मक विचार आ सकते हैं लेकिन ज़रूरी ये है कि इसे आप एक हमला नहीं बल्कि चुनौती की तरह लें। अगर आप इसे चुनौती समझकर लड़ेंगे तो जल्द सदमे से बाहर निकल पाएंगे। इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए अपनी बुद्धि का पूरी तरह इस्तेमाल करें। ये ध्यान में रखें कि इस तरह के मुश्किल हालात से सिर्फ़ आप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग झेल रहे हैं इसलिए अगर आपके अपने चले गए, आपके इम्तिहान टल गए या आपकी नौकरी चली गयी तो दुनिया में कई और लोगों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है और आप अकेले नहीं हैँ।  

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मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए क्या करें? (What to do to be mentally healthy in Hindi)

दिमाग़ की कई चीज़ों को बदला नहीं जा सकता क्योंकि वो कुदरती होती हैं लेकिन आप अपने में बदलाव ला सकते हैं। सबसे पहले आपको भरपूर नींद लेना ज़रूरी है। अगर आप बिना अलार्म लगाए अपने समय पर उठ जाते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी नींद पूरी हो रही है। इसके अलावा अपने जीवन में व्यायाम को ज़रूर शामिल करें। अगर आप हफ्ते में पांच दिन आधे घंटे से ज्यादा कसरत करते हैं तो ये आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। ज़रूरी नहीं कि आप कोई भारी भरकम कसरत करें, अगर आप आधे घंटे वॉक भी करते हैं तो ये काफ़ी है। याद रखें कि अपने शरीर और वज़न को देखते हुए ही व्यायाम करें। आप कसरत के अलावा योगा करें, कोई भी खेल खेलें, नाचे यानि ऐसी एक्टिविटी करें जो कि फास्ट मोशन में हो। इसके अलावा ऐसी डाइट लें जो बैलेंस हो, किसी भी तरह का नशा ना करें, अपने समय का रचनात्मक इस्तेमाल करें, अच्छा सामाजिक सर्कल बनाएं जिसमें लोग एक दूसरे की मदद करें।  

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डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

कोरोना से बचने के लिए सारे नियमों का पालन करें क्योंकि अगर आप सामाजिक दूरी बनाए रखते हैं तो ये वायरस पंद्रह से बीस दिनों में अपने आप खत्म हो जाता है। मास्क सही तरह से लगाएं और उतार कर डिस्पोज़ करें। सैनिटाइज़ेशन करते रहें और वैक्सीन ज़रूर लगवाएं। कोरोना काल के ये हालात अभी लंबे समय तक चलने वाले हैं इसलिए अपने दिमाग़ को उसी अनुसार ढालें और चुनौती का सामना करें।   

डिस्कलेमर – कोविड 19 – अपनों को खोने के सदमे से कैसे बाहर आएं, कोरोना काल में कैसे बचें मानसिक तनाव से, इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर मोहम्मद अलीम सिद्दीक़ी, मनोचिकित्सक द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

This information on Loss of dear ones to COVID-19, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Mohammad A Siddiqui (Psychiatrist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.