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विश्व हीमोफीलिया दिवस: बदलाव की आदत – बदलती हुई दुनिया में अक्षमता से क्षमता की ओर

राष्ट्रीय हीमोफीलिया प्रबंधन शिखर सम्मेलन

बदलाव की आदत – बदलती हुई दुनिया में अक्षमता से क्षमता की ओर 

प्रत्येक साल की तरह इस साल भी 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया गया। भारत में हीमोफीलिया रोग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हीमोफीलिया फेडरेशन (इंडिया) (HFI) द्वारा हाल ही में नेश्नल हीमोफीलिया मैनेजमेंट समिट का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के फैलते ख़तरे के मद्देनज़र, इस समिट का आयोजन डिजिटल माध्यम के ज़रिए किया गया, जिसमें चिकित्सकों, मरीज़ों तथा भारत के नीति निर्माताओं की उपस्थिति रही।  

यह शिखर सम्मेलन, सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और भारत के हीमोफीलिया कम्युनिटी के बीच बहुमूल्य सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए अवसर प्रदान करता है जो यूट्यूब और फेसबुक पर भी उपलब्ध है।  

इस वर्ष इसके थीम “बदलाव की आदत – अक्षमता से क्षमता की ओर” को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।  

इस शिखर सम्मेलन को माननीय श्रीमती अपराजिता सारंगी, लोकसभा सांसद, भुवनेश्वर द्वारा संबोधित किया गया जबकि कई दूसरे गणमान्य लोगों ने भी इसमें अपने विचार रखे। 

शिखर सम्मेलन का आरंभ श्री मुकेश गरोडिया, अध्यक्ष, HFI द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में हीमोफीलिया रोग के कारण होने वाली शारीरिक दिक्कतों के साथ साथ सामाजिक परेशानियों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि RPWD Act 2016 के अंतर्गत आने के बावजूद हीमोफीलिया के मरीज़ों को सरकारी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं मिल पाया है। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि भारत के लगभग 80 प्रतिशत लोगों में अभी भी इस रोग की जांच नहीं की जा सकी है।  

इस सम्मेलन के माध्यम से HFI ने इस बात पर भी रौशनी डाली कि फिलहाल एंटी हीमोफीलिक फैक्टर (AHF) को बाहर के देशों से आयात करना पड़ता है जबकि भारत के सरकारी अस्पतालों में इसकी उपलब्धि खपत से काफ़ी कम है। HFI, जुटाए गए दान की मदद से लगभग 78 हीमोफीलिया ट्रीटमेंट सेंटर में फैक्टर की सप्लाई कर, इस कमी को पूरा करने की कोशिश में लगा हुआ है। हालांकि, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया और हीमोफीलिया फेडरेशन इंडिया द्वारा दान जुटाने के इस साझा प्रयास से भी इस रोग के मरीज़ों की पूरी तरह सहायता कर पाना मुश्किल होता है। इसलिए HFI को अपने मरीज़ों और मदद करने वाले लोगों के साथ भारत में ही इसकी दवाइयों की मैनुफैक्चरिंग के लिए देशभर में आवाज़ उठानी पड़ती है। 

इस सम्मेलन के आयोजन को दवा कंपनी Roche Pharma द्वाराा सहयोग दिया गया। सम्मेलन में मुखर रूप से अपने विचार रखते हुए Roche Pharma के मैनेजिंग डायरेक्टर, श्री सिंपसन ई इमैन्युल ने कहा कि जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ सही समय पर जांच और उचित देखभाल के ज़रिए हीमोफीलिया के मरीज़ों के जीवन को सुधारा जा सकता है।    

हीमोफीलिया फेडरेशन (इंडिया) 

वर्ष 1983 में अपने गठन के बाद से ही HFI देश में इकलौता ऐसा संगठन है जो हीमोफीलिया कम्युनिटी के लिए लागातार काम करता आ रहा है। हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों द्वारा शुरू किया गया और चलाया जा रहा यह संगठन 87 अलग अलग विषयों पर अपने नेटवर्क के ज़रिए सहयोग पहुंचाने का काम कर रहा है।  

HFI, भारत को कनाडा में स्थित हीमोफीलिया के विश्व महासंघ में एक राष्ट्रीय सदस्य संगठन के रूप में प्रस्तुत करता है। इसने रोगियों में जागरूकता पैदा करने और भारत में उपचार सुविधाओं को व्यवस्थित करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।  

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