मोतियों जैसे बराबर दांत देखने में खूबसूरत लगते हैं लेकिन यही दांत अगर टेढ़े मेढ़े निकल आए तो व्यक्ति की पर्सनैलिटी पर असर पड़ता है। अक्सर छोटे बच्चों के दांत टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। क्या टेढ़े मेढ़े दांतों को फिर से ठीक किया जा सकता है और इन्हें टेढ़े मेढ़े होने से रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए, बता रहे हैं डॉ विनय कुमार गुप्ता।
- बच्चों के दांत टेढ़े-मेढ़े क्यों हो जाते हैं?
- परमानेंट दांत आने से पहले ही डॉक्टर से मिलें
- टेढ़े-मेढ़े दांतों को ठीक करने के तरीक़े
- इलाज में कितना समय लग सकता है?
- दूध के दांतों को समय से पहले न गिरने दें
- दाँतों में ब्रेसेस लगाने के फ़ायदे, नुकसान
बच्चों के दांत टेढ़े-मेढ़े क्यों हो जाते हैं? (Why do children get crooked teeth in Hindi)
बच्चों के दांत टेढ़े में होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें से एक है उनकी खानपान की आदत। ज़्यादातर बच्चे आजकल जंक फूड और सॉफ्ट डाइट जैसे कि पिज़्ज़ा, बर्गर, पेस्ट्री, मोमोज़ वगैरह खाना पसंद करते हैं। इन सब चीजों के सेवन से दाँतों में कैरीज़ तो हो ही जाती है, साथ ही भोजन को कम चबाने की वजह से मसूड़े ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाते। मसूड़ों के विकसित न होने पर दांत सही जगह पर नहीं निकलते और टेढ़े मेढ़े दिखाई देते हैं। दांतों पर कैरीज़ लगने से वे समय से पहले ही झड़ जाते हैं और उसकी जगह आनेवाले परमानेंट दांत टेढ़े मेढ़े निकल जाते हैं। इसके अलावा, बच्चों की अंगूठा चूसना और मुँह खोलकर सांस लेना जैसी आदतों से भी दांत टेढ़े मेढ़े निकलते हैं।
परमानेंट दांत आने से पहले ही डॉक्टर से मिलें (Visit the doctor before advancing the permanent teeth in Hindi)
दूध के दांत बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये आनेवाले परमानेंट दांतों को जगह देते हैं इसलिए, अगर दूध के दांत में किसी तरह का टेढ़ापन या फिर ख़राब होने के कोई निशान दिखे तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए ताकि समय से पहले ही उन दांतों को ठीक करके आने वाले दांतों को सही जगह दी जा सके।
टेढ़े-मेढ़े दांतों को ठीक करने के तरीक़े (Treatment methods to fix crooked teeth in Hindi)
समय से पहले ही अगर दांत टेढ़े मेढ़े हो गए हों तो इसके लिए बहुत सारे रिमूवल टेक्निक मौजूद हैं। इसके अलावा, अगर पूरे के पूरे परमानेंट दांत आ चुके हों तो ऐसे में दांतों में तार लगाए जाते हैं जिसे एंटिटी टेक्निक कहते हैं। आजकल ऐसे भी ब्रेसेस मौजूद हैं जो दांतों के कलर्स से मैच हो जाते हैं और दिखाई नहीं देते।
इलाज में कितना समय लग सकता है? (How long will the treatment take time in Hindi)
दांतों के इलाज में कितना समय लगेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि दांतों की समस्या कैसी है। अगर दांतों में ज़्यादा ख़राबी ना हो तो छह महीने में इसे ठीक किया जा सकता है जबकि परमानेंट दांतों में किसी तरह का टेढ़ापन और ख़राबी होने पर या फिर अगर दांतों को निकालने की ज़रूरत पड़ जाए तो ऐसे में ट्रीटमेंट में ज़्यादा वक्त लगता है। जैसे कि कभी कभी दांतों को निकलने की जगह नहीं मिलती इसलिए प्री मोलर दाँतों को निकालकर वहाँ खाली जगह को भरा जाता है, ऐसे में इलाज में लंबा समय लग सकता है। इसके अलावा, स्केलेटल ट्रीटमेंट, ड्रेसिंग और एक्स रे वगैरह होने पर दो से ढ़ाई साल का समय लग जाता है।
दूध के दांतों को समय से पहले न गिरने दें (Don’t let the milk teeth fall out prematurely in Hindi)
कोशिश यही करनी चाहिए कि दूध के दांतों को समय से पहले न गिरने दें क्योंकि ये आने वाले परमानेंट दांतों को निकलने का रास्ता देते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि दूध के दांतों को कैरीज़ से बचाएं और किसी तरह की परेशानी होने पर दांतों के डॉक्टर से ज़रूर मिलें।
दाँतों में ब्रेसेस लगाने के फ़ायदे, नुकसान (Benefits and disadvantages of wearing braces on teeth in Hindi)
दांतों को टेढ़ेपन से बचाने के लिए तार लगाना ज़रूरी है जिससे दांत वापस अपने शेप में आ जाते हैं। अगर दूध के दांत समय से पहले ही गिर गए हों तो ऐसे में उस खाली जगह पर स्पेस मेंटेनर लगावाएं ताकि उस जगह पर आने वाला परमानेंट दांत सही से निकल पाए। इसके अलावा, कुछ मामलों में दांत में जगह बनाए रखने के लिए हेडगेयर भी लगाना पड़ता है। कभी कभी दूध के दांत के साथ ही स्थायी दांत भी आ जाते हैं और ऐसे में दूध के दांतों को निकाल देना चाहिए।
डिस्क्लेमर – बच्चों में टेढ़े मेढ़े दांत आने का क्या है कारण और इसे ठीक करने की क्या हैं विधियां, इस पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ विनय कुमार गुप्ता, डेंटल सर्जन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।