बारिश के दिनों में हमारे आसपास और घरों में पानी इकट्ठा हो जाता है। जिन घरों में काफ़ी दिनों तक साफ़ पानी जमा रहता है, उनमें डेंगू के मच्छर पनपने लगते हैं और इनके काटने पर व्यक्ति को डेंगू बुखार हो जाता है। क्या हैं डेंगू बुखार के लक्षण और कैसे करें बचाव, पूरी जानकारी दे रहे हैं डॉ अजय शंकर त्रिपाठी, पैथोलॉजिस्ट।

कैसे होता है डेंगू बुखार? (How does dengue fever happens in Hindi)

डेंगू एक वायरल बीमारी है जो एडीज़ नाम के मच्छर के काटने से होती है। ये मच्छर साफ़ पानी में पनपते हैं जैसे कि कूलर, पानी की टंकी, गमले, बर्तन, टायर वगैरह। एक और ख़ास बात है कि ये सिर्फ़ दिन के समय ही काटते हैं। इन मच्छरों के आने जाने का क्षेत्र भी कम होता है इसलिए ये घरों के आसपास ही रहते हैं और दिन के समय काटते हैं।

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तेज़ बुखार के अलावा दूसरे लक्षण (Symptoms other than high fever in Hindi)

अगर लक्षणों से पहचान करनी हो तो डेंगू होने पर मरीज़ को बहुत तेज़ बुखार आता है। इसके अलावा, पूरे शरीर और जोड़ों में दर्द, पेट और सिर में दर्द के साथ उल्टियां भी होती हैं।

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किस मच्छर के काटने से होता है डेंगू? (Which mosquito is responsible for dengue in Hindi)

मलेरिया और फाइलेरिया की तरह डेंगू भी एक वायरल बीमारी है जो एडीज़ नाम के मच्छर के काटने से होती है।

डेंगू बुखार का परीक्षण (Test of dengue fever in Hindi)

डेंगू का परीक्षण करने के लिए मरीज़ का ब्लड सैंपल लेकर टेस्ट किया जाता है जिसमें खून में मौजूद हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स काउंट, टीएलसी, डीएलसी वगैरह की जांच की जाती है। इसके अलावा, अस्पतालों में रैपिड डायग्नोस्टिक किट के ज़रिए भी डेंगू का परीक्षण किया जाता है जिसमें एनएस वन, आईजीएम और आईजीजी तीन तरह की किट का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इन किट के द्वारा की गई जांच पॉज़िटिव आती है तो इसे आगे की जांच जिसे एलाइजा टेस्ट कहा जाता है, के लिए भेज दिया जाता है।  इसके अलावा, आरटीपीसीआर के ज़रिए भी डेंगू का परीक्षण किया जाता है। इन सभी तरह के परीक्षण के बाद ही यह पुष्टि होती है कि मरीज़ को डेंगू है या नहीं।

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कैसे होता है डेंगू का इलाज? (Treatment of Dengue in Hindi)

क्योंकि डेंगू में मरीज़ को तेज़ बुखार के साथ साथ शरीर में दर्द होता है इसलिए ऐसे में सिर्फ़ पैरासिटामोल लेने की आवश्यकता होती है। मरीज़ की उम्र और वज़न के हिसाब से पैरासिटामोल की डोज़ दी जाती है। दिन भर में 6 घंटे के अंतराल पर कम से कम चार बार मरीज़ को पैरासिटामोल दिया जाना सुरक्षित है। इसके अलावा, कोल्ड स्पंजिंग यानी ठंडे पानी की पट्टी भी ज़रूरत पड़ने पर मरीज़ के सिर और पैर पर रखनी चाहिए। इसमें मरीज़ के प्लेटलेट्स काउंट को भी चेक किया जाता है। हालांकि, प्लेट्लेट्स डेंगू का इलाज नहीं होता इसलिए इसके कम होने पर भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। हाँ, लेकिन अगर मरीज़ को कहीं से ब्लीडिंग होने लगे, तब प्लेटलेट्स चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है।

डेंगू हिमोरैजिक फीवर बढ़ा सकता है जटिलताएं (Dengue Hemorrhagic Fever can increase complications in Hindi)

कई मरीज़ों में 7-8 दिन के अंदर डेंगू अपने आप ठीक हो जाता है क्योंकि ये एक सेल्फ लिमिटिंग डिज़ीज़ है। लेकिन 1-2 प्रतिशत मामले ऐसे भी हैं जिसमें मरीज़ को शॉक सिंड्रोम या फिर डेंगू हिमोरैजिक फीवर हो जाता है और यही डेंगू का सबसे बुरा रुप होता है। ऐसा होने पर मरीज़ के अन्दर पानी की कमी हो जाती है और ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। ऐसे में मरीज़ को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक है।

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साफ़ पानी में नहीं पनपने दें मच्छर (Don’t let mosquitoes breed in clean water in Hindi)

क्योंकि डेंगू के मच्छर सिर्फ साफ़ पानी में पनपते हैं इसलिए घर में और आसपास साफ़ पानी जमा न होने दें। कूलर, गमले, टायर वगैरह में जमे पानी को फेंकते रहें, घर के अंदर और बाहर निकलने पर पूरे बाज़ू के कपड़े पहनें, सोने के लिए मच्छरदानी और शरीर पर लगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें और साफ़ सफ़ाई रखें।

डिस्क्लेमर – डेंगू बुखार होने के कारण, लक्षण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉ अजय शंकर त्रिपाठी, पैथोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

Note: This information on Dengue, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ajay Shankar Tripathi (Pathologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.